National herald and ED Read complete story : कांग्रेस के अखबार नेशनल हेराल्ड में ऐसा क्या हुआ कि पीछे पड़ी है ED

National herald and Ed Read complete story : नेशनल हेराल्ड मामले की जांच में जुटी ईडी तो भाजपा बनाम कांग्रेस के बीच एक आधिकारिक एजेंसी भर है। कांग्रेस के नेता इस बात को जानते हैं इसलिए पार्टी के नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी किसी भी हालत में झुकेंगे नहीं।

Update: 2022-06-15 12:27 GMT

National herald and ED Read complete story : कांग्रेस के अखबार नेशनल हेराल्ड में ऐसा क्या हुआ कि पीछे पड़ी है ED


नेशनल हेराल्ड केस की ABCD पर धीरेंद्र मिश्र की फुल रिपोर्ट


National herald and Ed Read complete story : प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) द्वारा नेशनल हेराल्ड मामले ( National Herald Case ) में लगातार तीसरे दिन यानि बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) से पूछताछ जारी है। इस मामले में ईडी ( ED ) ने कांग्रेस ( Congress ) अध्यक्ष सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi ) को भी समन किया था लेकिन वो इस समय कोरोना संक्रमित हैं और उनका उपचार चल रहा है।

दूसरी तरफ प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) के सामने राहुल गांधी की पेशी को कांग्रेस ने शक्ति प्रदर्शन से जोड़ दिया है। यानि कांग्रेस ईडी को मात देने के लिए मोदी सरकार ( Modi Government ) पर दबाव बनाने में जुटी है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस मामले में पार्टी के सीनियर नेताओं को बेवजह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा परेशान किया जा रहा है। ईडी ( ED ) तो भाजपा बनाम कांग्रेस ( BJP vs Congress ) के बीच एक आधिकारिक एजेंसी भी है, नेशनल हेराल्ड मामले ( National Herald Case ) की जांच में जुटी है। कांग्रेस के नेता इस बात को जानते हैं इसलिए पार्टी के नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) किसी भी हालत में झुकेंगे नहीं। यही वजह है कि ईडी जहां पूछताछ में जुटी है, वहीं कांग्रेस दबाव की राजनीति के जरिए इस मसले पर मोदी सरकार को झुकाना चाहती है।

तय है कि अगर आप नेशनल हेराल्ड केस ( National Herald Case ) को पूरी तरह से समझना चाहते हैं और यह भी जानना चाहते हैं कि ईउी कांग्रेस के पीछे क्यों पड़ी है तो इसके इर्द-गिर्द चल रही राजनीति को पूरी तरह से जानना भी आवश्यक है।

तो आइए हम आपको बताते हैं नेशनल हेराल्ड का कांग्रेस का मुखपत्र बनने से लेकर कानूनी विवाद के पचड़े में फंसने तक का पूरा इतिहास, वो भी बिंदुवार :

1. नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र देश की आजादी के पहले का अखबार है। इस अखबार की शुरुआत इंदिरा गांधी के पिता और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में की थी।

2. नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ( Associated Journals Limited) नाम की कंपनी करती थी। इस कंपनी की स्थापना 1937 में हुई। स्थापना के समय नेहरू के अलावा 5000 स्वतंत्रता सेनानी इसके शेयर होल्डर्स थे। ये कंपनी उर्दू में कौमी आवाज और हिंदी में नवजीवन का प्रकाशित करती थी। यह कंपनी किसी एक व्यक्ति के नाम पर नहीं थी। कंपनी का कानूनी या संस्थागत स्वरूप ट्रस्ट फॉर्मेशन जैसा है।

3. स्वतंत्रता संग्राम के दौर में जनहितैषी होने की वजह से नेशनल हेराल्ड स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज को स्थान देने वाला प्रमुख मुखपत्र बन गया। इसका मकसद कांग्रेस में उदारवादी धड़े के विचारों और चिंताओं और संघर्ष को मंच प्रदान करना था। देश के पहले पीएम पंडित नेहरू इस अखबार में संपादकीय लिखते थे और ब्रिटिश सरकार की नीतियों की सख्त आलोचना करते थे।

4. ब्रिटिश हुकूमत को नेशनल हेराल्ड का जनहितैषी होने की वजह से चुभने लगा। परिणाम यह निकला कि हिज मैजिस्टी ने चार साल बाद यानि 1942 में समाचार पत्र पर बैन लगा दिया।

5. तीन साल बाद यानि 1945 में इस अखबार को फिर से शुरू किया गया। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली, नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने अखबार के बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे दिया।

6. दूसरी तरफ अखबार का प्रकाशन जारी रहा और कई नामी पत्रकार इसके संपादक बने। आजादी के बाद नेशनल हेराल्ड अखबार कांग्रेस की नीतियों के प्रचार-प्रसार का मुखर जरिया बना रहा।

7. 1962-63 में 0.3365 एकड़ जमीन दिल्ली-मथुरा रोड पर 5A बहादुर शाह जफर मार्ग पर एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड AJL को आवंटित की गई।

8. 10 जनवरी, 1967 को एजेएल भवन निर्माण के लिए भूमि और विकास कार्यालय (एलएंडडीओ) द्वारा कंपनी के पक्ष में स्थायी लीज डीड बनाई गई। इसमें कहा गया कि बिल्डिंग का उपयोग अखबार प्रकाशन के सिवाय और किसी मकसद के लिए इस्तेमाल नहीं होगा।

9. गैर लाभकारी संस्था की वजह से अखबार कभी प्रोफिट की स्थिति में नहीं आई। इसका प्रकाशन बीच—बीच में रुकने के बाद जारी रहा।

10. 2008 में कांग्रेस की अगुवाई में जब यूपीए सत्ता में आई तो अखबार का प्रकाशन एक बार फिर बंद कर दिया गया। कंपनी वित्तीय घाटे में होना इसकी वजह बना। बताया गया कि एजेएल अखबार संचालन के खर्चे नहीं उठा पा रही है।

11. 2010 में इस कंपनी के 5000 से घटकर 1057 शेयर होल्डर्स रह गए थे।

12. इस बीच 2010 में एक नई कंपनी यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) नाम से अस्तित्व में आई। उस समय राहुल गांधी कांग्रेस महासचिव थे। वही इस कंपनी के डायरेक्टर भी बने। कंपनी की स्थापना 5 लाख रुपए से की गई थी। कंपनी का 38 फीसदी शेयर राहुल गांधी के पास और 38 फीसदी शेयर उनकी मां सोनिया गांधी के पास थे। शेष 24 फीसदी शेयर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, पत्रकार सुमन दुबे और कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के पास थे। इनमें से मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज का निधन हो चुका है।

13. 2011 में घाटे में चल रही एजेएल कंपनी के होल्डिंग को यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिए गए। उस समय होल्डिंग ट्रांसफर को लेकर सवाल उठने पर कांग्रेस का कहना था कि यंग इंडिया एक अलाभकारी कंपनी है और इसके शेयरधारकों और डायरेक्टर्स को कोई लाभांश नहीं दिया गया है।

14. 2012 में भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने निचली अदालत में एक शिकायत दर्ज करवाई। अपनी शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखाधड़ी किया गया। इसमें कांग्रेस के कुछ नेता शामिल थे। YIL ने नेशनल हेराल्ड की संपत्ति पर गैर कानूनी तरीके से अधिग्रहण किया।

15. सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि गांधी परिवार ने कांग्रेस पार्टी के फंड का इस्तेमाल कर AJL का अधिग्रहण कर लिया। भाजपा नेता स्वामी के आरोपों की मानें तो इसके पीछे मुख्य मकसद दिल्ली के बहादुरशाह जफर मार्ग स्थित एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की 2000 करोड़ रुपए की सपत्ति पर कब्जा करने की थी। बताया तो यह भी जा रहा है कि बहादुरशाह जफर मार्ग स्थित प्रॉपर्टी 2000 करोड़ से अधिक की है।

16. यहां पर यह जानना जरूरी है कि 2008 में नेशनल हेराल्ड बंद हो रहा था तब तक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड पर कांग्रेस का 90 करोड़ रुपए का कर्ज था। यानि कांग्रेस ने अखबार का संचालन करने के लिए अपने फंड से एजेएल को 90 करोड़ का लोन दिया था। ये लोन अखबार का संचालन फिर से करने के लिए दिया गया था लेकिन अखबार का संचालन प्रोफिट में करना संभव नहीं हो पाया। घाटे में होने की वजह से AJL कांग्रेस का कर्ज नहीं चुका पाया।

17. एजेएल के कर्ज न चुका पाने की क्षमता की कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की 90 करोड़ रुपए की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। इसका अर्थ ये हुआ कि पार्टी ने एजेएल को 90 करोड़ का लोन दे दिया था।

18 . सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि यंग इंडिया लिमिटेड ने 90 करोड़ रुपए की वसूली के अधिकार को प्राप्त करने के लिए मात्र 50 लाख रुपए का भुगतान किया था, जो कि एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था। 2010 में यंग इंडिया ने इस 50 लाख के बदले कर्ज को माफ कर दिया और AJL पर यंग इंडिया का नियंत्रण हो गया।

19. स्वामी ने आरोप लगाया कि इसके साथ ही यंग इंडिया ने AJL की दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, मुंबई और दूसरे शहरों में मौजूद संपत्तियों पर कब्जा कर लिया।

20. इस आधार पर सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज कराया। स्वामी ने आरोप लगाया कि गांधी परिवार ने छल-कपट का इस्तेमाल कर करोड़ों की संपत्ति को दुर्भावनापूर्ण तरीके से अधिग्रहण कर लिया। AJL को अवैध ऋण दिया गया, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था। चूंकि, कांग्रेस पर गांधी परिवार का कब्जा है और इस परिवार के खिलाफ कांग्रेस में कोई बोलने रि हिम्मत नहीं जुटा पाता। इस स्थिति का लाभ उठाकर गांधी परिवार ने कांग्रेस से एजेएल को 90 करोड़ का लोन दिलाया। एक योजना के तहत यंग इंडिया लिमिटेड की स्थापना की। यंग इंडिया में 76 फीसदी स्टेक होल्डर राहुल गांधी और सोनिया गांधी बनीं। उसके बाद एजेएल का वाईआईएल में विलय कर दिया गया। चूंकि, किसी स्टेक होल्डर्स ने आवाज नहीं उठाई, इसलिए बिना किसी बाधा के सबकुछ होता रहा लेकिन पूरा भुगतान न होने की वजह से ही गांधी परिवार का नाम इसमें आया। गांधी परिवार पर ये आरोप लगा कि उन्होंने केवल 50 लाख रुपए का भुगतान किया जबकि एजेएल 2000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति वाली कंपनी है।

21. सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों पर मामला अदालत में पहुंचने पर कांग्रेस ने कहा कि इस मामले में स्वामी को सुने जाने का कोई अधिकार (Locus standi) नहीं है। ये केस सिर्फ राजनीतिक दुर्भावना से फाइल किया गया है।

22. कांग्रेस का दावा है कि जब हेराल्ड का प्रकाशन करने वाले एजेएल को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा तो कांग्रेस ने उसे बचा लिया क्योंकि वह अपनी ऐतिहासिक विरासत में विश्वास करती थी।

23. कांग्रेस का कहना है कि AJL के पास अभी भी नेशनल हेराल्ड का मालिक, प्रिंटर और प्रकाशक है और आगे भी बना रहेगा। अभी संपत्ति का कोई परिवर्तन या हस्तांतरण नहीं हुआ है।

24. 2008 में अखबार का प्रकाश बंद होने के बाद 2016 में नेशनल हेराल्ड का डिजिटल वर्जन फिर से लॉन्च किया गया और वो चल भी रहा है।

25. नेशनल हेराल्ड का मामला अदालत में पहुंचने के बाद 2014 में ED ने इस केस की जांच शुरू की। ED यह पता लगाना चाहती थी कि क्या इस केस में किसी तरह की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। ED की जांच चलती रही। 26 जून 2014 को अदालत ने सोनिया और राहुल को आरोपी के रूप में अदालत में समन किया।

26. सितंबर 2015 में ED ने फिर से इस केस की जांच शुरू की।

27. 19 दिसंबर, 2015 को सोनिया और राहुल इस मामले में पटियाला कोर्ट में पेश हुए और अदालत द्वारा उन्हें जमानत मिल गई। तभी से दोनों जमानत पर हैं।

28. 2016 में भी इस केस में सुनवाई चलती रही। सुप्रीम कोर्ट ने सोनिया-राहुल के खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया लेकिन कोर्ट ने इसके बदले सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस और सुमन दुबे को कोर्ट में पेश होने से छूट जरूर दे दी।

29. इस मामले में घपले की आशंका को देखते हुए 2018 में केंद्र सरकार ने 56 साल पुराने पट्टे को समाप्त कर हेराल्ड हाउस परिसर से AJL को इस आधार पर बेदखल करने का फैसला किया। केंद्र ने एजेएल के बाद वाईआईएल में छपाई से जुड़ी गतिविधियां न होने को इसके लिए आधार बनाया गया। कहा गया कि 1962 में छपाई के कार्य के लिए एजेएल के साथ यह एग्रीमेंट हुआ था इसलिए L&DO ने AJL को 15 नवंबर 2018 तक बिल्डिंग हवाले करने को निर्देश दिया।

30. फरवरी 2019 में गांधी परिवार इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा। अक्टूबर, 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने AJL को बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कि इस बिल्डिंग का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है। इसमें न तो कोई प्रिटिंग की जा रही है और न ही पब्लिशिंग। 1962 में भारत सरकार ने ये जमीन प्रिंटिंग और प्रकाशन के लिए मुहैया कराई थी। साथ ही कहा गया था कि इस संपत्ति का इस्तेमाल और किसी काम के लिए नहीं हो सकता है।

31. इस आदेश के खिलाफ कंपनी ने 15 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटचखटाया। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी आदेश के मुताबिक सार्वजनिक परिसर (Eviction of Unauthorised Occupants) एक्ट 1971 के अनुसार AJL के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक है। साथ ही हेराल्ड हाउस खाली करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर भी रोक है।

32. इसके बाद ईडी एक बार फिर से एक्शन में आई और मई 2019 में ईडी ने नेशनल हेराल्ड की 16.38 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की। इसके बाद अप्रैल 2022 में मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से पूछताछ की थी।

33. 1 जून 2022 को ED ने इस मामले में सोनिया और राहुल को हाजिर होने का नोटिस भेजा। सोनिया गांधी का कोरोना उपचार चल रहा है। राहुल गांधी से पिछले तीन दिनों से ईडी पूछताछ में जुटी है। कांग्रेस ने कहा कि ये राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित कार्रवाई है और वे झुकेंगे नहीं।

ED नहीं, कांग्रेस के पीछे तो कोई और है

दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) नेशनल हेराल्ड हाउस मामले ( National herald Case ) में केवल जांच एजेंसी की भूमिका में है। हर जांच एजेंसी जनता द्वारा चुनी सरकार की नीतिगत फैसले के तहत काम करती है। चूंकि, 2014 से केंद्र में मोदी सरकार है। सरकार ने नेशनल हेराल्ड केस में ईडी से जांच कराने का फैसला लिया है। इसलिए ईडी कार्यकारी आदेशों में अनुरूप केवल अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में जुटी है। जांच कराने की पीछे भाजपा ( BJP ) की मंशा क्या हो सकती है, ये तो किसी से छुपी नहीं है, लेकिन ये भी तय है एजेएल ( AJL ) का वाईआईएल ( YIL ) में विलय नियमानुसार नहीं हैं। बस, इसी बिंदु पर भाजपा-कांग्रेस ( BJP-Congress) के बीच सियासी खेल जारी है।



(जनता की पत्रकारिता करते हुए जनज्वार लगातार निष्पक्ष और निर्भीक रह सका है तो इसका सारा श्रेय जनज्वार के पाठकों और दर्शकों को ही जाता है। हम उन मुद्दों की पड़ताल करते हैं जिनसे मुख्यधारा का मीडिया अक्सर मुँह चुराता दिखाई देता है। हम उन कहानियों को पाठक के सामने ले कर आते हैं जिन्हें खोजने और प्रस्तुत करने में समय लगाना पड़ता है, संसाधन जुटाने पड़ते हैं और साहस दिखाना पड़ता है क्योंकि तथ्यों से अपने पाठकों और व्यापक समाज को रू-ब-रू कराने के लिए हम कटिबद्ध हैं।

हमारे द्वारा उद्घाटित रिपोर्ट्स और कहानियाँ अक्सर बदलाव का सबब बनती रही है। साथ ही सरकार और सरकारी अधिकारियों को मजबूर करती रही हैं कि वे नागरिकों को उन सभी चीजों और सेवाओं को मुहैया करवाएं जिनकी उन्हें दरकार है। लाजिमी है कि इस तरह की जन-पत्रकारिता को जारी रखने के लिए हमें लगातार आपके मूल्यवान समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है।

सहयोग राशि के रूप में आपके द्वारा बढ़ाया गया हर हाथ जनज्वार को अधिक साहस और वित्तीय सामर्थ्य देगा जिसका सीधा परिणाम यह होगा कि आपकी और आपके आस-पास रहने वाले लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित करने वाली हर ख़बर और रिपोर्ट को सामने लाने में जनज्वार कभी पीछे नहीं रहेगा, इसलिए आगे आयें और जनज्वार को आर्थिक सहयोग दें।)

Tags:    

Similar News