Oral sex Court Verdict : नाबालिग से ओरल सेक्स करना नहीं है 'गंभीर यौन हमला' इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 साल घटा दी आरोपी की सजा

हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषी की सजा 10 से कम कर 7 साल कर दी। साथ ही उस पर 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने याची सोनू कुशवाहा की अपील पर यह फैसला सुनाया...

Update: 2021-11-23 05:28 GMT

(इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से ओरल सेक्स को नहीं माना गंभीर अपराध)

Court Verdict : उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चे के साथ ओरल सेक्स को 'गंभीर यौन हमला' नहीं माना है। अदालत में सोमवार 22 नवंबर को निचली अदालत से मिली सजा के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की गई। हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषी की सजा 10 से कम कर 7 साल कर दी। साथ ही उस पर 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने याची सोनू कुशवाहा की अपील पर यह फैसला सुनाया।

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हालांकि, कोर्ट ने बच्चे से ओरल सेक्स को पॉक्सो एक्ट की धारा-4 के तहत दंडनीय माना, लेकिन कहा कि यह एग्रेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट (गंभीर यौन हमला नहीं) है। लिहाजा, ऐसे मामले में पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और 10 के तहत सजा नहीं सुनाई जा सकती।

निचली अदालत ने ठहराया था दोषी

इससे पहले सेशन कोर्ट ने सोनू कुशवाहा धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध), धारा 506 (आपराधिक धमकी) और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया था। हाईकोर्ट के सामने सवाल यह था कि क्या नाबालिग से ओरल सेक्स पॉक्सो एक्ट की धारा 5/6 या 9/10 के दायरे में आएगी। फैसले में कहा गया कि यह दोनों धाराओं में से किसी में भी नहीं आएगा, लेकिन यह पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय है।

सोनू कुशवाहा ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो अधिनियम, झांसी के निर्णय के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। जिसके तहत उसको दोषी ठहराया गया था। उसके खिलाफ मामला यह था कि वह पीड़ित के घर आया। फिर उसके 10 साल के बेटे को अपने साथ ले गया। उसे 20 रुपए देते हुए उससे ओरल सेक्स किया।

    

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