FDI Inflow: विदेशी निवेश को लेकर प्रधानमंत्री का दावा निकला झूठा, इन्वेस्टमेंट बढ़ी नहीं घट गई

FDI Inflow: बयानबाजी में चुनिंदा अंकों को बिना संदर्भ में रखे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना वास्तव में प्रचार है- जानी-मानी अर्थशास्त्री जयति घोष ने एक लेख में यह बात लिखी थी और पिछले एक हफ्ते से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगी मंत्री प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को लेकर यही काम कर रहे हैं।

Update: 2022-06-04 10:25 GMT

FDI Inflow: विदेशी निवेश को लेकर प्रधानमंत्री का दावा निकला झूठा, इन्वेस्टमेंट बढ़ी नहीं घट गई

FDI Inflow: बयानबाजी में चुनिंदा अंकों को बिना संदर्भ में रखे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना वास्तव में प्रचार है- जानी-मानी अर्थशास्त्री जयति घोष ने एक लेख में यह बात लिखी थी और पिछले एक हफ्ते से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगी मंत्री प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को लेकर यही काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री का दावा है कि वित्त वर्ष 2021-22 में सकल विदेशी निवेश बढ़कर 83.57 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है, जो कि एक रिकॉर्ड है।

लेकिन इसका दूसरा पहलू नहीं बताया जा रहा है कि इस सकल विदेशी निवेश में वह पैसा भी छिपा हुआ है, जो डॉलर के रूप में देश के बाहर गया और वह पैसा जो रुपए में विदेश में निवेश किया गया था, वापस आ गया। अगर आवक-जावक के दोनों आंकड़ों को घटा दें तो पता चलेगा कि शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 10.61% की गिरावट आई है और 2020-21 में आए 43.95 बिलियन डॉलर के FDI के मुकाबले 2021-22 में 39.29 बिलियन डॉलर की FDI ही हो सकी है। यानी प्रधानमंत्री और बीजेपी के नेताओं का दावा बिल्कुल झूठा है।

FDI को लेकर हुए ये दावे

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने 20 मई को एक बयान में कहा कि भारत तेजी से दुनिया में निवेश के लिए पसंदीदा देशों में गिना जा रहा है। इसके कुछ दिन बाद हैदराबाद में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में दीक्षांत समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले साल भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश आया। अब दुनिया समझ रही है कि भारत का मतलब व्यापार है।

उसके बाद तो मानों बीजेपी के नेताओं में प्रधानमंत्री के बयान को बिना जांचे-परखे फुटबॉल की तरह उछालने की होड़ लग गई। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस कथित रिकॉर्ड FDI के लिए प्रधानमंत्री के कूटनीतिक प्रयासों को श्रेय दिया।

फिर पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी आंकड़ों को बिना क्रॉस चेक किए ही बोल पड़ीं कि यह उपलब्धि सरकार के मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस के कारण हुई है।

https://twitter.com/aruna_dk/status/1531125645958258689?s=20&t=RElCKVo5Ltp2nMx9eF0row 

असल सच तो यह है

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 20 मई के बयान में दावा किया था कि देश में FDI की आमद 2003-04 के मुकाबले 20 गुना बढ़ी है। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े इस दावे को झूठा साबित करते हैं। नीचे दिए गए इस चार्ट से साफ है कि 2019-20 के मुकाबले FDI की ग्रोथ लगातार घट रही है। जाने-माने अर्थशास्त्री और लेखक विवेक कौल बताते हैं कि केंद्र सरकार जिस 83.57 बिलियन डॉलर के FDI का ढोल पीट रही है, वह असल में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है। इसमें विदेशी निवेशकों द्वारा भारत से अपना पैसा निकाले जाने या भारत के निवेशकों द्वारा विदेशी बाजार से पैसा निकालने का जिक्र ही नहीं है। विदेशी निवेशक किसी गैर लिस्टेड भारतीय कंपनी में पूंजी लगाते हैं, या फिर पेड अप इक्वीटी कैपिटल में निवेश करते हैं। अब अगर भारत में विदेशी निवेश का पैसा जाने और विदेशों में भारतीय निवेशकों का पैसा वापस लौटने, यानी FDI की निकासी को सकल में से घटा दिया जाए तो पता चलेगा कि विदेशी निवेश 10.61% घटा है। असल में यही शुद्ध FDI होनी चाहिए, जो कम हुई है।


आरबीआई के चेयर प्रोफेसर आलोक शील कहते हैं कि वास्तव में इसी शुद्ध FDI का जिक्र होना चाहिए, क्योंकि यह भुगतान संतुलन में सहायता करता है।


देश से बाहर जाता विदेशी निवेश

कोविड महामारी के बावजूद 2019-20 और 2021-22 के दौरान देश में विदेशी निवेश का पैसा लगातार बाहर जाता रहा है। 2021-22 में 28.6 बिलियन डॉलर विदेशी निवेश बाहर गया। लेकिन इसी दौरान भारत के निवेशकों का विदेशों में निवेश 10.97 बिलियन से बढ़कर 15.68 बिलियन डॉलर हो गया, जो कि करीब 43% का इजाफा है।



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