Online Education: छात्रों को खुलेआम चूना लगा रहे हैं ऑनलाइन एजुकेशन प्लैटफॉर्म्स, कड़े कानून के अभाव में हो रही लूट

Online education: 10% ग्राहकों का कहना था कि अगर कोई पैसा भरने के बाद इंतजामों से नाराज होकर पढ़ाई छोड़ना चाहे तो उन्हें फीस का रिफंड नहीं मिलता।

Update: 2022-06-08 13:16 GMT

Online Education: छात्रों को खुलेआम चूना लगा रहे हैं ऑनलाइन एजुकेशन प्लैटफॉर्म्स, कड़े कानून के अभाव में हो रही लूट

Online education: कोविड लॉकडाउन के दौरान अंधाधुंध कमाई करने वाले ऑनलाइन एजुकेशन प्लैटफॉर्म्स की पोल लोकल सर्किल्स के एक सर्वे ने खोल दी है। सर्वे में इन प्लैटफॉर्म्स का उपयोग करने वाले भारत के 69% ग्राहकों ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जरूरी ढांचागत इंतजाम नाकाफी हैं। इसके साथ ही शिक्षकों की योग्य भी कमतर है। सबसे बड़ी बात इन स्टार्टअप्स द्वारा लूट की सामने आई है। 10% ग्राहकों का कहना था कि अगर कोई पैसा भरने के बाद इंतजामों से नाराज होकर पढ़ाई छोड़ना चाहे तो उन्हें फीस का रिफंड नहीं मिलता। लोगों का कहना है कि छात्रों को चूना लगने से बचाने के लिए सरकार को कड़े कानून बनाने चाहिए।

चौंकाने वाले हैं सर्वे के नतीजे

लोकल सर्किल्स का यह सर्वे एक अप्रैल से 31 मई के बीच देश के 323 जिलों में किया गया था। इसमें 27 हजार लोगों ने भाग लिया। इसमें 69% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें ऑनलाइन कोचिंग क्लास में बहुत परेशानी होती है। 9% छात्रों ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ढांचागत इंतजाम काफी नहीं हैं, जबकि 19% छात्रों का कहना था कि शिक्षण स्टाफ की काबिलियत कमतर है। यानी दोयम दर्जे के शिक्षकों से ऑनलाइन क्लासेस करवाई जा रही है। 10% छात्रों का कहना था कि उन्हें रिफंड नहीं मिला। यानी जिस छात्रों ने इंतजामों से नाखुश होकर बीच में ही क्लासेस छोड़ दी, उन्हें उनकी फीस वापस नहीं मिली। 17% बच्चे ऐसे थे, जिन्हें ये सभी शिकायतें थीं। वहीं, 11% बच्चों ने कहा कि उन्हें और उनके परिजनों को ढांचागत इंतजाम और शिक्षण की गुणवत्ता से जुड़ी शिकायतें हैं। केवल 31% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें ऑनलाइन कोचिंग क्लासेस से कोई शिकायत नहीं है।

कोविड काल में की थी अंधाधुंध कमाई

कोविड काल में स्टार्टअप्स के रूप में खुले इन ऑनलाइन एजुकेशन प्लैटफॉर्म्स ने अंधाधुंध कमाई की थी। मार्केट इंटेलीजेंस फर्म होलोन आईक्यू के मुताबिक 2020 में इन कंपनियों ने 2.3 बिलियन डॉलर कमाए, जो 2021 में बढ़कर 3.8 बिलियन डॉलर हो गए। लॉकडाउन के दौरान सरकार ने भी ऑनलाइन शिक्षा का खूब प्रचार किया, लेकिन अब सामने आ रहा है कि इन कोचिंग क्लासेस ने छात्रों को न केवल जमकर चूना लगाया, बल्कि उनके साथ आपराधिक धोखाधड़ी भी की है। माना जा रहा है कि इस साल ऑनलाइन कोचिंग का व्यापार 3.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, वह भी तब जबकि कोविड लॉकडाउन खत्म हो चुका है और सरकार ने सभी राज्यों में फिजिकल एजुकेशन को मंजूरी दे दी है।

बच्चों के मां-बाप की शिकायतें

ऑनलाइन क्लासेस में भारी-भरकम फीस भरकर बच्चों का दाखिला कराने वाले मां-बाप का कहना है कि इन एजुकेशन प्लैटफॉर्म्स ने अभी वेबसाइट में नियम-शर्तें नहीं बताई हैं। इसके अलावा इन कंपनियों के सेल्स एजेंट लोगों को झूठे ख्वाब दिखाकर पंजीयन करा लेते हैं और फिर नाखुश होने पर फीस वापस न करने की बात कहकर कन्नी काट लेते हैं। कुछ मां-बाप इस मुद्दे को उपभोक्ता अदालतों में भी लेकर गए हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली है। इस मामले में एक नाम बायजू का सामने आ रहा है, जिसे उपभोक्ता अदालतों के अलावा मनमाने रवैए के लिए कोर्ट से भी फटकार लगी है। अब बच्चों के 96% मां-बाप का कहना है कि सरकार को नियम बनाकर यह अनिवार्य कर देना चाहिए कि इन ऑनलाइन एजुकेशन प्लैटफॉर्म्स अपनी वेबसाइट में कैंसिलेशन और रिफंड की अपनी नीति को लिखें। फिलहाल ऑनलाइन एजुकेशन प्लैटफॉर्म्स को इंडस्ट्रियल कोड, यानी नियमों से संचालित किया जा रहा है। लेकिन अभिभावकों का कहना है कि इन्हें सरकारी नियम-कानूनों के हिसाब से चलना चाहिए।

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