RSS का किसान संघ भी कृषि कानूनों के खिलाफ, मोदी सरकार पर 15 हजार सुझावों को नजरअंदाज करने का लगाया आरोप
देश में किसानों से जुड़े तीन अहम बिलों का जब ड्राफ्ट तैयार हो रहा था, तब आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने देश के 15 हजार गांवों से प्रस्ताव पारित कर सुझावों का पुलिंदा कृषि मंत्रालय को भेजा था। तीनों किसान बिलों में इन प्रस्तावों की अनदेखी हुई।
जनज्वार। देश में किसानों से जुड़े तीन अहम बिलों का जब ड्राफ्ट तैयार हो रहा था, तब आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने देश के 15 हजार गांवों से प्रस्ताव पारित कर सुझावों का पुलिंदा कृषि मंत्रालय को भेजा था। तीनों किसान बिलों में इन 15 हजार प्रस्तावों की अनदेखी पर भारतीय किसान संघ ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। कहा है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी प्रस्तावों पर सहमत थे, तो फिर क्यों मंत्रालय ने सुझाव नजरअंदाज किए। भारतीय किसान संघ के मुताबिक किसानों के बीच से आए सुझावों को नजरअंदाज करने से पता चलता है, कि कृषि मंत्रालय में नौकरशाह हावी हैं। भारतीय किसान संघ ने एमएसपी की गारंटी देने के लिए नया कानून लाने की सरकार से मांग दोहराई है।
संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण ने आईएएनएस से कहा कि, " देश में करीब 80 हजार गांवों में किसानों से जुड़ी समितियों की गठन हुआ है। भारतीय किसान संघ ने इनमें से 15 हजार गांवों की समितियों के जरिए कृषि बिलों को लेकर प्रस्ताव पारित किए थे। जिसे कृषि मंत्री से मिलकर उन्हें उपलब्ध कराया गया था। ऐसे सुझाव दिए गए थे, जिससे किसानों को सचमुच में फायदा होगा। कृषि मंत्री ने भी प्रतिनिधिमंडल से भेंट करते हुए सुझावों पर सहमति जाहिर की थी। लेकिन बाद में पता चला कि सुझावों का बिल में इस्तेमाल हुआ ही नहीं। इससे यही अंदाजा लगता है कि कृषि मंत्रालय में अफसर ज्यादा हावी हैं।
भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्रीनारायण ने सवाल उठाते हुए कहा कि देश के कई हिस्सों में प्राइवेट प्लेयर्स की धोखाधड़ी सामने आ चुकी है। शिमला में सेब खरीदने के नाम पर कई प्राइवेट प्लेयर्स लाखों का चूना किसानों को लगा चुके हैं, तो नासिक में भी धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ऐसे में अगर सरकार मंडियों के समानांतर व्यवस्था कर रही है, तो फिर किसानों को उचित मूल्य ही मिलेगा, इसकी क्या गारंटी है?
भारतीय किसान संघ का मानना है कि सरकार चाहती तो बिल पर बेवजह हंगामा टाल सकती थी। सरकार को सिर्फ बिल में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देना था। अगर ऐसा होता तो फिर सरकार को अखबारों में विज्ञापनों के जरिए और पार्टी नेताओं को बार-बार एमएसपी को लेकर सफाई देने की जरूरत न पड़ती। राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण ने कहा कि जिस तरह से जल्द से जल्द तीनों बिल पास हुए और राष्ट्रपति ने भी उस पर मुहर लगा दी, उससे पता चलता है कि सरकार अब तीनों कानूनों के मसले पर जल्दी बैकफुट में आने के मूड में नहीं है। ऐसे में भारतीय किसान संघ एमएसपी की गारंटी देने वाले चौथे बिल की मांग करता है। अगर सरकार से उचित आश्वासन नहीं मिलता है तो फिर किसान संघ आगे की रणनीति तय करेगा।