मोदी सरकार को नहीं पता किसने बनाया आरोग्य सेतु ऐप, सूचना आयोग ने जनसूचना अधिकारियों को भेजा कारण बताओ नोटिस

केंद्रीय सूचना आयोग ने सरकार के गोलमोल जवाब को लेकर यह नोटिस भेजा है, आयोग ने कहा कि अधिकारियों द्वारा सूचना देने से इनकार किए जाने को स्वीकार नहीं किया जाएगा....

Update: 2020-10-28 12:34 GMT

नई दिल्ली। कोविड-19 लॉकडाउन के साथ आरोग्य सेतु ऐप को लॉन्च किया गया था, शुरुआत से ही यह ऐप विवादों में रहा है। अब केंद्रीय सूचना आयोग ने नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर से जवाब मांगा है कि जब आरोग्य सेतु ऐप की वेबसाइट पर उनका नाम है तो फिर उनके पास ऐप के डेवलपमेंट को लेकर कोई डिटेल क्यों नहीं है? केंद्रीय सूचना आयोग ने इस मामले में कई जन सूचना अधिकारियों समेत नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और एनआईसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

नोटिस में उनसे जवाब मांगा गया है कि उन्होंने करोड़ों लोगों द्वारा इस्तेमाल की जा रही इस कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप को लेकर डाली गई एक आरटीआई आवेदन का स्पष्ट रूप से जवाब क्यों नहीं दिया है?

बता दें कि कोरोना की कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग के लिए केंद्र सरकार इस आरोग्य सेतु ऐप को शुरुआत से ही बढ़ावा देती रही है। अब चूंकि यह ऐप की वेबसाइट कहती है कि इसे एनआईसी और आई मंत्रालय ने डेवलप किया लेकिन इस ऐप को लेकर डाली गई एक आरटीआई में दोनों ने कहा है कि उनके पास इसकी जानकारी नहीं है कि एस ऐप को किसने डेवलप किया है। 

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केंद्रीय सूचना आयोग ने सरकार के गोलमोल जवाब को लेकर यह नोटिस भेजा है। आयोग ने कहा कि अधिकारियों द्वारा सूचना देने से इनकार किए जाने को स्वीकार नहीं किया जाएगा। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक सामाजिक कार्यकर्ता सौरव दास ने सूचना आयोग से शिकायत की थी कि ऐप के डेवलप मेंट को लेकर कई मंत्रालय स्पष्ट सूचना देने में असफल रहे थे।

सूचना आयोग ने सभी संबंधित इकाइयों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है औऱ पूछा है कि आखिर सूचना देने में रूकावट पैदा करने और आरटीआई आवेदन पर गोलमोल जवाब देने के आरोप में उनपर क्यों न कार्रवाई की जाए।

रिपोर्ट के मुताबिक सामाजिक कार्यकर्ता सौरव दास ने आरोग्य सेतु ऐप के शुरुआती प्रस्ताव, इसको मिली मंजूरी का विवरण, इस काम में शामिल कंपनियों, व्यक्ति और सरकारी विभागों को लेकर सूचना मांगी थी। उन्होंने इस ऐप के डेवलपमेंट से जुड़े लोगों के बीच हुए सूचना के आदान-प्रदान की प्रतियां भी मांगी थीं। हालांकि उनका आवेदन दो महीनों तक अलग-अलग सरकारी विभागों के बीच घूमता रहा।

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