संसद में उठी जोरदार मांग, लॉकडाउन में जान गवां चुके प्रवासी मजदूरों को मिले मुआवजा

कांग्रेस ने सरकार के कार्यों पर सवाल उठाते हुए मांग की है कि लॉकडाउन के दौरान जान गंवा चुके प्रवासी मजदूरों और गरीबों के परिजनों को मुआवजा दिया जाये...

Update: 2020-09-17 04:24 GMT

लॉकडाउन के दौरान उद्योग-धंधे बंद हो जाने से परेशान बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने गृह राज्यों को चल पड़े थे  (File photo)

जनज्वारलॉकडाउन के दौरान मृत हुए प्रवासी मजदूरों का मामला संसद में भी गूंजा। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने देश के कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे उपायों पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने सरकार के कार्यों पर सवाल उठाते हुए मांग की है कि लॉकडाउन के दौरान जान गंवा चुके प्रवासी मजदूरों और गरीबों के परिजनों को मुआवजा दिया जाये।

संसद में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के कोविड महामारी पर दिये वक्तव्य पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि बिना तैयारी के घोषित लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों और गरीबों को बहुत परेशानी उठानी पड़ी है।

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सवाल कि केन्द्र सरकार ने राज्यों के परामर्श के बिना लॉकडाउन की घोषणा कैसे की। उन्होंने संकट काल में सरकार द्वारा सांसद विकास निधि समाप्त किये जाने की भी निंदा की। उन्होंने केन्द्र से कहा कि वह राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस महामारी को फैलने से रोकने के उपाय करे।

सपा के रवि प्रकाश वर्मा ने लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा किये जा रहे उपायों पर सवाल उठाया।

डीएमके के त्रिचि सिवा ने कहा कि देश के 50 लाख लोग कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बाद की स्थिति से प्रभावित हैं और देश की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। टीआर के केशव राव ने कहा कि केन्द्र को लॉकडाउन के बाद की स्थिति से निपटने के लिए राज्यों को विश्वास में लेना चाहिए।

राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने भी सरकार की नीतियों की आलोचना की। जद (यू) के आरसीपी सिंह ने प्रवासी शब्द पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति भारतवासी है।

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