Rajeev Gandhi Murder Case : 31 साल बाद जेल से बाहर आएगा पूर्व पीएम का हत्यारा, SC का एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश
Rajeev Gandhi Murder Case : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एक दोषी एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन की रिहाई की मांग करने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था...
Rajeev Gandhi Murder Case : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Ex PM Rajeev Gandhi) की हत्या के मामले (Rajeev Gandhi Murder) में उम्रकैद की सजा काट रहे एक दोषी एजी पेरारिवलन (AG Perarivalan) को रिहा करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन की रिहाई की मांग करने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इस मामले में सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को एजी पेरारिवलन को रिहाई का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद एजी पेरारिवलन 31 साल बाद जेल से बाहर आएगा।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को एक अहम फैसला लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में (Rajeev Gandhi Murder) सजा काट रहे दोषी एजी पेरारीवलन को रिहा करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई के लिए अनुच्छेद 142 के तहत विशेषाधिकार के तहत फैसला दिया है। इस मामले में दया याचिका राज्यपाल और राष्ट्रपति के बीच लंबित रहने पर शीर्ष अदालत ने बड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पेरारीवल की रिहाई की याचिका मंजूर कर ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य कैबिनेट का फैसला राज्यपाल पर बाध्यकारी है। सभी दोषियों की रिहाई का रास्ता खुला हुआ है।
बता दें कि पेरारीवलन फिलहाल जमानत (Rajeev Gandhi Murder) पर रिहा है। उसने रिहाई के लिए याचिका डालकर कहा था कि वो 31 साल से जेल में बंद है, उसे रिहा किया जाना चाहिए। 2008 में तमिलनाडु कैबिनेट ने उसे रिहा करने का फैसला किया था, लेकिन राज्यपाल ने मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था, तभी से उसकी रिहाई का मामला (Rajeev Gandhi Murder) लंबित था।
इस मामले (Rajeev Gandhi Murder) में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार सवाल उठाए थे। कोर्ट ने कहा था कि कानूनी और संवैधानिक सवाल यही है कि क्या राज्यपाल कैबिनेट की सम्मति के खिलाफ जा सकते हैं? ये गंभीर मसला है। इससे संघीय ढांचे पर प्रतिगामी प्रभाव हो सकता है। इससे संघीय व्यवस्था नष्ट हो सकती है. कानून से ऊपर कोई नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि "सरकार हमारे आदेश का पालन करे वरना कोर्ट आदेश पारित करेगा क्योंकि सरकार कानून पालन ना करे तो कोर्ट आंखें बंद कर बैठा नहीं रह सकता। हमारी निगाह में कानून से ऊपर कोई नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा था कि क्या राज्य के राज्यपाल के पास राज्य मंत्रिमंडल द्वारा भेजी गई सिफारिश (Rajeev Gandhi Murder) को बिना फैसला लिए राष्ट्रपति को भेजने की शक्ति है?
एजी पेरारीवलन पूर्व PM राजीव गांधी की हत्या (Rajeev Gandhi Murder) का दोषी है और उम्रकैद की सजा काट रहा है। पेरारिवलन के वकील ने दलील दी थी कि उसने 36 साल जेल में काट लिए हैं, उसका आचरण सही है और उसे जेल से रिहा किया जाना चाहिए। सितंबर, 2018 में तत्कालीन AIADMK कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया था और पेरारिवलन सहित उम्रकैद की सजायाफ्ता सभी सात दोषियों की समयपूर्व रिहाई का आदेश देने के लिए तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को अपनी सिफारिश भेजी थी, लेकिन राज्यपाल के फैसला ना करने पर पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।