राजस्थान: निर्दलीय MLA के नेतृत्व में आंबागढ़ किले से गिराया गया भगवा झंडा, ट्विटर यूजर क्यों बोले हम आपके साथ हैं
विधायक रामकेश मीणा ने कहा कि आंबागढ़ किला मीणा समाज की ऐतिहासिक धरोहर है और यहां मीणाओं का ही शासन रहा है। यहां पर प्राचीन आंबा माता का मंदिर भी है.....
जनज्वार। राजस्थान के जयपुर के गलता में निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा के नेतृत्व में आमागाढ़ (जिसे आंबागढ़ के नाम से भी जाना जाता है) किले से भगवा झंडे के उतारा गया है। घटना बुधवार 21 जुलाई की है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है। ट्विटर पर 'मैं रामकेश मीणा के साथ हूं' और 'अरेस्ट रामकेश मीणा' टॉप ट्रेंड हैं।
गंगापुर सिटी से निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा राजस्थान आदिवासी मीणा सेवा संघ के अध्यक्ष भी हैं। उनका कहना है कि आंबागढ़ किला मीणा समाज की ऐतिहासिक धरोहर है और यहां मीणाओं का ही शासन रहा है। यहां पर प्राचीन आंबा माता का मंदिर भी है। कुछ असामाजिक तत्वों ने केसरिया ध्वज फहराकर मीणा समाज के इतिहास से छेछाड़ की है। यही वजह है कि इसे यहां से हटा दिया गया है। ऐसी हरकत दोबारा न हो इसके लिए संघ की सुरजेपाल ईकाई को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
विधायक के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई से तिलमिलाए राजस्थान बीजेपी के नेता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने अपने ट्विटर हैंडल से इस घटना का वीडियो शेयर किया और लिखा- "जयपुर के गलता तीर्थ स्थित आमागढ़ की पहाड़ी पर सत्ताधारी कांग्रेस समर्थित विधायक की मौजूदगी में 'श्रीराम' लिखा पवित्र भगवा ध्वज पोल से उतार कर फाड़ दिया। कहां हो फ़र्ज़ी जनेऊधारी?"
पूरन अग्रवाल नाम के एक यूजर ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा- ''सभी सनातनी हिन्दू जिस भगवा ध्वज के सम्मान के लिए लड़ते आऐ हैं और सदियों से वीर तपो भूमि कहे जाने वाले मेवाड़ मारवाड़ में हुआ भगवा ध्वज का अपमान आमागढ़ किले पर लगाया हुआ भगवा ध्वज स्थल को राजस्थान गंगापुर सिटी के काँग्रेस विधायक रामकेश मीणा ने तोड़ कर नीचे गिराया।''
सोशल मीडिया पर एक वर्ग के द्वारा रामकेश मीणा की गिरफ्तारी की मांग की जा रही है। वहीं दूसरी ओर उनके समर्थन में भी बड़ा वर्ग सामने आया है। राजस्थान के अलवर से सांसद बाबा बालकनाथ ने लिखा- मैं इस ट्रेंड का समर्थन करता हूं #Arrest_Ramkesh_Meena।
सोनम महाजन नाम की ट्विटर यूजर ने लिखा- ''गलता हिल्स मीणाओं का ऐतिहासिक स्मारक रहा है। कुछ समय पहले मनुवादियों ने स्मारक को तबाह करने के लिए अंबागढ़ किले पर भगवा झंडा फहराया था। इन कायरों को "टाइट फॉर टैट" में जवाब दिया जाएगा। अब इस झंडे को हटा दिया गया है।''
एक अन्य यूजर विश्राम ने लिखा- 'आदिवासी प्रकृति पूजक हैं। वे प्रकृति में पाए जाने वाले सभी प्राणियों, जानवरों, पहाड़ों, नदियों, नालों, खेतों की पूजा करते हैं। इसलिए आदिवासियों की विरासत की रक्षा जरूरी है।'
आनंद परमार नाम के यूजर लिखते हैं- आदिवासी समुदाय से संबंधित राष्ट्रीय विरासत और इस राष्ट्रीय विरासत में या तो तिरंगा या आदिवासी झंडा होना चाहिए न कि भगवा झंडा। लेकिन इन संघी गुंडों ने आदिवासी झंडे के स्थान पर भगवा झंडा लगाकर माहौल क्यों खराब किया है?
एक अन्य ट्विटर यूजर रामबाबू मीणा लिखते हैं- अगर कोई असामाजिक तत्व समाज की विरासत से छेड़छाड़ करते हैं तो उन्हें मीणाओं को एकता से जवाब देना होगा, ताकि वे दोबारा छेड़छाड़ करने की हिम्मत न करें! आमागड़ मीणाओं के पूर्वजों की विरासत है।