प्रसिद्ध विश्व भारती विश्वविद्यालय की संपत्तियों को लोगों ने पहुंचाया नुकसान, ममता बोलीं, 'वे नहीं कर सकती हैं हस्तक्षेप'
स्थानीय लोगों ने विश्वविद्यालय द्वारा एक खाली मैदान में दीवार खड़ा करने का विरोध किया। लोगों का कहना था कि इससे उनकी आजीविका प्रभावित होगी। वह जमीन विश्वविद्यालय की ही है...
जनज्वार। पश्चिम बंगाल (West Bengal)के बीरभूम जिले में स्थित प्रसिद्ध विश्व भारती विश्वविद्यालय (Shanti Niketan Vishwa Bharati) की संपत्तियों को लोगों ने नुकसान पहुंचाया व तोड़फोड़ की है। यह घटना सोमवार (17 August 2020) की है जब विश्वविद्यालय प्रबंधन के द्वारा एक चाहरदीवारी खड़ी करवायी जा रही थी। इस विश्वविद्यालय की ख्याति गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर (Ravindra Nath Tagore) द्वारा इसकी स्थापना को लेकर है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी यहां पढाई की थी।
मौके पर जुटे स्थानीय लोगों ने पौष मेला मैदान में खड़ी की गई दीवार को ढाह दिया और ऐसा करने का विरोध किया। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर को बंद कर दिया। पौष मेला मैदान में हर साल मेला लगता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वहां दीवार खड़ी करने से उनकी आजीविका प्रभावित होगी।
मालूम हो कि पर्यावरण प्रदूषण को लेकर अदालत ने मेले के आयोजन पर रोक लगा दी है। शांति निकेतन में 100 बीघा खुली जमीन है, जिस पर किसी तरह की आवाजाही की रोक-टोक नहीं रही है। इसी जमीन पर मेला लगता था, इसी को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ है।
प्रभात खबर अखबार में छपी खबर के अनुसार, जिस मैदान में पौष मेला लगता है उस पर दीवार खड़ी करने के लिए 61 लाख रुपये स्वीकृत किया गया है। स्थानीय लोग सुबह में वहां मार्निंग वाक करते हैं। विश्वविद्यालय ने पिछले सप्ताह से वहां दीवार खड़ा कराने का काम शुरू कराया था, लेकिन सोमवार को लोग आक्रोशित हो गए और सीमेंट, बालू व अन्य सामान उठा कर फेंक दिया और अबतक जितनी दीवार खड़ी की गई थी उसे तोड़ दिया। लोगों ने अन्य ढांचों को तोड़ दिया।
करीब 50 स्थानीय लोगों ने विरेाध प्रदर्शन किया और तोड़-फोड़ की। दीवार को स्थानीय लोगों के अनधिकृत रूप से परिसर में प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से किया जा रहा था। इस मामले में कुलपति विद्युत चक्रवर्ती की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इससे पहले शनिवार को बोलपुर व्यवसायी समिति ने इस साल से पौष मेला रोके जाने की कोशिशों का विरोध किया था और कहा था कि मेले का आयोजन जरूर होगा। पौष मेले के आयोजन की शुरुआत रवींद्रनाथ ठाकुर के पिता महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर ने 1894 में की थी। इस मेले में हस्तकला, कस्तकरघा, शिल्प के वस्तुओं की बिक्री होती है और सांस्कृतिक आयोजन भी होता है। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन ने 1951 में इस मेले के आयोजन की जिम्मेवारी खुद ले ली।
ममता बोलीं, 'केंद्रीय विश्वविद्यालय है, मैं हस्तक्षेप नहीं कर सकती हूं'
इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banergee) ने कहा है कि उन्हें पूरी घटना की जानकारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी उन्हें फोन किया था लेकिन विश्व भारती एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है इसलिए वे इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं।
ममता बनर्जी ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस यूं ही दाखिल नहीं हो सकती है, हालांकि उन्होंने जिलाधिकारी को कहा है कि वे वीसी, छात्रों व स्थानीय लोगों से बात कर मामले का हल निकालें।