Pariksha Pe Charcha : 'माता-पिता अपने विचार बच्चों पर न थोपें', परीक्षा पर चर्चा में क्या-क्या बोले PM मोदी?

Pariksha Pe Charcha : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि परीक्षा जीवन का हिस्सा है, जो तैयारी कर रहे हैं उस पर भरोसा रखें....

Update: 2022-04-01 06:52 GMT

Pariksha Pe Charcha : 'माता-पिता अपने विचार बच्चों पर न थोपें', परीक्षा पर चर्चा में क्या-क्या बोले PM मोदी?

Pariksha Pe Charcha : मन की बात कार्यक्रम के 87वें एपिसोड के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) परीक्षा पर चर्चा (Pariksha Par Charcha) कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि माता पिता को अपने विचारों को बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए। मोदी ने इस कार्यक्रम के दौरान क्या क्या कहा, नीचे पढ़ें-

  • ये मेरा बड़ा प्रिय कार्यक्रम है लेकिन कोरोना के कारण बीच में आप जैसे सातियों से मिल नहीं पाया। मेरे लिए आज का कार्यक्रम विशेष खुशी का है, क्योंकि एकलंबे अंतराल के बाद आप सबसे मिलने का मौका मिल रहा है।
  • त्योहारों के बीच में एग्जाम भी होते हैं। इस वजह से त्योहारों का मजा नहीं ले पाते। लेकिन अगर एग्जाम को ही त्योहार बना दें तो उसमें कई रंग भर जाते हैं।
  • मन में तय कर लीजिए कि परीक्षा जीवन का हिस्सा है। हमारी विकास यात्रा के ये छोटे-छोटे पड़ाव हैं। इस पड़ाव से पहले भी हम गुजर चुके हैं। पहली भी हम कई बार परीक्षा दे चुके हैं। जब ये विश्वास पैदा हो जाता है तो आने वाले एग्जाम के लिए ये अनुभव आपकी ताकत बन जाता है।
  • अपने इन अनुभवों को जिस प्रक्रिया से आप गुजरे हैं उसको आप कतई छोटा मत मानिए। दूसरा आपके मन में जो पैनिक होता है, उसके लिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप किसी दबाव में मत रहिए। जितनी सहज दिनचर्या आपकी रहती है, उसी सहज दिनचर्या में आप अपने आने वाले परीक्षा के समय को बिताइए।
  • जब आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं, या रील देखते हैं? दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है।  क्लासरूम में भी कई बार आपका शरीर क्लासरूम में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होंगी, लेकिन कान में एक भी बात नहीं जाती होगी, क्योंकि आपका दिमाग कहीं और होगा।
  • मन कहीं और होगा तो सुनना ही बंद हो जाता है। जो चीजें ऑफलाइन होती हैं, वही ऑनलाइन भी होती हैं। इसका मतलब है कि माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है। माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, अगर मन पूरा उसमें डूबा हुआ है, तो आपके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन का कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
  • आज हम डिजिटल गैजेट के माध्यम से बड़ी आसानी से और व्यापक रूप से चीजों को प्राप्त कर सकते हैं। हमें इसे एक opportunity मानना चाहिए, न कि समस्या।
  • दिन भर में कुछ पल ऐसे निकालिए, जब आप ऑनलाइन भी नहीं होंगे, ऑफलाइन भी नहीं होंगे बल्कि इनरलाइन होंगे। जितना अपने अंदर जाएंगे, आप अपनी ऊर्जा को अनुभव करेंगे। अगर इन चीजों को कर लेते हैं तो मुझे नहीं लगता कि ये सारे संकट आपके लिए कोई कठिनाई पैदा कर सकते हैं।
  • 2014 से ही हम नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के काम पर लगे थे। हिंदुस्तान के हर कोने में इस काम के लिए इस विषय पर brainstorming हुआ। देश के अच्छे विद्वान, जो लोग साइंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े थे, उसके नेतृत्व में इसकी चर्चा हुई। उससे जो ड्राफ्ट तैयार हुआ उसे फिर लोगों के बीच भेजा गया, उस पर 15-20 लाख इनपुट आए। इतने व्यापक प्रयास के बाद नई शिक्षा नीति आई है।
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