पेगासस जासूसी मामला : CJI रमना ने याचिकाकर्ताओं से कहा- 'हद पार न करें, सोशल मीडिया पर बहस से बचें'

पेगासस जासूसी मामले में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की ओर से 9 अर्जियां दाखिल की गई हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई है....

Update: 2021-08-10 12:30 GMT

(सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं से कहा, "किसी को हद पार नहीं करनी चाहिए। सभी की बात सुनी जाएगी)

जनज्वार। पेगासस जासूसी मामले पर मंगलवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का जवाब दाकिल करने के लिए और समय मांगा। इसके बाद कोर्ट सुनवाई सोमवार 16 अगस्त तक के लिए टाल दी है। इस मामले को लेकर सोशल मीडिया और वेबसाइट्स पर चल रही बहस पर आपत्ति जताते हुए सीजेआई जस्टिस एनवी रमना ने याचिकाकर्ताओं को अनुशासन बरतने की हिदायत दी।

सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं से कहा, "किसी को हद पार नहीं करनी चाहिए। सभी की बात सुनी जाएगी। हम बहस के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन मामला कोर्ट में है तो इसकी बात यहीं होनी चाहिए। सोशल मीडिया पर बहस का उचित माध्यम चुनें और व्यवस्था का कुछ सम्मान करें।"

बता दें कि पेगासस जासूसी मामले में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की ओर से 9 अर्जियां दाखिल की गई हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई है।

इससे पहले पांच अगस्त को सीजेआई ने सुनवाई करते हुए कहा था कि अगर जासूसी से जुड़ी रिपोर्ट सही है तो ये गंभीर आरोप हैं। उन्होंने याचिकाकर्ताओं से यह भी कहा था कि वे अपनी-अपनी अर्जियों की कॉपी केंद्र सरकार को मुहैया करवाएं ताकि कोई नोटिस लेने के लिए मौजूद रहे।

याचिकाकर्ताओं की केंद्र को तुरंत नोटिस जारी करने की मांग को सीजेआई ने खारिज कर दिया था और कहा था कि जासूसी की रिपोर्ट 2019 में सामने आयी थी। मुझे नहीं पता कि और अधिक जानकारी जुटाने के लिए लिए क्या प्रयास किए गए। अभी मामला क्यों उठा है। याचिकर्ता कानून के जानकार लोग हैं लेकिन अपने पक्ष से संबंधित सामग्री जुटाने में इतनी मेहनत नहीं की है कि हम जांच का आदेश दे सकें। जो खुद को प्रभावित बता रहे हैं, उन्होंने एफआईआर ही नहीं कराई।

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