Ramanagar News : रामनगर नगर पालिका का बहुचर्चित मुकदमा कोर्ट से खारिज, बीते चुनाव में बदल दिए थे सारे समीकरण, भगीरथ ने बताया सत्य की जीत

Ramanagar News : मुकदमा कोर्ट से खारिज होने के बाद पालिका की स्थानीय राजनीति के समीकरण तेजी से बदलने लगे हैं, पूर्व पालिकाध्यक्ष भगीरथलाल चौधरी ने इसे सत्य की जीत बताया है.....

Update: 2022-05-19 12:30 GMT

Ramanagar News : प्रेस को संबोधित करते पूर्व पालिकाध्यक्ष भगीरथलाल चौधरी

Ramanagar News : रामनगर नगर पालिका (Ramnagar Nagar Palika) की स्थानीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक चर्चित मुकदमे को न्यायालय (Court) ने खारिज कर दिया। नगर पालिका की ओर से यह मुकदमा पूर्व पालिकाध्यक्ष भगीरथलाल चौधरी से करीब 75 लाख रुपए की वसूली की लिए दायर किया गया था।

मुकदमा कोर्ट से खारिज होने के बाद पालिका (Ramnagar News) की स्थानीय राजनीति के समीकरण तेजी से बदलने लगे हैं। पूर्व पालिकाध्यक्ष भगीरथलाल चौधरी ने इसे सत्य की जीत बताया है। इस मुकदमे की बिना पर बीते नगर पालिका चुनाव के समीकरण ऐसे बदले थे कि तमाम राजनैतिक लोगों की नजरें इस मुकदमे पर लगी थी।

यह है पूरा प्रकरण

खारिज हुए इस मुकदमे के तार 43 साल पुराने 18 बीघा जमीन को लेकर हुए पीसी मुथन्ना से हुए समझौते से जुड़े हैं जिसका सौदा 15 हजार रुपए में नगर पालिका (Ramnagar Nagar Palika) ने किया था। 1990 में मुथन्ना ने इस जमीन का कब्जा नगर पालिका को देकर अगले पांच सालों में सौदे की धनराशि मुथन्ना ने प्राप्त कर ली। लेकिन रकम चुकाने के बाद भी इस जमीन की रजिस्ट्री पालिका को नहीं हुई। जिसके चलते इस जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया।

1997 में भगीरथलाल चौधरी के पालिकाध्यक्ष (Ramnagar News) बनने के बाद उन्हें इस सौदे की जानकारी हुई तो उन्होंने मुथन्ना पर जमीन की रजिस्ट्री के लिए पत्राचार किया। जब तक 15 बीघे भूमि अतिक्रमण की जद में आने के कारण 3 बीघा भूमि की रजिस्ट्री वर्ष 2001 में पालिका को करते हुए मुथन्ना ने शेष भूमि की रकम 12,600 रुपए चेक से पालिका को वापस कर दी। 18 बीघा जमीन का सौदा होने के बाद रजिस्ट्री केवल 3 बीघा भूमि की होने के बाद इस सौदे पर उंगलियां उठने लगी। लोगों ने तत्कालीन पालिकाध्यक्ष भगीरथलाल चौधरी पर पालिका को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।

यहां तक कि 2010 में कमिश्नर नैनीताल ने भी नगर पालिका को चौधरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए। इस मामले में ललित मोहन पाण्डे की 2017 की एक पीआईएल पर हाई कोर्ट ने भी मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए तो पालिका द्वारा 2019 में पूर्व पालिकाध्यक्ष भगीरथलाल चौधरी से करीब 75 लाख रुपए वसूली का यह मुकदमा सिविल जज (प्र. ख.) राजेश कुमार की अदालत में दायर किया गया।

करीब तीन साल चले इस मुकदमें में न्यायालय ने कई बिंदुओं को रेखांकित किया। जिन्हें नगर पालिका साबित करने में असफल रही। इसके अलावा देरी से मुकदमा दायर करने के मामले में भी नगर पालिका कोई ठोस वजह नहीं बता पाई। जिस वजह से कोर्ट ने इस केस को खारिज कर दिया।

कुछ ऐसे बदले थे पिछले चुनाव में समीकरण

नगर पालिका द्वारा पूर्व पालिकाध्यक्ष भगीरथलाल चौधरी के खिलाफ दायर इस मुकदमे से बीता नगर पालिका का चुनाव खासा प्रभावित रहा। नगर पालिका द्वारा चौधरी को अपना बकायेदार घोषित करने के कारण चौधरी वर्ष 2018 के नगर पालिका चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद नगर पालिका से अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल नहीं कर पाए। जिस कारण उनका नामांकन खारिज हो गया था। इस चुनाव में चौधरी की जीत हार का निर्णय तो चुनावी मैदान में होता। लेकिन इस तकनीकी पेंच की वजह से वह चुनावी मैदान में खड़े ही नही रह पाए।


सत्य की जीत बताया चौधरी ने

पूर्व पालिकाध्यक्ष भगीरथलाल चौधरी ने कहा कि पालिका द्वारा यह मुकदमा कुछ लोगों द्वारा उन्हें नगर पालिका चुनाव में हिस्सेदारी करने से रोकने के लिए राजनैतिक कारणों से किया था। जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि राजनैतिक प्रतिद्वंदिता चुनावी मैदान में दिखाएं। जोड़-तोड़ और तिकड़मबाजियों से कुछ समय के लिए ऐसे लोग सफल हो सकते हैं। लेकिन अंतिम जीत सत्य की ही होती है। जैसा इस केस में हुआ है। उनकी लोकप्रियता से घबराकर उन्हें चुनाव से पहले ही तकनीकी आधार पर चुनाव मैदान से बाहर करने वालों को जनता पर भरोसा नहीं है। इसीलिए वह कभी जाति-धर्म तो कभी तिकड़मों का सहारा लेकर उन्हें रोकने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन न्यायालय के निर्णय के बाद ऐसे लोगों के मंसूबे पूरे नहीं होंगे।

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