अमित मालवीय के ट्वीट के आधार पर दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद के खिलाफ दर्ज की थी FIR, नहीं देखा असली वीडियो- वकील
उमर खालिद के वकील ने अदालत को बताया कि रिपब्लिक टीवी ने दिल्ली पुलिस को दिए अपने जवाब में कहा है कि फुटेज उनके कैमरामेन ने रिकॉर्ड नहीं की थी और इसे अमित मालवीय ने ट्वीट किया था.....
जनज्वार। दिल्ली की एक अदालत में सीएए विरोधी हिंसा के आरोपी बनाए गए जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश हुए वकील त्रिदीप पेस ने कहा कि जिस वीडियो के आधार पर उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए की गंभीर धाराएं लगाई गई हैं वो वीडियो भाजपा नेता अमित मालवीय के ट्वीट से लिया गया था।
वकील त्रिदीप पेस ने अदालत में कहा, आपके पास एक यूट्यूब वीडियो है जो एक ट्वीट से कॉपी किया गया है। पत्रकार ने वहां जाने और उपस्थितरहने की जिम्मेदारी नहीं ली। इसे एक राजनेता के ट्वीट से कॉपी किया। ये पत्रकारिता की मौत है।
पेस ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मीडिया हाउसों को चिट्ठी लिखी थी और रॉ फुटेज की मांग की थी। इसके जवाब में टीवी चैनलों की ओर से कहा गया था कि उन्होंने अमित मालवीय के ट्वीट से वीडियो लिया था। उमर के वकील ने यह भी दावा किया कि पुलिस ने असली वीडियो नहीं देखा था लेकिन टीवी की खबरों के आधार पर उन्होंने 6 मार्च 2020 को एफआईआर दर्ज कर ली।
वकील ने आगे कहा कि एफआईआर नंबर 59/2020 को दर्ज नहीं होना चाहिए था क्योंकि इसका कोई सुबूत नहीं था। 6 मार्च को जब उन्होंने एफआआईआर दर्ज की तो उनके पास कोई अन्य जानकारी नहीं थी। आमतौर पर जब कोई अपराध होता है तो अपराध होने के आधार पर एफआईआर दर्ज की जाती है। साफ है कि दिल्ली पुलिस के पास रिपब्लिक टीवी और सीएनएन न्यूज 18 के अलावा कुछ नहीं था।
कानूनी मामलों की समाचार वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत मामले की सुनवाई कर रहे थे। उमर खालिद पर लगे आरोपों को उनके वकील ने खारिज किया और कहा कि न्यूज चैनलों ने खालिद द्वारा दिए गए भाषण का एक छोटा हिस्सा काटकर चलाया था। वकील ने कहा कि चैनलों ने जो रिपोर्ट दिखाई उसमें खालिद ने जो एकता और सद्भाव की बातें कहीं थीं उनकों नहीं दिखाया।
उन्होंने कहा कि रिपब्लिक टीवी ने दिल्ली पुलिस को दिए अपने जवाब में कहा है कि फुटेज उनके कैमरामेन ने रिकॉर्ड नहीं की थी और इसे अमित मालवीय ने ट्वीट किया था। वकील ने इसे पत्रकारिता की मौत करार दिया और कहा कि खालिद ने एकता को लेकर महात्मा गांधी का जिक्र किया था लेकिन इसे आतंक की संज्ञा दी गई।
उन्होंने अदालत को बताया कि खालिद अपने भाषण में लोकतांत्रिक सत्ता की बात कर रहे थे। उन्होंने हिंसा या हिंसक तरीकों का आह्वान नहीं किया था। पपेस ने अदालत में खालिद के भाषण की पूरी क्लिप भी चलाई।
बता दें कि दिल्ली पुलिस की ओर उमर खालिद पर आरोप हैं कि उन्होंने 8 जनवरी 2020 को अन्य आरोपियों के साथ मिलकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान दंगे भड़काने की साजिश रची थी। उमर खालिद के वकील ने इसका खंडन किया है और कहा कि ट्रंप की यात्रा के बारे में विदेश मंत्रालय ने 11 फरवरी 2020 को जानकारी दी थी।
पेस ने कहा कि खालिद व अन्य के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर 59/2020 पूरी तरह से अनावश्यक थी और इसका ड्राफ्ट तैयार किया गया था।