विश्लेषण: सिद्धू बने पंजाब कांग्रेस के नए कैप्टन, पर क्या पिक्चर अभी बाकी है?
पंजाब कांग्रेस की नई टीम को देखने पर कहा जा सकता है कि इसमें कैप्टन गुट के नेताओं को दरकिनार किया गया है। वहीं आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस की ओर से पंजाब के तीनों मुख्य इलाकों और प्रमुख जातिवर्गों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है...
राजेश पांडेय की टिप्पणी
पंजाब कांग्रेस में चल रही अंदरुनी खींचतान पर हालिया तौर पर विराम लगता दिख रहा है। माना जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपे जाने के साथ ही सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह सिद्धू गुट के बीच चल रही रस्साकशी पर फिलहाल विराम तो लगेगी ही, आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की तैयारियों को भी बल मिलेगा।
सिद्धू के साथ चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति कर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा एक ओर जहां सभी धड़ों को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है, वहीं, दूसरी ओर क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने की जुगत भी लगाई गई है। चूंकि संगत सिंह, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा को कार्यकारी अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। यानी अब साफ हो गया है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और प्रदेश कांग्रेस के 'कैप्टन' नवजोत सिंह सिद्दू होंगे।
एक साथ कई समीकरण साधने की कोशिश
वैसे पंजाब कांग्रेस की नई टीम को देखने पर कहा जा सकता है कि इसमें कैप्टन गुट के नेताओं को दरकिनार किया गया है। वहीं आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस की ओर से पंजाब के तीनों मुख्य इलाकों और प्रमुख जातिवर्गों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है। पंजाब कांग्रेस की नई टीम में मालवा क्षेत्र से दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं। वहीं हिंदू वर्ग के चेहरे के रूप में पवन गोयल को शामिल किया गया है।
उधर सिख चेहरे के तौर पर कुलजीत नागरा को जगह मिली है। सुखविंदर सिंह डैनी इस टीम में दलित कोटे से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जबकि ओबीसी कोटे से संगत सिंह कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं।
हां-ना के बीच सिद्धू ने कैसे जीत लिया फिसला हुआ मैच
पंजाब कांग्रेस से जुड़े जानकार बताते हैं कि सिद्धू ने 30 विधायकों से मुलाकात की थी। उसी के बाद पासा पलटा और हाथ से फिसलता जा रहा मैच सिद्धू जीत गए। जानकारों का मानना है कि 30 विधायकों को खेमे में कर सिद्धू ने सियासी समीकरण को तो बदला ही, शीर्ष नेतृत्व को दबाव भी दबाव में ला दिया। उधर ताजपोशी के बाद सिद्धू समर्थकों में उत्साह है। उनके समर्थक अमृतसर से पटियाला तक जश्न में डूबे हुए हैं।
पर क्या 'पिक्चर' खत्म हो गई
पिछले लगभग दो महीने से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच बयानबाजी का दौर चल रहा था। दोनों के समर्थकों के बीच गुटबाजी चरम पर थी। नवजोत सिंह सिद्धू ने पिछले दिनों दिल्ली में प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की थी। उसके बाद से ही उन्हें पार्टी का पंजाब अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा चल रही थीं। सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाओं के बाद सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले में खुलकर नाराजगी जताई थी और कहा था कि चुनावों से पहले ऐसे किसी फेरबदल से पार्टी को राज्य में नुकसान होगा।
ऐसे में क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके समर्थक अब चुप हो जाएंगे क्या, सबसे बड़ा सवाल तो यही है। राजनीतिक जानकार हालांकि, कैप्टन के शांत हो जाने की बात से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका मानना है कि दोनों के बीच तल्खी इतनी दूर तक जा चुकी है, जहां से वापस आना कठिन होता है। ऐसे में पिक्चर को खत्म हुआ नहीं माना जा सकता।