अस्पताल बन गए धंधा-माफिया लिंक का जिक्र कर सुप्रीम कोर्ट ने कहा-'नहीं करेंगे बर्दाश्त', गुजरात सरकार की नोटिफिकेशन स्थगित
गुजरात सरकार की अधिसूचना में अस्पतालों के लिए भवन उप-नियमों के उल्लंघन को ठीक करने हेतु समय सीमा को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया था..
जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात सरकार की एक अधिसूचना को स्थगित करते हुए माफिया लिंक का जिक्र करते हुए कड़ी टिप्पणी की है। अधिसूचना में अस्पतालों के लिए भवन उप-नियमों के उल्लंघन को ठीक करने हेतु समय सीमा को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। शीर्ष अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा, ''एक के बाद एक मामलों में हम डेवलपर्स, योजना प्राधिकरणों और कानून लागू करने वाले प्राधिकारों के बीच बड़े माफिया गठजोड़ देख रहे हैं।''
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, ''हम जो कुछ भी कर रहे हैं, उन उल्लंघनों की अनदेखी करके हम खतरनाक प्रतिष्ठानों को जारी रखने की अनुमति दे रहे हैं। हम समाज में सभी बुराइयों को ठीक नहीं कर सकते हैं, लेकिन हमें एक न्यायाधीश के रूप में कानून के शासन को बनाए रखने के लिए जो करना चाहिए, वह करेंगे।''
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, ''लोगों को महामारी से बचाने के प्रयास में हम लोगों को आग से मार रहे हैं। भवन उपयोग की अनुमति के साथ भी, यदि दो कमरों की जगह को अस्पताल में परिवर्तित किया जाता है, तो भी अनुमति आवश्यक है। हम उन लोगों की जान जोखिम में नहीं डाल सकते जिन्हें सुरक्षा की जरूरत है।'' याचिका में भवन अनुमति के लिए मंजूरी को लेकर समय देने का अनुरोध किया गया।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आठ जुलाई की अधिसूचना के परिणामस्वरूप, राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि जिन भवनों के पास वैध भवन उपयोग की अनुमति नहीं है, या जो इसका उल्लंघन कर रहे हैं, या उपयोग में परिवर्तन, मार्जिन जैसे नियमों का उल्लंघन करते हैं, वे ''गुजरात महामारी कोविड-19 विनियम, 2020 के लागू होने की अंतिम तिथि से तीन महीने की अवधि के लिए जीडीसीआर का अनुपालन करने के दायित्व से मुक्त होंगे।''
न्याय पीठ ने कहा, ''हम उम्मीद करते हैं कि गुजरात राज्य कानून के शासन का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाएगा।''
न्यायमूर्ति शाह ने कहा, ''एक छोटे से आईसीयू रूम में करीब 7-8 लोग भर्ती हैं। हमने कोविड-10 की दूसरी लहर के दौरान आपात स्थिति को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित नहीं किया। अगर हमने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशा-निर्देशों को सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) पर लागू किया होता, तो गुजरात के 80 प्रतिशत अस्पताल बंद हो जाते।''