Muslim Girl Marriage Age : मुस्लिम राष्ट्रीय मंच महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के लिए चलाएगा देशव्यापी अभियान, इस मामले में संशोधन की करेगा मांग

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (Muslim National Forum ) मुस्लिम महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगा। साथ ही मस्जिदों में महिलाओं के नमाज अदा करने के लिए अलग से स्थान बनाने की मांग को लेकर जनसमर्थन जुटाने की भी मंच की योजना है।

Update: 2022-03-06 05:59 GMT

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के लिए चलाएगा देशव्यापी अभियान।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा शादी की उम्र बढाने के बाद आरएसएस से संबद्ध संस्था मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ( Muslim Rashtriya Manch ) मुस्लिम महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु ( Minimum Marriage Age ) बढ़ाने के मकसद से पर्सनल लॉ यानि शरियत कानून में संशोधन करने को लेकर राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगा। ताकि इस विषय को जनांदोलन बनाया जा सके। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS ) के करीब माने जाने वाले मंच के सूत्रों के मुताबिक मंच इस अभियान के तहत मस्जिदों में महिलाओं के नमाज अदा करने के वास्ते अलग से स्थान बनाने की मांग को लेकर जनसमर्थन जुटाने का प्रयास करेगा।

इस बारे में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि शिक्षित व प्रगतिशील परिवारों के अलावा मुस्लिम महिलाओं की शादी कम आयु में ही हो जाती है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में लड़कियों की ( Muslim Girl Marriage Age )  शादी 12 से 13 वर्ष की आयु में ही हो जाती है। 20 वर्ष की आयु होने तक उनके कई बच्चे हो जाते हैं। ऐसे में मुस्लिम महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाने की जरूरत है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच पर्सनल लॉ में संशोधन करने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगा। ताकि विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाया जा सके।

कम उम्र में शादी का विधान

वर्तमान में शरियत कानून के तहत यौवन शुरू होते ही मुस्लिम महिलाओं की शादी का विधान है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच इसे पुरातन विचार मानता है। उन्होंने कहा कि शिक्षित और संभ्रात परिवारों के अलावा मुस्लिमों में कम उम्र में ही शादी कर दी जाती है।

Marriage Act : हाल ही में केंद्र सरकार ने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 18 साल के 21 साल करने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले के बाद से कई लोग जश्न मनाते दिखाई दिए तो वहीं कुछ लोगों ने तीखी टिप्पणी कर इस फैसला को गलत ठहराया। इस बारे में मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि आज के वक्त में लड़कियां किसी से कम नहीं हैं। हर क्षेत्र में लड़कियों ने कामयाबी हासिल की है। ये वक्त लड़कियों के आगे बढ़ने का है और केंद्र का ये फैसला लड़कियों को उन्नति हासिल करने का मौका देगा।

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