CBI की प्रतिष्ठा को एक और बट्टा, कस्टडी से 100 किलो सोना गायब, कोर्ट ने दिया पुलिस जांच का आदेश
शुक्रवार को मद्रास हाइकोर्ट ने सीबीआइ की कस्टडी से गायब हुए 45 करोड़ रुपये मूल्य के 102 किलो सोना की जांच का आदेश पुलिस को दिया है। हालांकि इस मामले में सीबीआइ ने हाइकोर्ट में यह दलील दी कि अगर स्थानीय पुलिस इसकी जांच करेगी तो उसकी प्रतिष्ठा को आंच पहुंचेगी, इसलिए उसे यह मामला न सौंपा जाए।
जनज्वार। केंद्रीय जांच ब्यूरो(CBI) के कामकाज पर बार-बार सवाल उठते रहे हैं। अब सीबीआइ के कामकाज के तरीके से जुड़ा एक दिलचस्प मामला सामने आया है, जिसमें उसकी कस्डटी से 100 किलो सोना गायब हो गया है। ऐसे में इस मामले की जांच हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की पुलिस को सौंपी है। यह मामला तमिलनाडु का है।
शुक्रवार (11 December 2020) को मद्रास हाइकोर्ट ने सीबीआइ की कस्टडी से गायब हुए 45 करोड़ रुपये मूल्य के 102 किलो सोना की जांच का आदेश पुलिस को दिया है। हालांकि इस मामले में सीबीआइ ने हाइकोर्ट में यह दलील दी कि अगर स्थानीय पुलिस इसकी जांच करेगी तो उसकी प्रतिष्ठा को आंच पहुंचेगी, इसलिए उसे यह मामला न सौंपा जाए।
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के अनुसार, मद्रास हाइकोर्ट ने मामले की जांच पुलिस से न कराने की सीबीआइ की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह सीबीआइ के लिए अग्नि परीक्षा हो सकती है, लेकिन इसका कुछ नहीं किया जा सकता है। यदि सीता की तरह उनके हाथ साफ हैं तो वे बच जाएंगे और अगर ऐसा नहीं है तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पीएन प्रकाश ने सीबीआइ के मामले की जांच सीबीआइ या किसी अन्य केंद्रीय एजेंसी से कराने के आग्रह पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत ऐसा नहीं कर सकती है, क्योंकि कानून इस तरह के आक्षेप को मंजूरी नहीं देता है। स्थानीय पुलिस कर्मियों को उनकी जांच करने देना चाहिए और यह कहना कि सीबीआइ अलग है और लोकल पुलिस को उनकी जांच नहीं करनी चाहिए, गलत है।
क्या है मामला?
यह मामला 2012 में चेन्नई में मिनरल्स एंड मेटल्स ट्रेडिंग काॅरपोरेशन के अधिकारियों ने सुराणा कारपोरेशन लिमिटेड के प्रति अनुचित विश्वास दिखाया था। सुराणा कारपोरेशन लिमिटैड सोना और चांदी के आयात से जुड़ा फर्म है और यह उसी से जुड़ा मामला है। 400.47 किलोग्राम सोना इस मामले में सीबीआइ ने जब्त किया था। इस मामले में फर्म के वाॅल्ट में ही सोने को बंद व सील कर दिया गया था। सीबीआइ ने दावा किया कि तिजोरी की चाबियां चेन्नई की एक विशेष सीबीआइ अदालत को सौंप दी गई है, हालांकि दस्तावेजों में इस बारे में कोई तारीख नही बताई गई है।