Parliament Attack 2001 : आज ही के दिन हुआ था लोकतंत्र के मंदिर पर हमला, पांच आतंकी समेत 14 लोगों की हुई थी मौत

Parliament Attack 2001 : संसद पर हुए आतंकी (Parliament Attack 2001) हमले को आज यानी 13 दिसंबर को 20 साल पूरे हो गए हैं। आज ही के दिन 2001 में आतंकियों ने सुरक्षा में सेंध लगाते हुए संसद परिसर में हमला किया था।

Update: 2021-12-13 06:44 GMT

आज ही के दिन हुआ था लोकतंत्र के मंदिर पर हमला

Parliament Attack 2001 : संसद पर हुए आतंकी (Parliament Attack 2001) हमले को आज यानी 13 दिसंबर को 20 साल पूरे हो गए हैं। आज ही के दिन 2001 में आतंकियों ने सुरक्षा में सेंध लगाते हुए संसद परिसर में हमला किया था। हमारे जांबाज जवानों ने आतंकियों को करारा जवाब दिया था। हमले में शामिल सभी पांच आतंकवादी (Terrorist) मारे गए थे और आठ सुरक्षा कर्मी भी शहीद हो गए थे। हमले में एक माली की भी जान गई थी। ये आतंकवादी पाकिस्तान (Pakistan) स्थित आतंकवादी संगठन से थे। हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में काफी तनाव उत्पन्न हो गया था। हमले के समय तत्‍कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत 100 सांसद संसद भवन में मौजूद थे।

5 आतंकियों ने किया था हमला

आतंकवादियों के संसद भवन पर किए हमले से पूरा देश सन्न रह गया था। 13 दिसंबर 2001 को 5 हथियारबंद आतंकियों ने संसद भवन पर बमों और गोलियों से हमला किया था। इस हमले में 14 लोग मारे गए थे। इस हमले में शामिल 5 आतंकवादी भी थे। लश्कर ए तैयब्बा और जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने पूरी तैयारी के साथ संसद भवन पर हमला बोला था। उनके पास से पूरे संसद भवन को उड़ा देने की क्षमता रखने वाले विस्फोटक पाए गए थे। उनके पास इतने हथियार थे कि वो सैनिकों की एक बटालियन से मुकाबला कर सकते थे।

सदन को 45 मिनट के लिए किया गया था स्थगित

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार आज से ठीक बीस साल पहले 13 दिसंबर 2001 की सुबह तक सब कुछ सामान्य था। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका था। विपक्षी सांसद ताबूत घोटोले को लेकर कफन चोर, गद्दी छोड़, सेना खून बहाती है, सरकार दलाली खाती है, के नारे लगाकर राज्यसभा और लोकसभा में हंगामा कर रहे थे। जिसके बाद सदन को 45 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया था। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी संसद से घर की ओर जा चुके थे। जबकि उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत अन्य सांसद संसद में ही मौजूद थे। तभी सफेद एंबेसडर कार से जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकी संसद भवन परिसर में प्रवेश करते हैं। एक आतंकी संसद भवन के गेट पर ही खुद को बम से उड़ा लेता है। 

उपराष्ट्रपति के सुरक्षा गार्ड आए सामने

उस समय उपराष्ट्रपति के ड्राइवर शेखर संसद में राज्यसभा के गेट नंबर 11 के बाहर उनके आने का इंतजार कर रहे थे। तभी धमाके की आवाज सुनते ही शेखर की नजरें दूसरी ओर मुड़ती हैं। वो कुछ समझ पाते इतनी ही देर में उनकी कार को आतंकवादी टक्कर मारते हैं और नीचे उतरते ही ताबड़तोड़ गोलियां दागना शुरू कर देते हैं। शेखर अपनी जान बचाते हुए कार के पीछे छुप जाते हैं। इसके तुरंत बाद उपराष्ट्रपति के सुरक्षा गार्ड भी मोर्चा संभाल लेते हैं और दोनों ओर से गोलियों की आवाज आना शुरू हो जाती है। 

सुरक्षाकर्मी ने तेजी से संसद भवन के दरवाजों को किया था बंद

बताया गया कि गोलियों की आवाज सुनते ही आणवाडी संसद भवन स्थित अपने दफ्तर से बाहर निकलते हैं लेकिन सुरक्षाकर्मी उन्हें रोक देते हैं। हमले की जानकारी देते हैं। इतना सुनते ही आडवाणी अपने दफ्तर वापस लौट जाते हैं और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को फोन लगाते हैं। इतनी ही देर में सुरक्षाकर्मी तेजी से संसद भवन के दरवाजों को बंद कर देते हैं, जिस वजह से कोई बड़ा हमला होने से बच गया। 

जसवंत सिंह की डायरी

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार जसवंत सिंह की डायरी 'इंडिया एट रिस्क' में वे लिखते हैं कमरा नंबर 27, संसद के गेट नंबर 12 से मुश्मिल से 20 फीट की दूरी पर ही मैं अपने दफ्तर में बैठा फाइलों को देख रहा था। गोलियों की आवाज सुनी तो लगा कि किसी सुरक्षकर्मी की आंख लग गई होगी और ट्रिगर दब गया होगा। तभी धमाके की भी आवाज सुनाई दी। राघवन दौड़ता हुआ आया और बोला, सर ये क्या है? मैनें कहा-जिसका मुझे इतने दिन से डर था, वो शायद हो गया है। अफरातफरी मची थी, दरवाजे बंद कर दिए गए थे और लोग इधर-उधर भाग रहे थे। बाहर से गोलीबारी की आवाज अंदर तक साफ सुनाई दे रही थी। 

पांच आतंकी समेत 14 लोगों की हुई थी मौत 

संसद भवन पर हुए इस हमले में सुरक्षाबलों ने सभी आतंकियों को मार गिराया था। दिल्ली पुलिस के अनुसार, मारे गए आतंकियों में हैदर उर्फ तुफैल, मोहम्मर राना, रणविजय, हमला शामिल थे। इसके अलावा सबसे पहले कांस्टेबल कमलेश कुमारी यादव शहीद हुईं। इसके बाद संसद का एक माली, दो सुरक्षाकर्मी और दिल्ली पुलिस के छह जवान भी शहीद हो गए। 

इस आतंकी हमले के पीछे मोहम्मद अफजल गुरु, एसए आर गिलानी और शौकत हुसैन समेत पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई शामिल थे। 12 साल बाद नौ फरवरी 2013 को हमले में आरोपी अफजल गुरु को फांसी दे दी गई थी। 

पीएम मोदी ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2001 में आज ही के दिन संसद पर हुए हमले में आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को सोमवार को श्रद्धांजलि दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया है कि 'मैं उन सभी सुरक्षा कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जो 2001 में संसद हमले के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए शहीद हो गए थे. राष्ट्र के लिए उनकी सेवा तथा सर्वोच्च बलिदान हर नागरिक को प्रेरित करता है।'

राष्‍ट्रपति ने भी दी श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2001 संसद हमले में शहीद हुए सुरक्षा कर्मियों को सोमवार 13 दिसंबर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि राष्ट्र उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए हमेशा उनका आभारी रहेगा। राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट किया है कि 'मैं उन बहादुर सुरक्षा कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने 2001 में आज ही के दिन एक नृशंस आतंकवादी हमले के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए राष्ट्र सदैव उनका आभारी रहेगा।' इसके अलावा गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। 

Tags:    

Similar News