Mukhtar Ansari News: जानें- कौन है मुख्तार अंसारी? सच्चिदानंद राय की हत्या के बाद ऐसे रखा था जुर्म की दुनिया में कदम

Mukhtar Ansari News: 1987 में सच्चिदानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का बड़ा नाम बन चुके थे, सच्चिदानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी का राजनीति में रसूख बढ़ने लगा...

Update: 2022-03-28 14:19 GMT

Money Laundering Case : अब ईडी ने मुख्तार अंसारी के बहनोई पर कसा शिकंजा, देर रात आतिफ रजा को पकड़ा

Mukhtar Ansari News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजीपुर और मऊ में अब मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को लेकर कुछ लोग ऑफ द रिकॉर्ड बोलने लगे हैं लेकिन बाहुबली मुख्तार अंसारी ने आखिर जुर्म की दुनिया में कदम कब रखा और कैसा रखा, इसके बारे में आज आपको बताते है। साथ ही जानिए कि कैसे जुर्म की दुनिया में बड़ा नाम बने मुख्तार अंसारी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले मोहम्मदाबाद में सुबाहउल्लाह अंसारी और बेगम राबिया के घर 3 जून 1963 को हुआ था। बचपन में तीनों भाई क्रिकेट खेलने के शौकीन थे। मुख्तार इंटरस्टेट खेला करते थे। कॉलेज के जमाने में ही साधु सिंह के गैंग में शामिल हो गए। क्रिकेट के साथ-साथ वो गुलेल चलाने में भी माहिर थे। बचपन में गांव के लोग उन्हें अच्छे चिरई मार भी कहते थे। बचपन के दिनों में हाट बाजार से खरीदारी कर लौट रहे साइकिल सवार लोगों को गुलेल मारकर गिरा देने में उन्हें मजा आता था। साइकिल सवार के गिर जाने के बाद उनके झोले में रखे खाने - पीने की चीजें लेकर फरार हो जाते थे।

मुख्तार अंसारी ने ऐसे रखा जुर्म की दुनिया में कदम

1980 के दशक में देश तेजी से बदल रहा था। नई-नई फैक्ट्रियां लगाई जा रही थी। नए-नए कॉलेज बन रहे थे। बड़े-बड़े सरकारी ठेके बंट रहे थे। यूपी सरकार पूर्वांचल के विकास को लेकर कई प्रोजेक्ट्स मंजूर किए। इसी प्रोजेक्ट्स के ठेका लेने को लेकर पूर्वांचल की धरती 'लाल' होने लगी। मुख्तार अंसारी इसी की उपज थे। मुख्तार अंसारी मखुनी सिंह के गैंग से मिल गए। साल 1980 में इस गैंग की साहिब सिंह के गैंग से गाजीपुर के सैदपुर में एक प्लॉट को लेकर बवाल हुआ। साहिब सिंह के गैंग में वाराणसी का बृजेश सिंह शामिल था। बृजेश सिंह का मुख्तार अंसारी से 36 का आंकड़ा था। साल 1990 में ब्रजेश सिंह ने अपना गैंग बना लिया। गाजीपुर के सभी ठेके उसने अपने कंट्रोल में ले लिए। कोयला, रेलवे कंस्ट्रक्शन, माइनिंग, शराब और पब्लिक वर्क जैसे 100 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट के काम को लेकर मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह गैंग के बीच कई बार खूनी खेल हुआ।

सच्चिदानंद राय की हत्या के बाद बड़ा राजनीति में रसूख

1987 में सच्चिदानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का बड़ा नाम बन चुके थे। सच्चिदानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी का राजनीति में रसूख बढ़ने लगा। 1988 में तिवारीपुर के राम नारायण राय की हत्या में भी मुख्तार अंसारी को नामजद अभियुक्त बनाया गया था। हिरासत में बंद कुख्यात सुभस सिंह की हत्या में मुख्तार अंसारी का नाम आया। उसके बाद अपराध जगत में वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर और मऊ में उसका डंका बजने लगा।

मुख्तार अंसारी के नाम से ही लोग कांपते थे। कहा तो यहां तक जाता है कि, मुख्तार के लिए गाजीपुर जेल में सुख सुविधा की तमाम व्यवस्था की गई थी। मछली मारने के लिए तालाब बनाया गया। तत्कालीन डीएम जेल में उसके साथ बैडमिंटन खेलते थे। जेल के बाहर मुख्तार के लोगों के लिए कमरे बनाए गए थे। 2019 में पंजाब जेल से मुख्तार को यूपी के बांदा जेल लाया गया। गैंगस्टर एक्ट के तहत मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, गाजीपुर सहित अलग-अलग शहरों में उसकी करोड़ों की संपत्ति जब्त की गई। गजल होटल सहित कई अन्य मकान पर बुलडोजर चलाया गया।

मुख्तार अंसारी पर 16 आपराधिक मामले दर्ज

बता दें कि मुख्तार अंसारी पर अभी 16 मामलों में सुनवाई हो रही है। विधानसभा 2017 में मुख्तार अंसारी की ओर से दिए गए शपथ पत्र की मानें तो मुख्तार अंसारी पर देश की अलग- अलग अदालतों में हत्या, हत्या के प्रयास, दंगा भड़काने, आपराधिक साजिश रचने, धमकी देने, संपत्ति हड़पने, धोखाधड़ी करने, सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने सहित 16 मामले दर्ज हैं। वाराणसी के कांग्रेस नेता अजय राय के भाई अवधेश राय हत्याकांड मामले में भी मुख्तार पर सुनवाई चल रही है। उस समय पर मकोका और गैंगस्टर एक्ट के तहत 30 से अधिक केस दायर थे। अधिकतर मामलों में सबूत नहीं मिलने और गवाह के पलट जाने के कारण उसे बरी कर दिया गया। फिलहाल, मुख्तार बांदा जेल में है। कृष्णानंद राय हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट से बरी किए जाने के बाद पत्नी अलका राय ने दिल्ली HC में अपील दायर की। जिसकी सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है।

बांदा जिले में इस जुर्म में बंद है मुख्तार अंसारी

बता दें कि मुख्तार अंसारी भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के जुर्म में अभी जेल में हैं। कृष्णानंद राय पर 29 नवंबर 2005 को एके - 47 रायफल से गोलियां चलाईं गई थीं। उनके शरीर से 67 गोलियां पाईं गई थीं। दिन- दहाड़े हुई इस हत्या में कुल छह लोग मारे गए थे। बात दें कि कृष्णानंद राय मोम्मदाबाद सीट से विधायक थे। कृष्णानंद राय की हत्या के मुख्य गवाह शशिकांत राय की 2006 में रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी।

Tags:    

Similar News