NGT की कड़ी फटकार के बाद DC ने स्वीकारा - पहाड़ पर चल रहा अवैध खनन, ट्रिब्यूनल ने दो सप्ताह के भीतर मांगी रिपोर्ट

NGT : 'धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति' द्वारा एनजीटी में दायर याचिका की दूसरी सुनवाई 11 मार्च को हुई, एनजीटी ने धजवा पहाड़ मामले की सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन को जमकर फटकार लगाई एवं दो हफ्तों के अंदर रिपोर्ट मांगी....

Update: 2022-03-15 12:48 GMT

NGT की कड़ी फटकार के बाद DC ने स्वीकारा - पहाड़ पर चल रहा अवैध खनन, ट्रिब्यूनल ने दो सप्ताह के भीतर मांगी रिपोर्ट

विशद कुमार की रिपोर्ट

NGT : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की ओर से कड़ी फटकार लगने के बाद झारखंड के पलामू के उपायुक्त (DC) शशि रंजन ने स्वीकार किया है कि जिले के पांडू प्रखंड में धजवा पहाड़ पर अवैध खनन चल रहा है। डीसी ने एनजीटी में चल रही सुनवाई के दौरान अवैध खनन की बात शपथ पत्र के जरिए स्वीकार की।

डीसी ने ट्रिब्यूनल के समक्ष दिए शपथ पत्र में कहा कि प्रथम दृष्टया धजवा पहाड़ पर अवैध खनन (Illegal Mining) चल रहा है। इसको रोकने के आदेश भी दे दिए हैं। साथ ही जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का भी गठन किया गया है। शपथ पत्र में अवैध खनन की स्वीकारोक्ति पर ट्रिब्यूनल (NGT) ने कहा, जब प्रशासन मान रहा है कि वहां अवैध खनन चल रहा है तो कमेटी बनाकर किसका इंतजार किया जा रहा है।

हालांकि ट्रिब्यूनल ने कमिटी को दो सप्ताह में अवैध खनन की रिपोर्ट देने को कहा है। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई 5 अप्रैल को तय की है। बता दें कि जिले के पांडू-प्रखंड क्षेत्र के कुटमू पंचायत के बरवाही गांव से सटे धजवा पहाड़ को बचाने के लिए पिछले 117 दिनों से ग्रामीण आंदोलनरत हैं।


बताते चलें कि 'धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति' द्वारा एनजीटी में दायर याचिका की दूसरी सुनवाई 11 मार्च को हुई। एनजीटी ने धजवा पहाड़ (Dhajwa Hill) मामले की सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन को जमकर फटकार लगाई एवं दो हफ्तों के अंदर रिपोर्ट मांगी।

पहली सुनवाई मे उपायुक्त (DC) को स्वयं जाकर जांच करने को लेकर नोटिस मिलने के बाद जिला प्रशासन ने एनजीटी को शपथ पत्र के माध्यम से बताया कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पहाड़ का अवैध खनन हो रहा है व तत्काल खनन पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया गया है।

साथ ही उपायुक्त की तरफ से यह भी बताया गया कि मामले में हाई लेवल कमिटी की गठन की गई है जो पूरे मामले का जांच कर अपना रिपोर्ट देगी। इस पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने कहा कि जब अवैध खनन की बात स्वीकारी जा रही है तो कमेटी बनाकर किसका इंतजार किया जा रहा है। सीधे तौर पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही।

एनजीटी ने कमेटी को 2 सप्ताह के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा। इसके अलावे एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी इस मामले में एक पार्टी बनाते हुए बोर्ड को यह निर्देश दिया की कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड यह आकलन करे जिसमें पर्यावरण को होने वाला नुकसान, नुकसान की भरपाई में लगने वाला खर्च, जिस व्यक्ति ने यह नुकसान किया उससे कितनी राशि जुर्माना के तौर पर वसूली जाए समेत अन्य बातों का आकलन करने का निर्देश दिया।

पिछले 117 दिनों से धजवा पहाड़ बचाने को आंदोलनरत ग्रामीण आंदोलनकारियों की मेहनत अब रंग ला रही है। पूरी तरह से संवैधानिक आंदोलन चलाते हुए आंदोलनकारियों ने अब लगभग अपनी जीत सुनिश्चित कर ली है।


झारखंड प्रदेश की यह विडंबना है जहां किसान-मजदूर 3 महीने से ज्यादा वक्त से भी एक पहाड़ की तलहटी में खुले आसमान के नीचे सरकार से पहाड़ बचाने की मांग को लेकर बैठे हैं, फिर भी न तो किसी प्रशासनिक अधिकारी ने और न ही राज्य सरकार के किसी भी प्रतिनिधि ने उनकी सुध ली। उल्टे सरकार के सभी नुमाइंदे पहाड़ माफिया के साथ खड़े दिख रहे हैं।

धजवा पहाड़ बचाने के अर्जी पर स्थानीय प्रशासन एवं सरकार से निराशा हाथ लगने के बाद गरीब मजदूर किसानों ने एनजीटी में गुहार लगाई। मामले पर एनजीटी की कड़ी प्रतिक्रिया देख पूरी प्रशासन व्यवस्था पहाड़ माफिया सहित सभी दोषियों को बचाने के लिए लगातार कोशिशें कर रही है।

धजवा पहाड़ (Dhajwa Hill) बचाने के इस आन्दोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाले युगल पाल कहते हैं कि यह कैसी विडम्बना है कि पिछली सरकार की कुव्यवस्था से ऊबकर झारखंड प्रदेश के दलितों,आदिवासियों एवं पिछड़ों ने वर्तमान सरकार को इस उम्मीद से वोट दिया था कि यह सरकार गरीब किसान मजदूरों की जमीन की रक्षा करते हुए जंगल पहाड़ बालू जैसी प्राकृतिक संपदा को भी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित करेगी लेकिन इसके वर्तमान सरकार ठीक विपरीत प्रदेश की भोली-भाली जनता के साथ धोखा करते हुए किसानों की जमीन सहित सारी प्राकृतिक संपदाओं को भी अवैध तरीके से पूंजीपतियों एवं माफियाओं के हाथों बेचने में लगी है। जिसका जीता जागता उदाहरण धजवा पहाड़ है।

वे बताते हैं कि अभी हाल ही में बरवाही गांव के लगभग 6 किसानों की जमीन जिसका फर्जी लीज संवेदक को दिया गया है, जिसे उन किसानों ने गांव के जमींदार से लगभग 15 साल पहले खरीदा है। उस जमीन का केवाला किसानों के पास मौजूद है, लेकिन उस केवाला को अंचल अधिकारी ने अमान्य करार दिया है एवं उस जमीन के संवेदक को दिए गए फर्जी लीज को सही ठहराने में जुटे रहे हैं।

वे कहते हैं, 'सभी पीड़ित किसानों ने डीसीएलआर की कोर्ट में इस मामले को दायर किया है। पिछले लगभग 2 साल से जंगल, पहाड़, बालू एवं किसानों की जमीन लूटने वाली इस सरकार से त्रस्त हो चुके गरीब मजदूर किसानों के लिए अब न्यायालय का दरवाजा खटखटाना ही न्याय का एकमात्र रास्ता बचा है। इस तरह से पूंजीपतियों एवं माफियाओं को संरक्षण देने वाली ऐसी शासन व्यवस्था पूरे लोकतांत्रिक व्यवस्था को शर्मसार करती है।'


'धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति' के अध्यक्ष संजय पासवान सहित ग्रामीणों ने कहा कि शिवालिया कंपनी ने यहां क्रशर प्लांट लगाया है। कंपनी ने खाता संख्या 174 प्लॉट संख्या 1046 लीज करायी है। जबकि, धजवा पहाड़ प्लॉट संख्या 1048 में है। यह फॉरेस्ट का है, इसका लीज नहीं है। बावजूद कंपनी पोकलेन लगाकर पहाड़ में से पत्थर निकाल रही। इस कार्य को रोकने के लिए धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले ग्रामीण अक्टूबर से लगातार संघर्ष कर रहे हैं पर डीसी से लेकर सीएम तक, किसी ने कार्रवाई नहीं की।

अब एनजीटी में 'धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति' की ओर से याचिका दायर की गई। पिछली सुनवाई में एनजीटी ने पलामू डीसी को दो सप्ताह का समय देते हुए मामले में रिपोर्ट मांगी है। याचिका में बताया गया कि उच्च अधिकारियों को क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन की जानकारी थी। इसके बावजूद कार्रवाई नहीं की गई। सीओ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि जांच रिपोर्ट में स्पष्ट है कि अवैध खनन किया जा रहा है। मामले की शिकायत डीसी से लेकर मुख्यमंत्री तक की गई है। इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी पार्टी बनाया गया है।

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