Presidential Election 2022 :राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी की ओर से आनंदी बेन और आरिफ मोहम्मद खान का नाम आगे, आदिवासी पर भी है चर्चा

Presidential Election 2022 : सत्ता पक्ष में भी राष्ट्रपति के चुनाव के लिए बैठकों का दौर चल रहा है। हालांकि, पूरा सरकारी अमला फिलहाल अग्निपथ की घोषणा के बाद हुए हंगामे को समटने में लगा है, पर अंदरखाने अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसको लेकर भाजपा के बड़े नेता मंथन करने में जुटे हैं...

Update: 2022-06-21 07:31 GMT

Presidential Election 2022 : नए राष्ट्रपति के लिए बीजेपी आदिवासी, महिला या मुस्लिम नेता का नाम कर सकती है आगे; आनंदी बेन और आरिफ मोहम्मद खान के नाम रेस में

Presidential Election 2022 : देश में 15वें राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। जुलाई की 25 तारीख तक देश के नए राष्ट्रपति निर्वाचित कर लिए जाएंगे। इसके लिए नामांकन की प्र​क्रिया शुरू हो चुकी है। 29 जून तक राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किए जाने हैं। इस बीच, पक्ष और विपक्ष दोनों ओर नए राष्ट्रपति के नाम पर मंथन चल रहा है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस कवायद में जुटी हैं। उन्होंने विपक्षी नेताओं से बैठक कर कई नाम दिए थे। उनकी ओर से शरद पवार, फारुख अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी के नाम राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के तौर पर आगे किए गए थे, पर तीनों ही नेताओं ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखायी है। ऐसे में विपक्ष का उम्मीदवार कौन होगा इस पर अबतक स्थिति साफ नहीं हुई है।

सत्ता पक्ष में भी राष्ट्रपति के चुनाव के लिए बैठकों का दौर चल रहा है। हालांकि, पूरा सरकारी अमला फिलहाल अग्निपथ की घोषणा के बाद हुए हंगामे को समेटने में लगा है, पर अंदरखाने अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसको लेकर भाजपा के बड़े नेता मंथन करने में जुटे हैं।

खबरों के मुताबिक भाजपा इसबार किसी दलित, मुस्लिम या आदिवासी महिला को राष्ट्रपति के चुनाव में प्रत्याशी बना सकती है। इनमें गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, अनुसूईया पटेल और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का नाम चर्चा में है।

आनंदी बेन पटेल गुजरात में लंबे समय तक पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री रही हैं, फिलहाल वह उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं और प्रधानमंत्री की करीबी मानीं जाती हैं। उनके अलावा झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके भी इस रेस में शामिल बताई जा रही हैं। इन दोनों में से किसी एक को राष्ट्रपति बनाने की स्थिति में भाजपा एक तीर से दो निशाने लगा सकती है। पहला यह कि इससे आदिवासी समाज को साधने में आसानी होगी और दूसरा महिलाओं में भी मैसेज जाएगा।

अनुसइया उइके मूल रूप से छिंदवाड़ा की हैं और 1985 से मध्य प्रदेश से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने दमुआ से विधायक का चुनाव जीता था। वह बीजेपी की राज्यसभा सांसद भी रह चुकी हैं। राजनीति में आने से पहले वह छिंदवाड़ा के शासकीय महाविद्यालय में तीन साल तक इकोनॉमिक्स की लेक्चरर भी रही हैं।

झारखंड की नौंवी राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं। वह पहली ओडिया नेता हैं जिन्हें राज्यपाल बनाया गया। इससे पहले बीजेपी-बीजेडी गठबंधन सरकार में साल 2002 से 2004 तक वह मंत्री भी रहीं।

सरकार से जुड़े सूत्रों का मानना है कि भाजपा इसबार किसी दलित, मुस्लिम याद दक्षिण भारत के चेहरे को राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रत्याशी बना सकती है जिससे 2022-23 में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को सहूलियत हो। भाजपा हमेशा राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए चौंकाने वाले नाम लेकर आती है।

इसबार भी उम्मीद है कि उनकी ओर से जो नाम सामने आएगा जिसकी किसी को उम्मीद नहीं हो। भाजपा के कुछ नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि भाजपा इस बार केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को भी मुस्लिम चेहरे के तौर पर राष्ट्रपति चुनाव में उतार सकती है। ऐसे होने से देश में धार्मिक उन्माद के नाम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की जो फजीहत हो रही है, उससे निपटने में भी सरकार को मदद मिलेगी।

आरिफ UP के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। तीन तलाक, CAA जैसे मामलों पर आरिफ हमेशा भाजपा के लिए ढाल बने रहे। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि भाजपा की ओर से उन्हें राष्ट्रपति की बजाय भाजपा उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बना सकती है। इसके जरिए दुनिया में यह मैसेज देने की कोशिश रहेगी कि पार्टी मुस्लिम विरोधी नहीं बल्कि तुष्टिकरण विरोधी है।

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