पेगासस जासूसी कांड : सैकड़ों सामाजिक व नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने CJI को पत्र लिख तत्काल हस्तक्षेप की लगाई गुहार

पत्र में कहा गया है कि मानवाधिकार कार्यकर्तओं को जेल में डाल दिया गया है और यौन उत्पीड़न पीड़िताओं को भी सरकार प्रायोजित इस तरह के साइबर-अपराध से बख्शा नहीं जा रहा है..

Update: 2021-07-29 15:03 GMT

(पेगासस जाजूसी प्रकरण में हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र ने अदालत से मांगा समय)

जनज्वार। पेगासस स्पाइवेयर कांड को लेकर एक तरफ जहां देश का विपक्ष लगातार संसद में विरोध कर रहा है, वहीं अब देशभर के 500 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना को पत्र लिखने वालों ने आश्चर्य जताते हुए कहा है कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल छात्राओं, शिक्षा से जुड़े लोगों, पत्रकारों, मानवाधिकार के संरक्षण से जुड़े लोगों, वकील और यौन प्रताड़ना के शिकार पीड़िताओं की जासूसी के लिए किया जा रहा था। 

बताया जा रहा है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लिखे इस पत्र पर अरूणा रॉय, अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर जैसे नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, वृंदा ग्रोवर, झूमा सेना जैसी प्रख्यात वकीलों ने हस्ताक्षर किये हैं। पत्र लिखने वालों ने प्राइवेसी पॉलिसी और डेटा सुरक्षा जैसे मुद्दों को भी सामने लाया है।

पत्र में कहा गया है, ''महिलाओं के लिए, पेगासस कांड बहुत चिंतित करने वाला है, राज्य (सरकार) के खिलाफ या देश में ऊंचे पदों पर बैठे पुरूषों के खिलाफ आवाज उठाने का मतलब है कि उनका जीवन (आवाज उठाने वाली का) इस तरह की निगरानी से स्थायी रूप से बर्बाद कर दिया जाएगा।"

पत्र में आगे कहा गया है, ''मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया है और यौन उत्पीड़न पीड़िताओं को भी सरकार प्रायोजित इस तरह के साइबर-अपराध से बख्शा नहीं जा रहा है, जो शासन के आतंक का डिजिटल रूप है।"

बता दें कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों के संगठन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि इजरायल के पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए 300 से ज्यादा लोगों के फोन और डेटा की निगरानी की गई हो सकती है। इस दावे के बाद से ही हड़कंप मचा है और विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है।

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