राकेश टिकैत कैसे बने आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा, सरकार के खिलाफ असंतोष को कैसे बना दिया सबसे बड़ा आंदोलन?
Rakesh Tikait : किसान आंदोलन को देश और मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश में फैलाने के लिए राकेश टिकैत ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया और वो कई मंचों से सरकार को ललकारते और चेतावनी देते हुए नजर आए।
Rakesh Tikait : किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख राकेश टिकैत कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा बनकर सामने आए है। बता दें कि लंबे समय से चल रहे आंदोलन के दौरान एक समय ऐसा आया जब उसकी धाक कमजोर पड़ती दिखाई दी। दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत के नेतृत्व में आंदोलन कर रहे किसानों पर प्रशासनिक कार्रवाई की कोशिश हुई पर राकेश टिकैत अपने इरादों से टस से मस नहीं हुए और इस दौरान उनकी आंखों में 'आंसू' होने की तस्वीरें और वीडियो मीडिया में छा गई और इसने किसानों के इस आंदोलन को एक नई 'धार' दी।
किसान आंदोलन को देश और मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश में फैलाने के लिए राकेश टिकैट ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया और वो कई मंचों से सरकार को ललकारते और चेतावनी देते हुए नजर आए। इस तरह किसानों के आंदोलन का वो सबसे बड़ा चेहरा बन गए। बता दें कि राकेश टिकैत के पिता महेंद्र सिंह टिकैत भी अपने समय के सबसे बड़े किसान नेता थे।
राकेश टिकैत के आंसू बने हथियार
टिकैत के आंसुओं ने फूंक दी जान 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हिंसक घटनाओं और लाल किले की घटना के बाद दबाव में आए किसान नेताओं और आंदोलन में टिकैत के आंसुओं ने जान फूंक दी। उस समय मीडिया के सामने किसान भावुक हुए और रातों-रात ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हजारों किसान अपने ट्रैक्टर ट्राली और गाड़ियों पर बैठकर दिल्ली के लिए निकल लिए। इनमें से कुछ तो ऐसे थे जो सरकारी बसों में टिकट लेकर पहुंच रहे थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों खासतौर पर जाट बेल्ट ने किसानों राकेश टिकैत के आंसुओं को अस्मिता से जोड़ लिया। उसके एक दिन बाद शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में महापंचायत जुटी जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। इसका नेतृत्व भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष और राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत ने किया।
लाल किले की घटना ने दुनिया के लोगों का ध्यान खींचा
26 जनवरी को जब दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान किसानों का एक जत्था लाल किले पर पहुंचा और उस जगह पर निशान साहिब फहरा दिया। इस घटना से किसान बैकफुट पर आ गए थे। दो किसान आंदोलनों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया। भारतीय किसान यूनियन भी आंदोलन खत्म करने का मन बना चुकी थी। यहां तक कि बीकेयू के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने भी कह दिया था कि आंदोलन को गाजीपुर बॉर्डर से हटा लिया जाएगा लेकिन 28 जनवरी की शाम को गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत बस कुछ किसानों के साथ रह गए थे।
ऐसे बने आंदोलन के प्रणेता
बताया जाता है कि राकेश टिकैत पूरा मन बना चुके थे। भारी मात्रा में पुलिस बल पहुंच चुका था। राकेश टिकैत गिरफ्तारी देने को तैयार थे और इसके साथ ही गाजीपुर बॉर्डर खाली होने वाला था। इसी दौरान राकेश टिकैत ने मीडिया को इंटरव्यू दिया और कैमरे के सामने ही रो पड़े। राकेश टिकैत कह रहे थे कि वह मन बना चुके थे लेकिन भाजपा के विधायक अपने गुंडों के साथ आकर वहां किसानों को धमकाने लगे। ये कहते-कहते टिकैत का गला भर आया। उन्होंने कह दिया कि गोली खा लेंगे पर यहां से नहीं हटेंगे। घंटे भी नहीं बीते थे कि राकेश टिकैत का रोते हुए वीडियो वायरल होने लगा। रात होते-होते राकेश टिकैत के गांव में भीड़ जमा होने लगी। पश्चिमी यूपी से हजारों किसान अपनी कार, ट्रैक्टर और बसों में चढ़कर दिल्ली के लिए रवान होने लगे थे। अगले दिन मुजफ्फरनगर में एक बड़ी महापंचायत हुई जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। इस महापंचायत ने टिकैत के आंदोलन को लोगों के समर्थन का सबूत दिया तो साथ ही राकेश टिकैत को अब इस आंदोलन का सबसे चेहरा भी साबित कर दिया।