PM Care Fund Expose : फंड लिया PM मोदी के नाम पर और अब कहते हैं ट्रस्ट है पीएम केयर फंड

PMO द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में जानकारी दी गई है कि PM केयर्स फंड एक चैरिटेबल ट्रस्ट है, पारदर्शिता के लिहाज से इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाता है...

Update: 2021-09-25 04:12 GMT

PMO की सफाई : PM CARES फंड से सरकार का कोई वास्ता नहीं

जनज्वार, दिल्ली। PM केयर्स फंड के विवाद को लेकर PMO के तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब पेश किया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अवर सचिव प्रदीप श्रीवास्तव ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा पेश करते हुए कहा कि पीएमओ केयर्स फंड में केंद्र या राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। यह फंड भारत सरकार से नहीं बल्कि एक चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा, पीएमओ के तरफ से दाखिल जवाब में कहा गया है कि इस कोष में आने वाली राशि भारत सरकार की संचित निधि में नहीं जाता है।

सूचना के अधिकार (RTI) के दायरे में लाने को लेकर याचिका

आपको बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में पीएम केयर्स फंड को संविधान के तहत राज्य घोषित करने और RTI के अंदर लाने को लेकर याचिका दायर की गई है। यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में वकील सम्यक गंगवाल ने दायर की है। याचिकाकर्ता ने इसमें पीएम केयर्स फंड को संविधान के तहत राज्य घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है, ताकि इसकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। सम्यक गंगवाल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के बीच PM- CARES फंड की शुरुआत की गई थी। इस फंड के जरिए कोरोना के कारण जूझ रहे देश के नागरिकों को सहायता प्रदान करने का उद्देश्य था। लेकिन मार्च में शरु किए गए ट्रस्ट को लेकर दिसंबर 2020 में जानकारी दी गई कि यह संविधान या संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के अधीन नहीं है। फिर पीएम केयर्स फंड के वेबसाइट के डोमेन में 'gov' का उपयोग क्यों किया गया।

PMO की सफाई, PM CARES फंड से सरकार का कोई वास्ता नहीं

इस याचिका पर 22 सितंबर को PMO द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में जानकारी दी गई है कि PM केयर्स फंड एक चैरिटेबल ट्रस्ट है जो पूरी पारदर्शिता के साथ काम करता है। इसके फंड का ऑडिट एक ऑडिटर द्वारा किया जाता है। पारदर्शिता के लिहाज से इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाता है। साथ ही, अवर सचिव ने जवाब में कहा कि ट्रस्ट को जो भी पैसा दान के रुप में मिला वो ऑनलाइन, चेक या फिर डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से मिला है। ट्रस्ट इस फंड से जुड़े सभी खर्चों का ब्यौरा अपनी अधिकारिक वेबसाइट पर अपडेट करता है । दाखिल जवाब में कहा गया कि पीएम केयर्स फंड को न तो सूचना के अधिकार ( RTI) अधिनियम के दायरे में 'पब्लिक अथॉरिटी' के रूप में लाया जा सकता है, और न ही इसे "राज्य" के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है।

ट्विटर पर #PMCaresFund_Scam पर दंगल

दिल्ली हाईकोर्ट में PMO द्वारा दिए गए जवाब के बाद ट्विटर पर पीएम केयर्स फंड को लेकर चर्चा तेज हो गई। लोग मोदी सरकार को निशाने पर लेने लगे। 23 सितंबर को ट्विटर पर #PMCaresFund_Scam देशभर में ट्रेंड करने लगा। लोग प्रधानमंत्री से सवाल पूछने लगे कि जिस फंड में दान देने को लेकर वे नेशनल टीवी पर अपील करते नजर आए, आज सरकार क्यों कह रही है कि इससे सरकार का कोई लेनादेना नहीं है। लोगों ने इसे राहत के नाम पर घोटाला और चोरी का नाम तक दे दिया।

आपको बता दें कि पीएम केयर्स फंड के वेबसाइट पर सिर्फ वित्त वर्ष 2019-20 में आए अंशदान की जानकारी उपलब्ध है, वो भी सिर्फ पांच दिन, यानि 27 से लेकर 31 मार्च तक। वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इन पांच दिनों में ट्रस्ट को फंड के नाम पर 3076 करोड़ रुपए हासिल हुए। लेकिन वेबसाइट के मुताबिक इनमें से 3100 करोड़ रुपए कोविड-19 प्रबंधन से संबंधित राहत कार्यों के लिए आबंटित किए गए हैं। देश के करोड़ो लोगों ने जिस फंड को सरकार का कोष समझ कर अपने पैसे दान में दिए, आज सरकार इसे अपना फंड कहने को तैयार ही नहीं है। ऐसे में देश की जनता खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

अब देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली हाईकोर्ट इन याचिकाओं पर क्या रुख अपनाती है। मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई को लिए 27 सितंबर की तारीख निर्धारित की है।

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