18 साल बाद भी सरकार नहीं कर पायी शहीद के परिवार से किया वादा पूरा, नाराज मां पहुंची कीर्ति चक्र लौटाने

कांगड़ा जिला के जयसिंहपुर का जवान 2002 में असम में शहीद हुआ। उनकी शहादत पर उन्हें कीर्ति चक्र से नवाजा गया।

Update: 2020-09-23 05:04 GMT

हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिले के निवासी और कीर्ति चक्र से सम्मानित शहीद अनिल चौहान का परिवार सोमवार को वीरता पदक लौटाने शिमला स्थित राजभवन पहुंचा परिवार का आरोप है कि राज्य सरकार चौहान की शहादत का सम्मान नहीं कर पा रही है। उल्लेखनीय है कि कीर्ति चक्र शांतिकाल में वीरता के लिए दिया जाना वाला दूसरा सर्वोच्च सम्मान है जबकि अशोक चक्र शीर्ष वीरता पुरस्कार है

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात से पहले मीडिया से बातचीत में शहीद जवान की मां राजकुमारी ने कहा कि उनके बेटे को असम में 'ऑपरेशन राइनो' के दौरान जब शहादत मिली तब वह मात्र 23 साल के थे। कांगड़ा जिले के जयसिंहपुर निवासी राजकुमारी ने कहा कि राज्य सरकार स्कूल का नामकरण चौहान के नाम पर करने और गांव में उनकी याद में तोरणद्वार बनाने के तमाम वादे पूरे नहीं कर सकती उन्होंने कहा कि सरकार की बेटे की शहादत के 18 साल बाद भी वादे नहीं पूरे होने से परेशान होकर वह, परिवार के अन्य सदस्यों के साथ राज्यपाल को वीरता पदक लौटाने आई हैं।

इस बीच, जब मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को परिवार के राज्यपाल से मिलने की जानकारी मिली तो वह राजभवन परिसर के बाहर शहीद की मां से मिलने पहुंचे। ठाकुर ने शहीद की मां और परिवार के अन्य सदस्यों को भरोसा दिया कि वह उनकी मांगों को पूरा करने का प्रयास करेंगे।

शहीद के परिवार के सदस्य, जिसमें उनकी मां भी है, ने सोमवार को राजभवन के बाहर धरना दे दिया, जहां सीएम ने उनसे बात की। वह कीर्ति चक्र लौटाने यहां पहुंचे थे। कांगड़ा जिला के जयसिंहपुर का जवान 2002 में असम में शहीद हुआ। उनकी शहादत पर उन्हें कीर्ति चक्र से नवाजा गया। उसी वक्त तत्कालीन सरकार ने शहीद के नाम पर स्मारक बनाने व स्कूल का नाम रखने की घोषणा की थी, लेकिन 18 साल के बाद भी सरकार ने दोनों वादे पूरे नहीं किए। नाराज शहीद अनिल का परिवार आज कीर्ति चक्र लौटने राजभवन पहुंच गया।

मां राजकुमारी का कहना है कि 23 साल के बेटे ने 2002 में असम में अपनी शहादत दी थी। उस वक्त वीरभद्र सरकार ने अनिल के नाम पर स्कूल का नाम रखने, उसे अपग्रेड करने व स्मारक बनाने का वादा किया था, जो कागजों में ही रह गया। 18 साल तक वादा पूरा न करना शहीदों का अपमान है, इसलिए वह कीर्ति चक्र लौटाने आई हैं। सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा, जो इस परिवार को लेकर राजभवन पहुंचे, ने बताया कि यह एक शहीद परिवार की बात नहीं है, प्रदेश में ऐसे कितने शहीद हैं, जिनके साथ सरकार वादा खिलाफी कर रही है, इसलिए नाराजगी है।

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