Nagaland Firing Case : सेना के खिलाफ नागालैंड में हुआ हत्या का मुकदमा दर्ज, वाहनों पर रोक, तनाव जारी

Nagaland case : एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि नागरिकों की हत्या करना ही आर्मी यूनिट का इरादा था, राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की है....

Update: 2021-12-06 06:06 GMT

(भारतीय सेना के 21 पैरा विशेष बलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज)

Nagaland case : नागालैंड पुलिस (Nagaland Police) ने शनिवार शाम मोन जिले में नागरिकों पर गोलीबारी के सिलसिले में भारतीय सेना (Indian Army) के 21 पैरा विशेष बलों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की है। इस घटना में 13 लोगों की मौत हो गई थी। प्राथमिकी में नागालैंड पुलिस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पैरा स्पेशल बलों ने स्थानीय पुलिस को सूचित नहीं किया था। न ही कोई पुलिस गाइड लिया था। इसलिए सेना का कहना है कि यह 'गलत पहचान' थी। प्राथमिकी में पुलिस ने 'सुरक्षा बलों की मंशा नागरिकों की हत्या और घायल करना' बताया है। हिंसा में एक जवान की भी मौत हुई। बाद में एक और घायल ग्रामीण की मौत हो जाने से इस घटना में अब तक कुल 15 लोगों की मौत हो चुकी है।

म्यांमार की सीमा से सटे नागालैंड का मोन जिला AFSPA ACT के तहत है। इसलिए जब तक केंद्र सरकार अनुमति नहीं देती, तब तक सेना पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, किन्तु यह एक दुर्लभ मामला है, जिसमें पुलिस ने नागरिकों पर गोलीबारी के आरोप में सेना के विशेष बलों के खिलाफ स्वत: हत्या के आरोप दायर किए हैं। मोन जिले में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है।

शनिवार 4 दिसंबर की शाम पैरा फोर्सेज के एक ऑपरेशन में गलत पहचान की वजह से 13 ग्रामीणों की गोली लगने से मौत हो गई थी। इसके बाद ग्रामीणों ने असम राइफल के कैम्प पर धावा बोल दिया। इस झड़प में सेना का एक जवान घायल हो गया था, जिसकी रविवार को मौत हो गई। बाद में एक और घायल ग्रामीण की मौत हो जाने से इस घटना में अब तक कुल 15 लोगों की मौत हो चुकी है।

नागालैंड के मोन जिले में धारा 144 लागू करते हुए एक समय में पांच से अधिक लोगों की सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। व्यावसायिक वाहनों सहित गैरज़रूरी वाहनों की आवाजाही को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है। राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के लिए पांच सदस्यों की एक SIT का गठन किया है।

उधर सेना ने भी इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए घटना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दिया है। सेना ने इसमें कहा है कि यह घटना अत्यंत खेदजनक है, लोगों की मौत होने के कारण घटना दुर्भाग्यपूर्ण हो गई है जिसकी उच्च स्तरीय जांच जरूरी है।

वहीं नागालैंड मामले पर आज सदन में च्राच हो सकती है। इसे लेकर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और मणिकम टैगोर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस जारी किया है। इससे पहले रविवार को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर सवाल किया, यह हृदय विदारक है। भारत सरकार को वास्तविक जवाब देना चाहिए। गृह मंत्रालय वास्तव में क्या कर रहा है जब न तो नागरिक और न ही सुरक्षाकर्मी अपनी ही भूमि पर सुरक्षित हैं।

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