नागपुर सेंट्रल जेल में 21 अक्टूबर से भूख हड़ताल शुरू करेंगे प्रो. जीएन साईंबाबा

जीएन साईबाबा की पत्नी एएस वसंता कुमारी ने बताया, 'कई बार उनके वकीलों द्वारा दी गईं सभी दवाइयां उन्हें (साईबाबा) नहीं दी जाती, उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधई समस्याएं हैं और उन्हें अपनी जिदंगी बचाने के लिए हर तीन दवाएं लेने की जरूरत है....

Update: 2020-10-20 11:34 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे जीएन साईंबाबा इन दिनों नागपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। साईंबाबा ने 21 अक्टूबर से जेल के भीतर हड़ताल पर बैठने का फैसला लिया है।

साईबाबा का आरोप है कि बीते एक महीने से कपड़े, दवाइयां और किताबें मुहैया नहीं की गईं है, इसकी वजह से उन्होंने भूख हड़ताल का फैसला किया है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, साईबाबा की पत्नी एएस वसंता कुमारी का कहना है कि उन्हें पाठन सामग्री मुहैया नहीं कराई जा रही है। इसके साथ ही उन्हें दवाइयां और कपड़े उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'साईबाबा 2014 से जेल में हैं और उन्हें उनके सभी मानवाधिकारों से वंचित रखा जा रहा है, उन्हें बीते एक महीने से कोई पत्र नहीं दिए जा रहा, मेरी फोन पर उनसे बात भी नहीं कराई जा रही।'

एएस वसंता कुमारी ने महाराष्ट्र के अतिरिक्त महानिदेशक (जेल) सुनील रामानंद और नागपुर के जेल अधीक्षक अनूप कुमार कुमरे को पत्र लिखकर जेल में साईबाबा के समक्ष आ रहीं दिक्कतों और उत्पीड़न के बारे में बताया और गलत तरीके से उन पर लगाए गए प्रतिबंधों से भी वाकिफ कराया।

एएस वसंता कुमारी ने बताया, 'कई बार उनके वकीलों द्वारा दी गईं सभी दवाइयां उन्हें (साईबाबा) नहीं दी जाती। उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधई समस्याएं हैं और उन्हें अपनी जिदंगी बचाने के लिए हर तीन दवाएं लेने की जरूरत है।'

साईबाबा को नियमित तौर पर दवाइयां और कपड़े पहुंचाने वाले वकील आकाश सरोदे का कहना है कि बीते महीने उन्होंने एक कमीज, अंडरगार्मेंट्स, दवाइयां, चार किताबें और दो नोटपैड उनके लिए भिजवाए थे, लेकिन जेल प्रशासन ने बिना कारण बताए उनमें से कोई भी सामान नहीं लिया।

उन्होंने कहा, 'मैं दो हफ्ते पहले गया था लेकिन उन्होंने मुझसे कुछ भी लेने से इनकार कर दिया। मैं 21 अक्टूबर से पहले एक बार फिर जाने की कोशिश करूंगा।'

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