Punjab Road Rage Case 1988 : क्या है 34 साल पुराना रोड रेज मामला जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू को मिली 1 साल की कैद की सजा?

Punjab Road Rage Case 1988 : सिद्धू को अदालत ने उन्हें 34 साल पुराने यानि 1988 के रोड रोज मामले में एक साल कैद की सजा सुनाई है।

Update: 2022-05-19 08:48 GMT

DSP दिलशेर सिंह बोले - पुलिस के बिना एक रिक्शा चालक भी सिद्धू की नहीं सुनते।

Punjab Road Rage Case 1988 : पंजाब के बड़बोले नेता और प्रदेश के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu ) को अदालत ने बड़ा झटका दिया है। अदालत ने उन्हें 34 साल पुराने यानि 1988 के रोड रोज मामले ( Punjab Road Rage Case 1988 ) में एक साल कैद की सजा सुनाई है। बता दें कि इस मामले में पीड़ित परिवार ने पुनर्विचार की याचिका दायर की थी। अब नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब पुलिस हिरासत में लेगी।  

सुप्रीम कोर्ट ( Supreme ourt ) ने पहले इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu ) पर केवल एक हजार रुपए जुर्माना लगाया था लेकिन पुनर्विचार याचिका पर विचार करने के बाद शीर्ष अदालत ने एक साल कैद की सजा सुनाई है। इससे पहले 15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर 1988 के रोड रेज मामले में 1 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया था। हाईकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल कैद की सजा सुनाई थी। अब सुप्रीम कोर्ट के उसी फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल होने पर एक साल कैद की सजा सुनाई है।

पुनर्विचार याचिका खारिज करने की मांग की थी

इस मामले में 25 फरवरी 2022 को पंजाब कांग्रेस के नेता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हलफनामा दाखिल किया था। अपने हलफनामें के जरिये उन्होंने अदालत से पुनर्विचार याचिका को खारिज करने की मांग की थी। सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu ) ने हलफनामे में कहा था कि पहले के फैसले पर पुनर्विचार के लिए कोई वैध आधार नहीं है। कोई हथियार बरामद नहीं हुआ। कोई पुरानी दुश्मनी नहीं थी। उक्त घटना के तीन दशक बीत चुके हैं। मेरा बेदाग खेल और सियासी करियर रहा है।

इससे पहले 15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर 1988 के रोड रेज मामले में 1 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया था। हाईकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल कैद की सजा सुनाई थी। अब सुप्रीम कोर्ट के उसी फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल होने पर एक साल कैद की सजा सुनाई है।

Punjab Road Rage Case 1988 : ये रोड रेज का पूरा मामला

27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu ) अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे। ये जगह उनके घर से 1.5 किलोमीटर दूर है। उस समय सिद्धू एक क्रिकेटर थे। उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था।इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। बात हाथापाई तक जा पहुंची। सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया। उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ। सेशन कोर्ट में केस चला। 1999 में सेशन कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया।

साल 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu ) के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। इसी बीच सिद्धू राजनीति में आ गए। 2004 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट का फैसला आया। हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई। साथ ही 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। सिद्धू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सिद्धू की ओर से भाजपा के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने केस लड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। 2007 में सिद्धू फिर अमृतसर से चुनाव जीते। यहां पर इस बात का जिक्र भी जरूरी है कि 1988 के मामले में सिद्धू और संधू पर दो केस हैं। पहला गैर इरादतन हत्या का और दूसरा रोड रेज का। इसमें सिद्धू पर चोट पहुंचाने की धारा लगी थी। मई 2018 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को रोड रेज के मामले में दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई थी। यह मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu ) और संधू को सभी आरोपों से बरी कर दिया। शीर्ष अदालत ने रोड रेज मामले में सिद्धू पर 1 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। अब उसी मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के बाद एक साल की सजा सुनाई है।


(जनता की पत्रकारिता करते हुए जनज्वार लगातार निष्पक्ष और निर्भीक रह सका है तो इसका सारा श्रेय जनज्वार के पाठकों और दर्शकों को ही जाता है। हम उन मुद्दों की पड़ताल करते हैं जिनसे मुख्यधारा का मीडिया अक्सर मुँह चुराता दिखाई देता है। हम उन कहानियों को पाठक के सामने ले कर आते हैं जिन्हें खोजने और प्रस्तुत करने में समय लगाना पड़ता है, संसाधन जुटाने पड़ते हैं और साहस दिखाना पड़ता है क्योंकि तथ्यों से अपने पाठकों और व्यापक समाज को रू-ब-रू कराने के लिए हम कटिबद्ध हैं।

हमारे द्वारा उद्घाटित रिपोर्ट्स और कहानियाँ अक्सर बदलाव का सबब बनती रही है। साथ ही सरकार और सरकारी अधिकारियों को मजबूर करती रही हैं कि वे नागरिकों को उन सभी चीजों और सेवाओं को मुहैया करवाएं जिनकी उन्हें दरकार है। लाजिमी है कि इस तरह की जन-पत्रकारिता को जारी रखने के लिए हमें लगातार आपके मूल्यवान समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है।

सहयोग राशि के रूप में आपके द्वारा बढ़ाया गया हर हाथ जनज्वार को अधिक साहस और वित्तीय सामर्थ्य देगा जिसका सीधा परिणाम यह होगा कि आपकी और आपके आस-पास रहने वाले लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित करने वाली हर ख़बर और रिपोर्ट को सामने लाने में जनज्वार कभी पीछे नहीं रहेगा, इसलिए आगे आयें और जनज्वार को आर्थिक सहयोग दें।)

Tags:    

Similar News