Motor Accident Claim : मृतक की संपत्ति और व्यवसाय मिलने के बाद भी आय के नुक्सान के लिए आश्रित मुआवजे के हकदार हैं - सुप्रीम कोर्ट
Motor Accident Claim : सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मोटर दुर्घटना मुआवजे को केवल इस कारण से कम करने की आवश्यकता नहीं है कि मृतक के व्यवसाय उपक्रम और संपत्ति दावेदारों को दे दी गई थी...
Motor Accident Claim : सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मोटर दुर्घटना मुआवजे को केवल इस कारण से कम करने की आवश्यकता नहीं है कि मृतक के व्यवसाय उपक्रम और संपत्ति दावेदारों को दे दी गई थी।
इस मामले में मृतक विविध क्षेत्रों में एक व्यवसाई था और अपनी कृषि भूमि से भी आए प्राप्त करता था और अचल संपत्ति को पट्टे पर देता था। अपने निधन के बाद वह अपने पीछे एक विधवा, दो नाबालिग बच्चों और माता पिता को छोड़ गया था, जिन्हें उन पर निर्भर बताया गया था।
हाईकोर्ट ने मुआवजे की राशि को किया था कम
हाईकोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए मुआवजे को कम कर दिया था कि आयकर रिटर्न और ऑडिट रिपोर्ट इस बात को उजागर करती है कि मृतक की आय अनिवार्य रूप से उसकी पूंजीगत संपत्ति से रिटर्न का गठन करती है, जो कि मृतक के आश्रितों को विधिवत वसीयत की गई है। हाई कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि अर्जित आय पूंजीगत संपत्ति से बाहर थी और यह नहीं कहा जा सकता कि इसे मृतक के व्यक्तिगत कौशल से अर्जित किया गया है। इसके परिणामस्वरूप मृतक की आय का निर्धारण उसकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार काल्पनिक आधार पर किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के नजरिए को ठहराया गलत
हाईकोर्ट के इस फैसले को अस्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस रामासुब्रह्मण्यम की पीठ ने कहा कि 'दुर्भाग्य से इस तरह का दृष्टिकोण हमारी राय में अमृत भानु शाली बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और कल्पनाराज बनाम तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम में इस अदालत के फैसलों के मद्देनजर गलत है, जिसमें इस अदालत ने आयकर रिटर्न और ऑडिट रिपोर्ट जैसे दस्तावेजों को मृतक की आय निर्धारित करने के लिए विश्वसनीय सबूत माना है। इसलिए, हम मुआवजे को संशोधित करने के लिए बाध्य हैं। खासकर जब यह दिखाने के लिए कोई अतिरिक्त सबूत पेश नहीं किया गया है कि मृतक की आय ऑडिट रिपोर्ट में उल्लिखित राशि के विपरीत थी और न ही यह बीमा कंपनी द्वारा लिया गया स्टैंड है कि उक्त रिपोर्टों ने आय को बढ़ा दिया।'
मुआवजा न्यायसंगत और निष्पक्ष होना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 168 के तहत दिया गया मुआवजा न्यायसंगत और निष्पक्ष होना चाहिए। यह एक लाभकारी और कल्याणकारी कानून है, जो किसी व्यक्ति की समकालीन स्थिति के अनुसार मुआवजा प्रदान करना चाहता है, जो अनिवार्य रूप से दूरदर्शी है।
परिवार आय के नुक्सान के लिए मुआवजे का हकदार
सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यह तथ्य पूर्ण तरह से सही नहीं है कि मृतक के बाद उसके व्यवसाय उपक्रम और संपत्ति को उसकी पत्नी और नाबालिक बच्चों को हस्तांतरित कर दिया गया है। इससे यह साबित नहीं होता कि उसका लाभ इस परिवार के लिए इसका लाभ जारी है, इसलिए यह परिवार आय के नुकसान के लिए इस मुआवजे का हकदार है।