Property Dispute : 95 साल बाद आया जमीनी विवाद पर सुप्रीम फैसला, जमीन को बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश
Property Dispute : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के दो भाइयों के बीच चल रहे 100 साल पुराने विवाद का निपटारा बुधवार को कर दिया। शीर्ष अदालत ने दोनों भाइयों के बीच संपत्ति का बराबर बंटवारे के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है।
Property Dispute : देश की सर्वोच्च अदालत यानि सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने लगभग 100 साल पुराने एक पारिवारिक संपत्ति विवाद ( Family Property duspute ) का बुधवार को निपटारा कर दिया। यह विवाद उत्तर प्रदेश ( Uttar pradesh ) के तीन भाइयों सीताराम, रामेसर और जागेसर से जुड़ा था। जमीन के बंटवारे ( Property Dispute ) से संबंधित यह विवाद 1928 से चला आ रहा था। गजाघर मिश्र के तीन बेटों में से सीताराम की कोई संतान नहीं है, जबकि रामेसर का एक बेटा है भगौती। वहीं, जागेसर के तीन बेटे बासदेव, सरजू और शानू है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए रामेसर और जगेसर के बीच संपत्ति बराबर हिस्सों में बांटने आदेश दिया है।
दरअसल, यूपी से जुड़ा यह जमीनी विवाद ( Property Dispute ) लगभग 100 साल पुराना है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने इस विवाद पर अपना अंतिम फैसला सुना दिया। यह विवाद यूपी दो भाइयों रामेसर और जगेसर के बीच 1928 ये चला आ रहा था। इस मामले में शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
बता दें कि रामेसर, जगेसर और सीताराम तीन भाई थे। ये तीनों गजाधर मिश्रा के बेटे थे। सीताराम को बच्चा नहीं था जबकि रामेसर के बेटे का नाम भगौती था जबकि जगेसर के तीन बेटे बासदेव, सरजू और साधू था। ये विवाद ( Property Dispute ) तीन भाइयों सीताराम, रामेसर और जागेसर के बीच संपत्ति विवाद से संबंधित था। चूंकि सीताराम के संतान नहीं थे इस लिए संपत्ति को दो भाईयों के बीच बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया गया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार
यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High court ) के सामने 1974 में आया था। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने कहा कि हाईकोर्ट ने चकबंदी अधिकारी के फैसले को सही ठहराकर सही फैसला दिया था। हमें ऐसा कोई कारण नहीं दिखता जिससे कि उसमें दखल दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने कहा कि रामेसर और सीताराम में पहले किसकी मौत हुई इसको साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है। इसलिए पुनरीक्षण अधिकारी ने कहा था कि रामेसर और जागेसर के संतानों को बराबर-बराबर हिस्सा मिलेगा। हाईकोर्ट में यह मामला 1974 में आया था। हाईकोर्ट ने 11 सितंबर 2009 को अपने आदेश में चकबंदी डिप्टी डायरेक्टर के आदेश को बरकरार रखा था और जागेसर के संतानों की अर्जी खारिज कर दी थी।