टिकरी बॉर्डर पर बंगाल की युवती से रेप मामला : बचाव में किसान नेता, सरकार हुई हमलावर
गृह मंत्री अनिल विज ने डीजीपी को सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए, डीएसपी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित, महिला आयोग ने रिपोर्ट मांगी......
जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। किसान आंदोलन के टीकरी धरनास्थल पर बंगाल की युवती से रेप और कोरोना से उसकी मौत का मामला सुर्खियों में आने के बाद तूल पकड़ गया है। मामले को लेकर सरकार पूरी तरह से हमलावर हो गयी है। गृह मंत्री अनिल विज ने डीजीपी मनोज यादव को इस केस की जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी भी जल्दी करने को बोला है। गृह मंत्री की सक्रियता के बाद पुलिस ने अपनी कार्यवाही को गति दे दी है।
झज्जर के एसपी राजेश दुग्गल ने बताया कि बहादुरगढ़ डीएसपी पवन कुमार के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर दी गई है। जांच टीम ने घटनास्थल का दौरा किया। आरोपियों के तंबू जिस जगह लगे हुए थे,वहां भी पुलिस ने जांच की है। उन्होंने बताया कि छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। किसान सोशल आर्मी से जुड़े अनिल मलिक और अनूप चणौत को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
इसके साथ ही किसान आंदोलन से जुड़ी योगिता और कविता नाम की महिला किसानों को भी नामजद किया गया है। इधर मामले में राज्य महिला आयोग ने भी संज्ञान लिया है। एसपी को एक पत्र लिख कर मामले की जानकारी मांगी गई है। इसके साथ ही जांच तेज करने की गुजारिश भी की गयी है।
इसलिए किसान मोर्चे पर उठ रहे हैं सवाल
एक आरोपी अनूप चणोत ने अपने फेसबुक अकाउंट से एक वीडियो जारी कर दावा किया कि बंगाल से जब टीम वापस आ रही थी तो रेल में पीड़िता के साथ छेड़छाड़ हुई थी। उसने यह भी कहा, 'इस मामले में बुजुर्ग किसानों की लंबी बैठक हुई, यह बैठक छह मई को हुई थी, जो कि आठ घंटे चली'। उसने दावा किया कि रेल से बंगाल से आते वक्त युवती से छेड़छाड़ हुई थी। इसका आरोप अनिल मलिक पर लगा था।
उसने यह भी दावा किया कि आंदोलन को बदनाम करने की एक साजिश है। सवाल यह है कि यदि मोर्चे को इस मामले की जानकारी थी तो क्यों इस मामले को दबाया गया। अनूप ने स्वीकार किया कि उसे ही कुछ किसान नेताओं ने आंदोलन स्थल से इधर उधर होने के बोला था। हालांकि उसने दावा किया कि वह किसान आंदोलन के बीच में है। दावा यह भी किया कि वह टीकरी बार्डर पर है।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने दावा किया कि मोर्चे के आग्रह के बाद ही पीड़िता का पिता पुलिस में शिकायत देने के लिए राजी हुआ। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी है,उसके खिलाफ उचित कार्यवाही होनी चाहिए।
बंगाल से किसानों के साथ आई थी युवती
पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले किसान नेता वहां बीजेपी के विरोध के लिए गए थे। इस टीम में किसान सोशल आर्मी के सदस्य भी गए हुए थे। वहीं पर युवती भी उनके साथ दिल्ली आने को तैयार हो गयी। 11 अप्रैल को युवती टीम के सदस्यों के साथ हावड़ा से दिल्ली के लिए रवाना हुई थी। पीड़िता के पिता ने बताया कि रास्ते में उसकी बेटी के साथ छेड़छाड़ हुई। इसके बाद वह सभी टीकरी आ गए, यहां भी उसकी बेटी के साथ रेप हुआ।
पिता ने बेटी से आग्रह किया कि वह कुछ महिलाओं को विश्वास में लेकर उन्हें सारी बात बताए। इस पर पीड़िता ने 16 अप्रैल को योगिता व जगदीश को घटना के बारे में बताया। इसके बाद पीड़िता का बयान वीडियो में रिकॉर्ड किया गया। 17 अप्रैल को पीड़िता के पिता को बताया कि उसकी बेटी की तबीयत खराब हो गई है। 18 अप्रैल को उसकी बेटी को महिलाओं के तंबू में शिफ्ट किया गया।
24 अप्रैल को उसे कोविड संक्रमित होने के लक्षण नजर आने लगे। तबीयत ज्यादा खराब होने पर 26 अप्रैल को उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां इलाज के दौरान 30 अप्रैल को युवती की मौत हो गई। किसान नेताओं ने युवती को शहीद का दर्जा दिया, उसके शव को खुली जीप में लेटा कर जुलूस निकालते हुए उसका अंतिम संस्कार किया।
अब पिता क्यों कुछ आरोपियों को क्लीन चिट दे रहे हैं ?
मामले में पहले पीड़िता के पिता ने छह लोगों के खिलाफ शिकायत दी थी, लेकिन अब वह आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस ने कुछ नाम खुद से जोड़ लिए हैं। खासतौर पर जिन महिलाओं का नाम मामले से जोड़ा गया है, अब युवती का पिता उन्हें बेकसूर बता रहा है। एक युवती जिसको मामले में नामजद किया गया है, उससे पीड़िता के पिता की बातचीत को सोशल मीडिया में वायरल किया गया है, इसमें वह बोल रहे हैं कि आरोपित लड़की बेकसूर है, उसका नाम उन्होंने पुलिस शिकायत में नहीं लिया।
इतना ही नहीं सोमवार को पीड़िता के पिता ने एक वीडियो कांफ्रेंस कर किसान मोर्चा को भी क्लीनचिट दी थी। उन्होंने बताया कि सिर्फ दो लोगों के खिलाफ पुलिस को शिकायत दी थी। अब पता नहीं कैसे पुलिस ने छह लोगों को नामजद कर लिया है। उसने बताया कि वह एक बार फिर से पुलिस को अपने बयान देगा और इसमें बताएंगा कि दो ही लोग आरोपी है।
इधर पुलिस का तर्क है कि युवती क्योंकि छह लोगों के साथ हावड़ा से दिल्ली आई थी। इसलिए छह को ही नामजद किया गया है। यह तो जांच के बाद पता चलेगा कि किसका क्या कसूर है। क्योंकि यह पुलिस की जांच का हिस्सा है। पुलिस की ओर से बताया गया कि सोशल मीडिया पर बयान देने से कोई बेकसूर या आरोपित नहीं हो जाता है।
जांच के बाद ही पता चलेगा कि किसकी क्या भूमिका रही। इसलिए छह को आरोपी बनाया गया है। उन्हें चाहिए कि वह जांच में शामिल हो। पुलिस का सहयोग करें। यदि वह खुद को बेकसूर साबित कर देते हैं तो उनका नाम निकाल दिया जाएगा।
रेप का मामला सामने आने के बाद किसान आंदोलन का विरोध करने वालों के पास एक नया मुद्दा आ गया है। वह पूरी कोशिश कर रहे हैं कि इस मामले को ज्यादा से ज्यादा उछाला जाए। मामले को लेकर किसान संगठन भी अंदर ही अंदर खासे बेचैन नजर आ रहे हैं। उनके पास भी कई सवालों के जवाब नहीं है।