चीनी घुसपैठ व कोयला खदानों को लेकर मोदी के 'मन के बात' जनता के किस काम की?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे समय में मन की बात कार्यक्रम को संबोधित किया है जब आम भारतीयों के मन में लद्दाख के गलवान घाटी झड़प व चीन को लेकर बहुत से सवाल हैं।
जनज्वार, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में लद्दाख में चीन के साथ हुई झड़प व कोयला खदानों के निजीकरण पर अपनी बात देश के सामने रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लद्दाख में हमारे सैनिकों ने चीन को करार जवाब दिया है।
मालूम हो कि 15 जून को लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। इस झड़प में चीनी कई चीनी सैनिकों के हताहत होने की खबर भी आई थी। हालांकि इस बीच मीडिया में यह खबर आई की चीन झड़प वाले स्थल पर अपनी उपस्थिति बनाए हुए है और भारत ने एयर डिफेंस सिस्टम एक्टिव कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लद्दाख में जिनके बेटे शहीद हुए वे अपने दूसरे बेटों व पोते को भी सेना में भेजने के लिए तैयार हैं ताकि वे देश की रक्षा कर सकें। इस क्रम में उन्होंने बिहार के सहरसा जिले के शहीद कुंदन कुमार के पिता का जिक्र किया जिन्होंने अपने पोतों को सेना में भेजने की बात कही है।
ग़ज़ब....
— punya prasun bajpai (@ppbajpai) June 28, 2020
33 मिनट...'मन की बात'
सब कहा पर एक बार भी 'चीन' शब्द नहीं कहा !
प्रधानमंत्री ने इसके अलावा कोयला खदानों के निजीकरण पर जारी विवाद पर भी अपनी बात कही। इसी महीने मोदी सरकार ने कोयला खदानों को निजी हाथों मेें सौंपने व विदेश निवेश का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दशकों से हमारा खनन सेक्टर लाॅकडाउन में था, हमने उसे आजादी दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे आत्मनिर्भरता बढेगी और लाभ मिलेगा।
मालूम हो कि कोयला सेक्टर के निजीकरण व विदेशी पूंजी निवेश झारखंड, पश्चिम बंगाल ने विरोध किया है। छत्तीसगढ ने भी संरक्षित वन क्षेत्र में कोयला खनन नहीं करने का आग्रह किया है, क्योंकि इससे सरंक्षित पशुओं के साथ जैव विविधता को नुकसान हो सकता है। वहीं, सामाजिक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं।