Pradhan Mantri Sangrahalaya : नवनिर्मित संग्रहालय की क्या है खासियत, पंडित नेहरू की यादों से क्या है इसका संबंध?

Pradhan Mantri Sangrahalaya : प्रधानमंत्री संग्रहालय आजादी की लड़ाई से लेकर संविधान निर्माण तक की कहानी बताएगा। साथ ही इसमें देश के सभी 14 पूर्व प्रधानमंत्रियों की यादों को सहेजा गया है। पहले यह स्थान तीन मूर्ति भवन के नाम से लोकप्रिय था।

Update: 2022-04-14 06:54 GMT

Pradhan Mantri Sangrahalaya : नवनिर्मित संग्रहालय की क्या है खासियत, पंडित नेहरू की यादों से क्या है इसका संबंध?

Pradhan Mantri Sangrahalaya : देश की राजधानी दिल्ली में बनाए गए प्रधानमंत्री संग्रहालय ( Pradhan Mantri Sangrahalaya ) का उद्घाटन गुरुवार यानि 14 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) ने उद्घाटन किया। इसमें देश के अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों के कार्यों का प्रदर्शन होगा। पहले इसे नेहरू संग्रहालय भवन ( Nehru Museum Building ) के नाम से जाना जाता था। प्रधानमंत्री संग्रहालय में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ( pandit jawaharlal Nehru )  के जीवन और योगदान के साथ उनको दुनियाभर से प्राप्त उपहारों का प्रदर्शन किया जाएगा।

ये है पीएम संग्रहालय का मकसद

प्रधानमंत्री संग्रहालय ( Pradhan Mantri Sangrahalaya ) का मकसद लोगों में नेताओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है। यही वजह है कि इसे भारत के 14 पूर्व प्रधानमंत्रियों पर संग्रहालय केर रूप में विकसित किया गया है। साथ ही कहा गया है कि यह संग्रहालय सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान को लोगों के सामने लाएगा, चाहे उनकी विचारधारा या कार्यकाल कुछ भी हो। प्रधानमंत्री संग्रहालय ( Pradhan Mantri Sangrahalaya ) पुराने और नए का एक मिश्रण है। इसमें तत्कालीन नेहरू संग्रहालय भवन भी शामिल है। इसे पीएम संग्रहालय ब्लॉक-1 के रूप में नामित किया गया है। इस संग्रहालय में पं. जवाहरलाल नेहरू के जीवन और योगदान से संबंधित अब तक की सारी जानकारियां पेश की गई हैं। दुनिया भर से उन्हें मिले उपहार भी पुनर्निर्मित ब्लॉक 1 में प्रदर्शित किए गए हैं।

प्रधानमंत्री संग्रहालय में महत्वपूर्ण पत्राचार, कुछ व्यक्तिगत वस्तुओं, उपहार और यादगार वस्तुएं, सम्मान, पदक, स्मारक टिकट, सिक्के आदि भी प्रदर्शित किए गए हैं। दूरदर्शन, फिल्म डिवीजन, संसद टीवी, रक्षा मंत्रालय, मीडिया हाउस (भारतीय और विदेशी), प्रिंट मीडिया, विदेशी समाचार एजेंसियों, विदेश मंत्रालय आदि संस्थानों के माध्यम से जानकारी एकत्र की गई।

आजादी की लड़ाई से संविधान निर्माण तक की कहानी बताएगा संग्रहालय

पीएम संग्रहालय ( Pradhan Mantri Sangrahalaya ) भारत के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर संविधान के निर्माण तक की कहानी बताएगा। इसमें बताया गया है कि कैसे हमारे प्रधानमंत्रियों ने विभिन्न चुनौतियों से देश को उबारा और देश की चौतरफा प्रगति सुनिश्चित की। संग्रहालय भवन की डिजाइन उभरते भारत की कहानी से प्रेरित है। इसे नेताओं के हाथों का आकार दिया गया है। डिजाइन में टिकाऊ और ऊर्जा संरक्षण के इंतजाम किए गए हैं।

10,491 वर्ग मीटर में फैला है संग्रहालय

पीएम संग्रहालय ( Pradhan Mantri Sangrahalaya ) परिसर में किसी भी पेड़ को काटा या प्रत्यारोपित नहीं किया गया है। इमारत का कुल क्षेत्रफल 10,491 वर्ग मीटर है। इमारत का लोगो राष्ट्र और लोकतंत्र का प्रतीक चक्र धारण करने वाले भारत के लोगों के हाथों का प्रतिनिधित्व करता है।

आधुनिकतम तकनीकी सुविधाओं से है लैस

प्रधानमंत्री संग्रहालय में युवाओं को सूचना आसान और रोचक तरीके से प्रस्तुत करने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी-आधारित संचार सुविधाओं का इंतजाम किया गया है। प्रदर्शनी को अत्यधिक इंटरैक्टिव बनाने के लिए होलोग्राम, वर्चुअल रियलिटी, ऑगमेंटेड रियलिटी, मल्टी-टच, मल्टी-मीडिया, इंटरेक्टिव कियोस्क, कम्प्यूटरीकृत काइनेटिक मूर्तियां, स्मार्टफोन एप्लिकेशन, इंटरेक्टिव स्क्रीन आदि लगाई गई हैं।

Pradhan Mantri Sangrahalaya : ये है नवनिर्मित प्रधानमंत्री संग्रहालय का ऐतिहासिक महत्व

70 साल पहले जिस तीन मूर्ति भवन ( Teen Murti bhawan ) में देश के प्रथम प्रधानमंत्री रहने आये थे। पंडित नेहरू के निधन के बाद उसे नेहरू संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया। लेकिन इसका इतिहास उससे भी पुराना है। इसके वास्तुकार राॅबर्ट और रसेल नाम के शख्स थे। हकीकत यह है कि 1922 में तीन मूर्ति भवन स्मारक का निर्माण सिनाय, फिलीस्तीन व सीरिया में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान शहीद भारतीय सैनिकों की स्मृति में हुआ था।

1947 में जनरल सर रॉय बुचर ने इसे खाली कर दिया था जो कि इसमें रहने वाले भारत की आजादी के पहले अंतिम व्यक्ति थे। 1948 में 2 अगस्त से तीन मूर्ति भवन देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू का निवास स्थान बना। 1964 में 14 नवंबर को नेहरू के 75वें जन्मदिवस पर राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन ने तीन मूर्ति भवन में संग्रहालय एवं पुस्तकालय स्थापित करने के लिए राष्ट्र को औपचारिक रूप से समर्पित किया।

पहले इसका नाम था फ्लैग स्टाफ हाउस

दरअसल, तीन मूर्ति भवन को ब्रिटिश हुकूमत के दौरान फ्लैग स्टाफ हाउस ( Flag Staff House ) के नाम से जाना जाता था। इसमें भारत में ब्रिटिश सेना के कमांडर-इन-चीफ रहा करते थे। अब इस भवन से न केवल पंडित नेहरू की यादें जुड़ी हैं, बल्कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की भी यादें इससे जुड़ी हैं। इसका नामकरण तीन सैनिकों की मूर्ति समूह से हुआ जो कि मैसूर, जोधपुर एवं हैदराबाद राज्य के शस्त्रधारकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

आजादी के बाद बना पहले पीएम का आवास

देश को आजादी मिलने और पंडित नेहरू के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनका आधिकारिक आवास बन गया। आज से 74 साल पहले देश के पहले प्रधानमंत्री यहीं रहने आये थे। उनके निधन के बाद इस भवन को एक संग्रहालय में बदल दिया गया। यहां पर उनसे जुड़ी कई चीजों को सहेजकर रखा गया है। यूं भी यह कभी राजनीति का सबसे अहम केंद्र हुआ करता था।

तारामंडल की जगह था टेनिस कोर्ट

आजा जिस जगह पर नेहरू तारामंडल है वहां पर कभी एक टेनिस कोर्ट हुआ करता था। जहां पर बचपन में राजीव अपने भाई संजय के साथ टेनिस खेलते थे। यहां पर इन दोनों का बचपन बीता था। नेहरू और उनके परिवार से जुड़ी यादों के रूप में यहां पर कई निजी फोटो भी लगे हैं। इस भवन में मौजूद सीढ़ीनुमा गुलाब उद्यान से कभी पंडित नेहरू अपनी शेरवानी में लगाने के लिए गुलाब चुनते थे। भवन परिसर में ही पश्चिमी ओर फिरोज शाह तुगलक निर्मित कुशक महल संरक्षित स्मारक है। तीन मूर्ति भवन के परिसर में ही नेहरू तारामंडल बना है। यहां ब्रह्मांड, तारों, सितारों और खगोलीय घटनाओं को वैज्ञानिक तकनीक से एक अर्ध-गोलाकार छत रूपी पर्दे पर देखा जा सकता है। नेहरू तारामंडल की कल्पना एवं योजना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बनाई थी। वे चाहती थीं कि बच्चों में विज्ञान को बढ़ावा दिया जाए।

दरअसल, दिल्ली में जिस जगह पर यह भवन स्थित है वहां के गोल चक्कर पर बीचों बीच एक स्तंभ के किनारे तीन दिशाओं में मुंह किए हुए तीन सैनिकों की मूर्तियां लगी हुई हैं। ये द्वितीय विश्व युद्ध में काम आए सैनिकों का स्मारक है।

सर विलियम बर्डवुड इसमें रहने वाले पहले व्यक्ति

तीन मूर्ति मूल भवन ऑस्ट्योर क्लासिक शैली में निर्मित है। इस शैली का दूसरा भवन दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस है। यह भव्य भवन साधारण रूप से उत्कृष्ट शैली में बनाया गया तथा इसकी संरचना के दौरान यह ध्यान रखा गया कि इसमें सैन्य कौशल का प्रतिबिम्ब परिलक्षित हो। फील्ड मार्शल सर विलियम बर्डवुड इस भवन में रहने वाले प्रथम व्यक्ति थे।

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