फिर चर्चाओं में आए मुनव्वर राना, बोले- तालिबान ने अपने मुल्क को आजाद कराया, उन्हें आतंकी नहीं कह सकते

मुनव्वर राना ने कहा कि तालिबान के मामले को हिंदुस्तानी होकर नहीं सोच सकते हैं, इसको उस हिंदुस्तान की तरह सोचा जाए जो अंग्रेजों की गुलामी में था, जिन्होंने आजाद कराया था....

Update: 2021-08-18 13:09 GMT

(मुनव्वर राना : तालिबान का जो रवैया है उन्हें आतंकवादी या आतंकी नहीं कह सकते हैं। हां, उन्हें अग्रेसिव कहा जा सकता है।)

जनज्वार। अफगानिस्तान से अमेरिका की सेना हटने के साथ ही तालिबान ने बहुत कम समय में काबुल पर कब्जा कर लिया। इसके साथ ही बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नए नियमों की घोषणा की है। तालिबान की दूसरी सरकार ने घोषणा की है कि वह लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति देगा। महिलाएं भी शरिया कानून के तहत इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान सरकार में शामिल होंगी। वहीं अफगानिस्तान में हुए उलटफेर को लेकर भारत में खूब चर्चा चल रही है।

भारत में एक वर्ग तालिबान के खिलाफ जमकर आवाज उठा रहा है तो दूसरा तबका ऐसा भी है जो बातों-बातों में तालिबान के प्रति सहानुभूति जता रहा है। इस बीच मशहूर शायर मुनव्वर राना फिर चर्चाओं में आ गए हैं। मुनव्वर राना का कहना है कि तालिबान ने अपने मुल्क को आजाद करा लिया है तो दिक्कत क्या है।

दरअसल नवभारत टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में मुनव्वर राना का ऑडियो इंटरव्यू का दावा किया है। इसमें एंकर सवाल पूछता है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी, सपा सांसद शफीकुर्रहमान ने तालिबान के समर्थन में बयान दिया, इस पूरे मामले में आप क्या कहेंगे? इसके जवाब में मुनव्वर राना ने कहा कि तालिबान ने सही किया है। अपनी जमीन पर कब्जा तो किसी भी तरह से नहीं किया जा सकता है।

इसपर एंकर कहता है कि तालिबान तो एक आतंकी गुट है। असलहों के दम पर देश में कब्जा कर किया है, लोग मजबूर हैं कि उन्हें हवाई जहाज के पहियों में लटकर वहां से निकलने की कोशिश करनी पड़ रही है।

इस पर मुनव्वर राना ने कहा, "इसमें बहुत दूर तक जाना पड़ेगा। इसको हिंदुस्तानी होकर नहीं सोच सकते हैं। इसको उस हिंदुस्तान की तरह सोचा जाए जो अंग्रेजों की गुलामी में था, जिन्होंने आजाद कराया था। उन्होंने भी अपने मुल्क को आजाद करा लिया तो क्या दिक्कत है।"

जब उनसे कहा गया कि तालिबान प्रवक्ता का बयान आया है कि लड़कियां पढ़ने जाएंगी लेकिन हिजाब पहनना जरूरी है। बाकी रही बात नौकरी की तो अब बनने वाली सरकार तय करेगी। इस पर राना ने कहा, "बिलकुल, इसमें गलत क्या है। हिंदुस्तान का तो अफगानिस्तान दोस्त रहा है। हजारों साल से यह दोस्ती चली आ रही है। उनका वीजा नहीं पड़ता है। उनको हर तरीके की यहां छूट रहती है।"

"बाकी रही बात अफगानिस्तान की तो कभी अमेरिका कब्जा करता है, कभी रूस परेशान करता है। बाकी इस पूरे मामले में वक्त का इंतजार करना चाहिए। दोस्त दुश्मन का फैसला नहीं होता है। जिस मुल्क से हमारे लंबे वक्त से ताल्लुकात रहे हों या यूं कहें कि कभी वो हिंदुस्तान का ही हिस्सा रहा हो। तालिबान का जो रवैया है उन्हें आतंकवादी या आतंकी नहीं कह सकते हैं। हां, उन्हें अग्रेसिव कहा जा सकता है।"

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