'प्रयागराज महाकुंभ मौत का मेला इसमें मची भगदड़ प्राकृतिक दुर्घटना नहीं घोर लापरवाही-अक्षम्य अपराध' योगी सरकार पर चंद्रशेखर ने उठाये सवाल

चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, 'अगर सरकार इस नरसंहार पर भी चुप्पी साधे बैठी रही, तो जनता इसे माफ नहीं करेगी! यह लोकतंत्र है, कोई साम्राज्य नहीं जहां जनता की लाशों पर सत्ता की इमारत खड़ी की जाए। सरकार को इसका हिसाब देना ही होगा....;

Update: 2025-02-08 10:58 GMT
प्रयागराज महाकुंभ मौत का मेला इसमें मची भगदड़ प्राकृतिक दुर्घटना नहीं घोर लापरवाही-अक्षम्य अपराध योगी सरकार पर चंद्रशेखर ने उठाये सवाल
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Mahakumbh stampede : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जारी महाकुंभ मेले में 28 जनवरी की देर रात यानी मौनी अमावस्या से ठीक पहले मची भगदड़ में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौत हुई और अनगिनत लोग घायल हुए। हालांकि सरकारी आंकड़ों में मौत का आंकड़ा काफी कम बताया गया। महाकुंभ में मची भगदड़ के लिए प्रशासनिक लापरवाहियों को जिम्मेदार ठहराते हुए विपक्ष लगातार भाजपा की डबल इंजन यानी मोदी-योगी सरकार पर हमलावर है। कहा जा रहा है कि शासन—प्रशासन द्वारा मौत के सही आंकड़ों को छुपाया गया है। कई श्रद्धालु भी वहां उस दिन प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा करते हुए कह रहे हैं कि हजारों की तादाद में मौत हुई, जिन्हें सरकार के इशारे पर रातोंरात ठिकाने लगा दिया गया था।

उत्तर प्रदेश के नगीना से दलित सांसद और सवालों को मुखरता से उठाने वाले चंद्रशेखर आजाद ने भी डबल इंजन सरकार पर महाकुंभ भगदड़ के लिए योगी—मोदी सरकार पर सवाल उठाये हैं। उन्होंने एक अखबार की खबर को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करते हुए लिखा है, 'प्रयागराज कुंभ में 29 जनवरी को हुई भगदड़ प्राकृतिक दुर्घटना नहीं, बल्कि सरकार और प्रशासन की घोर लापरवाही और अक्षम्य अपराध है। हज़ारों श्रद्धालु संगम स्नान करने आए थे, लेकिन लौटे तो सिर्फ उनके शव! यह एक मौत का मेला था, जिसे प्रशासन ने अपनी कायरता और नाकामी से निर्ममता के साथ अंजाम दिया।'

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आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद आगे लिखते हैं, सरकार कह रही है कि मौतें सिर्फ 30 हुईं, लेकिन शवों पर अंकित 48 और 61 नंबर साफ दिखाते हैं कि असलियत कुछ और ही है। अगर मरने वाले 30 थे, तो शवों की गिनती उससे ज्यादा कैसे हो रही है? सरकार सच्चाई छिपाकर मृतकों का अपमान कर रही है।'

चंद्रशेखर आजाद सवाल उठाते हैं, 'राजस्थान के अजमेर जिले की न्याली देवी की मौत इस भगदड़ में हो गई। उनके पति रामनारायण को न पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली, न मृत्यु प्रमाणपत्र। बस 15,000 रुपये लिफाफे में थमाकर चुप कराने की कोशिश की गई। क्या गरीब की जान की यही कीमत है? क्या सरकार पैसे से अपने पाप छिपा लेगी? प्रशासन की अमानवीयता—मरने के बाद भी सम्मान नहीं! सरकार को अब जवाब देना ही होगा!'

चंद्रशेखर मांग करते हैं,

—सभी मृतकों की सटीक संख्या सार्वजनिक की जाए!

—हर पीड़ित परिवार को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए!

—दोषी अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए!

—भविष्य में ऐसे आयोजनों में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए जाएं!

चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, 'अगर सरकार इस नरसंहार पर भी चुप्पी साधे बैठी रही, तो जनता इसे माफ नहीं करेगी! यह लोकतंत्र है, कोई साम्राज्य नहीं जहां जनता की लाशों पर सत्ता की इमारत खड़ी की जाए। सरकार को इसका हिसाब देना ही होगा!'

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भगदड़ कांड से पहले भी चंद्रशेखर महाकुंभ आयोजन पर सवाल उठा चुके हैं, जिसके लिए उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किया गया। उन्होंने कहा था, 'मैं कहना चाहता हूं कि जितना पैसा उन्होंने कुंभ में लगाया, अगर वो उतना पैसा इस देश के युवा को चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार देने में लगाते तो बहुत सारे परिवारों के आंसु सूख जाते, बहुत सारे लोगों को न्याय मिल जाता और बहुत लोगों को आगे बढ़ने का अवसर मिल जाता, लेकिन उसमें तो सरकार फेल दिख रही है। अब ये सरकार इंसानों की रखवाली नहीं कर पा रही है, वो पशु-पक्षि की क्या रखवाली करेगी। मैं स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं कि सरकार फेल है और जो मंत्री और सरकार के लोग जा रहे हैं, मैं उनको सिर्फ याद दिलाऊंगा कि वो जब जाएं तो मुजफ्फरनगर में जिनकी पीट-पीट कर हत्या कर दी उनके लिए भी प्रार्थना कर लें। वो जो बच्चा, जिसने पार्लियामेंट के सामने जा कर खुद को न्याय न मिलने पर आग के हवाले कर दिया, उसके लिए भी प्रार्थना कर लें।' 

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