Raymond Group के पूर्व चेयरमैन ने अपनी जीवनी में ऐसा क्या लिख दिया कि बॉम्बे HC ने बिक्री-वितरण पर लगाया प्रतिबंध

Raymond Group : कंपनी की याचिका के अनुसार आत्मकथा उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है, फर्म को बदनाम करती है और इसके व्यावसायिक संचालन और अन्य गोपनीय जानकारी पर भी चर्चा करती है।

Update: 2021-11-08 10:13 GMT

(याचिका में दावा किया गया था कि पुस्तक की सामग्री मानहानिकारक है)

Raymond Group। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने 5 नवंबर को एविएटर-उद्योगपति विजयपत सिंघानिया (Vijaypat Singhania) की आत्मकथा 'एन इनकंप्लीट लाइफ' (An Incomplete Life) की बिक्री, प्रसार और वितरण पर रोक लगा दी। रेमंड समूह (Raymond Group) के पूर्व अध्यक्ष 83 वर्षीय विजयपत सिंघानिया पुस्तक के विमोचन को लेकर अपने अलग हुए बेटे गौतम सिंघानिया और रेमंड कंपनी के साथ कानूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं।

2019 में रेमंड लिमिटेड और इसके अध्यक्ष गौतम सिंघानिया (Gautam Singhania) ने ठाणे जिला सत्र अदालत और मुंबई की एक दीवानी अदालत में मुकदमा दायर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि पुस्तक की सामग्री मानहानिकारक है। अप्रैल 2019 में ठाणे अदालत ने पुस्तक के विमोचन पर निषेधाज्ञा दी थी।

कंपनी ने गुरुवार को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर तत्काल राहत की मांग करते हुए दावा किया कि विजयपत सिंघानिया ने 31 अक्टूबर को 232 पन्नों की किताब का "गुप्त रूप से" विमोचन किया। 5 नवंबर को न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की अवकाशकालीन पीठ ने रेमंड की याचिका पर सुनवाई की और पुस्तक के आगे बिक्री, वितरण और प्रसार पर रोक लगाने का आदेश पारित किया।

कंपनी ने एचसी से प्रकाशक मैकमिलन पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड को पुस्तक के आगे वितरण, बिक्री या उपलब्ध कराने से रोकने की मांग की।

अधिवक्ता कार्तिक नायर, ऋषभ कुमार और कृष कालरा के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया है कि विजयपत सिंघानिया और प्रकाशक ने ठाणे जिले में सत्र अदालत द्वारा जारी अप्रैल 2019 के उस आदेश का उल्लंघन किया है जिसके द्वारा आत्मकथा के विमोचन पर निषेधाज्ञा जारी की गई थी।

नायर ने कहा, "उच्च न्यायालय और ठाणे सत्र न्यायालय ने फरवरी 2019 और अप्रैल 2019 के बीच विजयपत सिंघानिया को उनकी आत्मकथा प्रकाशित करने या जारी करने से रोकने के लिए कई आदेश पारित किए थे। हालांक प्रतिवादी (विजयपत सिंघानिया और प्रकाशक) ने जानबूझकर आदेशों की अवहेलना करते हुए 'एन इनकंप्लीट लाइफ' नामक पुस्तक को पहले ही प्रकाशित कर दिया है और इसे बाजार में बिक्री के लिए रख दिया है।"

याचिका में कहा गया है कि दिवाली की छुट्टी के लिए ठाणे सत्र अदालत बंद होने के कारण उन्हें सीधे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। न्यायमूर्ति तावड़े ने मामले की सुनवाई के बाद विजयपत सिंघानिया और प्रकाशक को पुस्तक की बिक्री, प्रसार या वितरण पर रोक लगाने का आदेश पारित किया।

कंपनी की याचिका के अनुसार आत्मकथा उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है, फर्म को बदनाम करती है और इसके व्यावसायिक संचालन और अन्य गोपनीय जानकारी पर भी चर्चा करती है।

याचिका में कहा गया है, "यह भी माना जाता है कि पुस्तक में गोपनीय मध्यस्थता कार्यवाही और अन्य कानूनी कार्यवाही के बारे में जानकारी और विवरण शामिल हैं जो याचिकाकर्ता (रेमंड) के अध्यक्ष गौतम सिंघानिया और विजयपत सिंघानिया के बीच चल रही हैं।"

विजयपत सिंघानिया का नाम देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में शुमार रहा है। कभी वो 12 हजार करोड़ की कंपनी रेमंड के मालिक थे। लेकिन बेटे के चलते आज वो पाई-पाई के लिए मोहताज हो चुके हैं। विजयपत का दावा है कि उनके बेटे गौतम सिंघानिया ने उनसे घर और गाड़ी छीन लिया जिसके चलते वह मुंबई में एक किराए के मकान में रह रहे हैं।

बता दें कि 2015 में विजयपत सिंघानिया ने अपनी कंपनी के सभी शेयर अपने बेटे को दे दिए थे। उस दौरान शेयर की कीमत 1000 करोड़ रुपये थी। सिंघानिया ने आरोप लगाया कि सीएमडी होने का गलत फायदा उठाते हुए गौतम ने सारी संपत्ति अपने नाम कर ली। इसके बाद विजयपत की आर्थिक हालत खराब हो गई और वो किराए के मकान में रहने पर मजबूर हो गए।

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