National Herald Case : ED ने 2015 में NHC की फाइल कर दी थी बंद, सालों बाद सोनिया-राहुल को क्यों किया समन, कहां फंसा है पेंच?

National Herald Case : प्रवर्तन निदेशालय ने साल 2015 में नेशनल हेराल्ड केस की फाइल बंद कर दी थी, इसलिए नए सिरे से जांच शुरू करने पर को लेकर एजेंसी की मंशा पर सवाल उठाये जा रहे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि यह सब केंद्र सरकार के इशारे पर हो रहा है।

Update: 2022-06-02 10:37 GMT

National Herald Case : ED ने 2015 में NHC की फाइल कर दी थी बंद, सालों बाद सोनिया-राहुल को क्यों किया समन, कहां फंसा है पेंच?


नेशनल हेराल्ड मामले में ED के समन पर धीरेंद्र मिश्र की रिपोर्ट

National Herald Case : नेशनल हेराल्ड से जुड़े मामले ( NHC ) की फाइल प्रवर्तन निदेशलय ( Enforcement Department ) ने 2015 में बंद करने के बाद फिर से खोल दी है। इस बार ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi ) और सांसद राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) को पेश होने के लिए समन भेजा है। सोनिया गांधी से 8 जून और राहुल गांधी से 6 जून को पूछताछ हो सकती है। हालांकि, राहुल गांधी इन दिनों विदेश दौरे पर हैं। उन्होंने ईडी के सामने पेश होने के लिए कुछ समय मांगा है। दूसरी तरफ गुरुवार को सोनिया गांधी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। यानि मां-बेटे से पूछताछ का मामला आगे के लिए टल सकता है। इससे पहले अप्रैल, 2022 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे अपना बयान दर्ज कराने के लिए ईडी दफ्तर पहुंचे थे। इसके बाद ईडी ने कांग्रेस नेता पवन बंसल का बयान भी दर्ज किया था।

समन जारी करने के पीछे क्या है मंशा?

प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) ने साल 2015 में नेशनल हेराल्ड केस ( National Herald Case ) की फाइल बंद कर दी थी, इसलिए नये सिरे से जांच शुरू करने पर को लेकर एजेंसी की मंशा पर सवाल उठाये जा रहे हैं। कांग्रेस ( Congress ) का आरोप है कि यह सब केंद्र सरकार के इशारे पर हो रहा है। कांग्रेस के नेता पूछ रहे हैं कि आखिर 7 साल बाद अचानक सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi ) और राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) को समन जारी करने के पीछे ईडी की मंशा क्या है? ईडी दोनों से क्या जानना चाहती है, अचानक ऐसा क्या हो गया कि ईडी ने इसकी जांच फिर से शुरू कर दी है? जांच एजेंसी की ओर से इसका जवाब अभी तक नहीं दिया गया है। यही वजह है कि एजेंसी की मंशा पर सवाल उठाये जा रहे हैं। ऐसा होना स्वभाविक भी है।

मां-बेटे से क्या जानना चाहती है ED?

इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। माना जा रहा है कि जांच एजेंसी के अधिकारी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट ( PMLA  ) के तहत बयान दर्ज करने के अलावा नेशनल हेराल्ड केस ( NHC ) में वित्तीय लेनदेन में सभी की भूमिका के बारे में जानकारी हासिल करना चाहती है।

ये हैं नेशनल हेराल्ड के आरोपी

प्रवर्तन निदेशालय ने साल 2018 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा द्वारा पंचकुला में आवंटित एक भूखंड के संबंध में एजेएल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग ( Money Laundering ) जांच शुरू की थी। ईडी ने एजेएल पर भूखंड धोखाधड़ी से हासिल करने का आरोप लगाते हुए भूखंड को कुर्क कर लिया था। हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर हुड्डा इस मामले में एजेंसी द्वारा दर्ज केस में आरोपी हैं। इस मामले में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिवंगत नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा भी आरोपी हैं।

National Herald Case  : 2012 के बाद कब-क्या हुआ?

2014 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड केस के सभी आरोपियों को ये कहते हुए समन जारी किया कि सबूत उनके खिलाफ हैं। अगस्त 2014 में ईडी ने अपनी छानबीन शुरू की। ईडी ने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू की कि क्या इसमें कोई मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है या नहीं? सितंबर 2015 में भी ईडी ने जांच की, जिसके बाद दिसंबर 2015 में पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी को जमानत दे दी। जब कार्यवाही को रद्द करने के लिए अपील की गई तो फरवरी 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। दूसरी तरफ 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को रद्द करने के सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अनुरोध को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इसके बदले सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस और सुमन दुबे को कोर्ट में पेश होने से छूट जरूर दे दी। इसके बाद ईडी एक बार फिर से एक्शन में आई और मई 2019 में ईडी ने नेशनल हेराल्ड की 16.38 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की। इसके बाद अप्रैल 2022 में मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से पूछताछ की थी। अब ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नोटिस जारी किया है।

BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी का दावा - यहां फंसा है पेंच

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने करीब 10 साल पहले यानि 2012 में कांग्रेस नेताओं पर यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के अधिग्रहण में धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाया था। इस बाबत उन्होंने एक शिकायत भी दर्ज कराई थी। स्वामी का कहना है कि आयकर अधिनियम के तहत कोई भी राजनीतिक संगठन किसी तीसरे पक्ष के साथ वित्तीय लेनदेन नहीं कर सकता। जबकि यंग इंडिया लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपए की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपए का भुगतान किया, जो एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड पर कांग्रेस का बकाया था।

दरअसल, नेशनल हेराल्ड 1938 में जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा स्थापित एक समाचार पत्र था। यह मूल रूप से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ( AJL ) द्वारा प्रकाशित किया गया था। अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड एजेएल के पास था। एजेएल दो और अखबार छापा करती थी। इनके नाम हैं हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज। 1956 में एजेएल को गैर व्यावसायिक कंपनी के तौर पर स्थापित किया गया। साथ ही इसे कंपनी एक्ट धारा 25 से कर मुक्त कर दिया गया।

इसके बावजूद 2008 में कांग्रेस से 90 करोड़ रुपए का बिना ब्याज कर्ज लेने के बाद भी इसे चलाया नहीं जा सका और यह बंद हो गया। 2010 में एजेएल को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ( YIL ) (वाईआईएल) ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ निदेशक मंडल में ले लिया था। इसके बाद कंपनी का 76 प्रतिशत शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी और बाकी यानि 24 प्रतिशत शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास आ गया। कांग्रेस पार्टी ने अपना 90 करोड़ का लोन नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ द एसोसिएट जर्नल ने सारा शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। इसके बदले में यंग इंडियन ने महज 50 लाख रुपये द एसोसिएट जर्नल को दिए।

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि यंग इंडियन प्राइवेट ने केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ वसूलने का उपाय निकाला जो नियमों के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया। एक साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को एजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया।

यंग इंडियन इंडियन को अधिकार देने के लिए एजेएल के 10-10 रुपए के नौ करोड़ शेयर यंग इंडियन दिए गए। इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। इसके बाद कांग्रेस ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया। यानी यंग इंडियन को मुफ्त में एजेएल का स्वामित्व मिल गया। भाजपा नेता स्वामी इसी को एक घोटाला मानते हैं।

यहां पर सवाल यह उठाया गया कि कंपनी 90 करोड़ रुपए के ब्याज मुक्त लोन का भुगतान करने की स्थिति में नहीं थी इसलिए उन्होंने अपनी सारी हिस्सेदारी यंग इंडिया लिमिटेड को दे दी, जो गांधी परिवार की थी। इसके लिए वाईआईएल ने केवल 50 लाख रुपए ही दिए। पूरा भुगतान न करने की वजह से ही गांधी परिवार का नाम इसमें आया। गांधी परिवार पर ये आरोप लगा कि उन्होंने केवल 50 लाख रुपए का भुगतान किया। जबकि एजेएल 2000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति वाली कंपनी है।

2018 में केंद्र ने लिया था बेदखली का फैसला

National Herald Case : इस मामले में घपले की आशंका को देखते हुए 2018 में केंद्र सरकार ने 56 साल पुराने पट्टे को समाप्त कर हेराल्ड हाउस परिसर से AJL को इस आधार पर बेदखल करने का फैसला किया। एजेएल के बाद वाईआईएल में छपाई से जुड़ी गतिविधियां न होने को इसके लिए आधार बनाया गया। चूंकि, 1962 में छपाई के कार्य के लिए एजेएल के साथ यह एग्रीमेंट हुआ था इसलिए L&DO ने AJL को 15 नवंबर 2018 तक बिल्डिंग हवाले करने को निर्देश दिया। इस आदेश के खिलाफ कंपनी ने 15 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटचखटाया। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी आदेश के मुताबिक सार्वजनिक परिसर (Eviction of Unauthorised Occupants) एक्ट 1971 के अनुसार AJL के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक है।


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