Ram Rahim News: राम रहीम को पैरोल के खिलाफ स्वाति मालीवाल ने घेरा मोदी को, हरियाणा के CM पर लगाया था ये बड़ा आरोप

Ram Rahim News। हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में अपने कुकर्मों की जेल में सजा भुगतने वाले कुख्यात बाबा राम रहीम पर भारतीय जनता पार्टी की मेहरबानियों पर दिल्ली महिला आयोग ने सवाल उठाएं हैं।

Update: 2022-10-29 12:01 GMT

Ram Rahim News। हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में अपने कुकर्मों की जेल में सजा भुगतने वाले कुख्यात बाबा राम रहीम पर भारतीय जनता पार्टी की मेहरबानियों पर दिल्ली महिला आयोग ने सवाल उठाएं हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से पांच सवाल पूछने के बाद आयोग की मुखिया ने अब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र भेजकर मामले में हस्तक्षेप की अपील की है।

जैसा की मालूम ही है कि दुष्‍कर्म के अपराध में जेल में बंद डेरा सच्‍चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को हाल ही में 40 दिनों की पैरोल पर रिहा किया गया है। बाबा ने जेल से बाहर निकलते ही आश्रम में पहुंचने के बाद ऑनलाइन सत्‍संग भी करना शुरू कर दिया था, जिससे हरियाणा सरकार पर सवाल उठ रहे थे। जेल में बंद इस बाबा को उसके वीभत्स अपराधों के बाद इससे पहले भी पैरोल मिलता रहा है। ताजा पैरोल में बाबा के सत्संग में हरियाणा सरकार के कई मंत्रियों और राजनैतिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों ने शिरकत कर पूरे विश्व में देश को शर्मसार कर दिया था। भारतीय जनता पार्टी की बलात्कारियों के प्रति प्रेम की इसी नीति के तहत इससे पूर्व गुजरात की बिल्किस बानो के बलात्कारियों को सजायाफ्ता होने के बाद भी रिहा कर दिया गया था। चुनावी चौसर पर हिंदू मुस्लिम का खेल खेलकर अजेय होने का दंभ पाले भाजपा के नेताओं पर दिल्ली महिला आयोग ने सीधा हमला कर दिया है।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि भारत में बलात्कार के दोषियों के लिए छूट और पैरोल की नीतियों से संबंधित एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है। गुजरात की बिल्किस बानो के बलात्कारियों को रिहा करने का मामले से शुरू करते हुए मालीवाल ने अपने पत्र में हरियाणा के बाबा राम रहीम का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हाल ही में हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पैरोल पर रिहा किया है, जो बलात्कार और हत्याओं का दोषी है और रोहतक की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। कैद के दौरान दोषी को कई बार रिहा किया जा चुका है। इस बार, पैरोल पर बाहर होने पर, उन्होंने कई 'प्रवचन सभाओं' का आयोजन किया है और खुद को बढ़ावा देने वाले संगीत वीडियो जारी किए हैं। वास्तव में, हाल ही में हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सरकार के उपाध्यक्ष और महापौर (हरियाणा) और परिवहन मंत्री (हिमाचल प्रदेश) सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उनकी प्रवचन सभाओं में भाग लिया और उनके प्रति पूरी निष्ठा और समर्थन का वादा किया ! वह हाथ जोड़कर उनकी सभाओं में कतारों में खड़े हो गए और उनका आशीर्वाद लिया और दोषी के "काम" की सराहना की !

ये घटनाएं बेहद परेशान करने वाली हैं और प्रभावशाली दोषियों के साथ उच्च पदस्थ राजनेताओं की मिलीभगत को दर्शाती हैं। राजनेता अपनी वोट बैंक की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए बलात्कारियों का इस्तेमाल करना जारी रखते हैं, खासकर जब चुनाव नजदीक हैं, जो कि गुजरात और हरियाणा दोनों में होता है। यदि राजनीतिक रसूख का आनंद लेने वाले प्रभावशाली लोग महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों में आजीवन कारावास की सजा काटकर अनुचित लाभ प्राप्त कर सकते हैं, तो न्याय से स्पष्ट रूप से इनकार किया जाता है और महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के किसी भी कदम को किसी भी योग्यता से रहित किया जाता है।

मालीवाल ने सजायाफ्ताओं को छोड़े जाने, पैरोल दिए जाने के मौजूदा नियम और नीतियों को बेहद कमजोर बताते हुए कहा कि इसमें राजनेताओं और दोषियों द्वारा अपने फायदे के लिए आसानी से हेरफेर किया जा सकता है। इसलिए, कानूनों और नीतियों के किसी और दुरुपयोग से बचने के लिए, उनकी समीक्षा करने और उन्हें और अधिक कठोर बनाने की तत्काल आवश्यकता है ताकि न्याय प्राप्त हो सके।

आगे उन्होंने कहा कि बलात्कार, हत्या, तस्करी, तेजाब हमले और अन्य जैसे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों के मामले में दोषियों की सजा में छूट की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ऐसे जघन्य अपराधों में असाधारण परिस्थितियों में, दुर्लभतम से दुर्लभतम मामलों में, सख्त शर्तों के साथ और केवल कुछ दिनों के लिए सजा काट रहे दोषियों को ही पैरोल और फरलो दी जानी चाहिए ! इसलिए उनसे विशेष अनुरोध है कि बिलकिस बानो के बलात्कारियों की समय से पहले रिहाई का मामला गुजरात सरकार से उठाएं ताकि बलात्कारियों को उनकी पूरी जेल की सजा दी जा सके। इसके अलावा गुरमीत राम रहीम की पैरोल का मामला हरियाणा सरकार के सामने भी उठाएं ताकि उसकी पैरोल तुरंत रद्द की जाए। बलात्कारी और हत्यारे गुरमीत राम रहीम की सभाओं में भाग लेने वाले हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सरकार के वरिष्ठ पदाधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ गंभीर अपराधों में सजा काटने वाले दोषियों के लिए छूट, पैरोल और फरलो के संबंध में कड़े कानूनों और नीतियों को सुनिश्चित करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करें। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में दोषियों की सजा किसी भी हाल में कम नहीं होनी चाहिए।

स्वाति मालीवाल में मोदी को देश की चिंता से वाकिफ कराते हुए लिखा है कि बिलकिस बानो के बलात्कारियों को उनकी पूरी सजा के बिना जेल से रिहा किए जाने के साथ-साथ खतरनाक और प्रभावशाली बलात्कारियों और गुरमीत राम रहीम जैसे हत्यारे को पैरोल पर रिहा किए जाने के मामलों ने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। इन कदमों के माध्यम से, हरियाणा और गुजरात की सरकारों ने न केवल पीड़ितों को न्याय से वंचित किया है, उन्होंने बलात्कारियों को भी अपना समर्थन दिया है जो देश की महिलाओं के लिए अत्यंत मनोबल गिराने वाला है।

यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी होगा कि आयोग की मुखिया स्‍वाति मालीवाल ने इससे पहले ट्वीट कर हरियाणा सीएम से भी पूछा था कि क्‍या राम रहीम को पैरोल कोर्ट ने दी ? अगर हां तो किस कोर्ट ने दी ? दूसरा सवाल पूछा कि आपके मंत्री ने कहा क‍ि पैरोल आपकी सरकार के जेल विभाग का मुद्दा है, तो क्‍या गृह मंत्री ने झूठ बोला ? क्‍या पैरोल जिला अधिकारी ने दी ? तीसरा सवाल पूछा क‍ि पैरोल सिर्फ बेहद जरूरी कारणों पर दी जाती है, राम रहीम को क्‍या जरूरी काम है? वहीं चौथा सवाल पूछा क‍ि जो सरकारी लोग उसके सत्‍संग में गए, उनके खिलाफ क्‍या कार्यवाही होगी ? पांचवे सवाल में पूछा क‍ि क्‍या सरकार ने बाबा को गुड कंडक्‍ट प्रिजनर माना है ? स्वाति के उठाए गए इन सवालों का कोई जवाब हरियाणा सरकार से नहीं मिला। जिसके बाद उन्होंने अब देश के प्रधानमंत्री को ही पत्र लिखकर बाबा राम रहीम के मामले में हस्तक्षेप की अपील की है।

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