Jama Masjid में लड़कियों की एंट्री बैन पर बवाल, VHP ने किया विरोध तो स्वाति मालीवाल ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

Jama Masjid News : जामा मस्जिद प्रबंधन ने तीनों एंट्री गेट पर नोटिस चस्पा कर बताया है कि पुरुष अभिभावक के बगैर मस्जिद ( Jama Masjid ) में महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकतीं।

Update: 2022-11-24 09:05 GMT

जामा मस्जिद में लड़कियों की एंट्री बैन पर बवाल, वीएचपी ने किया विरोध तो स्वाति मालीवाल ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

Jama Masjid News : देश की राजधानी दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद ( Jama Masjid ) में लड़कियों के प्रवेश पर पाबंदी ( ban on girl entry in Jama Masjid Delhi) गला दी गई है। जामा मस्जिद प्रबंधन ने तीनों एंट्री गेट पर इस बाबत एक नोटिस चस्पा कर सभी को इसकी जानकारी दी है। मामले का खुलासा होने के बाद से प्रबंधन के आदेश पर विवाद हो गया है। विश्व हिंदू परिषद ( VHP ) ने इस आदेश को खुलकर कर विरोध किया है, वहीं दिल्ली महिला आयोग ( DWC ) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ( Swati maliwal ) नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। 

नोटिस में क्या है



दरअसल, जामा मस्जिद(  Delhi Jama Masjid ) प्रबंधन ने तीनों एंट्री गेट पर एक नोटिस बोर्ड लगा दिया है। बोर्ड पर जानकारी दी गई है कि जामा मस्जिद में लड़कियों या महिलाओं का अकेले दाखिल होना मना है। मतलब कि लड़की या महिलाओं के साथ अगर कोई पुरुष अभिभावक नहीं है, तो उन्हें मस्जिद ( Mosque ) में प्रवेश नहीं मिलेगा। यह मामला सामने आने के बाद से इसको लेकर विवाद चरम पर पहुंच गया है।

महिलाओं की एंट्री पर बैन का अधिकार किसने दिया : स्वाति मालीवाल

आप सरकार दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ( Swati maliwal ) ने जामा मस्जिद ( Jama masjid ) प्रबंधन के इस फैसले की तीखी निंदा करते हुए मस्जिद के मुख्य इमाम को नोटिस जारी करने जवाब तलब की है। उन्होंने अपने ट्विट में कहा कि जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोकने का फैसला बिलकुल गलत है। जितना हक एक पुरुष को इबादत का है, उतना ही एक महिला को भी है। मैं जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हूं। इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का अधिकार किसी को नहीं है। यह अधिकार आपको किसने दिया।

भारत को सीरिया बनाने वाले लोग ईरान से सबक क्यों नहीं लेते : विनोद बंसल

वहीं प्रबंधन की इस भूल का लाभ उठाते हुए विश्व हिंदू परिषद ( VHP ) ने भी हमला बोल दिया है। वीएचपी के प्रवक्ता विनोद बंसल ( Vinod Bansal ) ने इसकी आलोचना करते हुए ट्वीट किया है कि भारत को सीरिया बनाने की मानसिकता पाले ये मुस्लिम कट्टरपंथी ईरान की घटनाओं से भी सबक नहीं ले रहे हैं, यह भारत है। यहां की सरकार 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' पर बल दे रही है। वो अपनी मनमर्जी नहीं चला सकते। 

सोशल मीडिया पर भी बैन का हो रहा है विरोध

जामा मस्जिद ( Jama Masjid ) में महिलाओं की एंट्री पर पाबंदी ( women entry ban in jama Masjid ) के बाद से यह मसला सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर इस फैसले की खूब आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर सूचना पट की फोटो डालकर लोग इसे तालिबानी फैसला बता रहे हैं। सूचना पट पर उर्दू और हिंदी में लिखा था कि जामा मस्जिद में लड़की और लड़कियों के दाखिले पर पाबंदी है।

नमाज पढ़ने के लिए आने वाली महिलाओं पर रोक नहीं

भारी विरोध के बीच जामा मस्जिद दिल्ली के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने साफ किया है कि नमाज पढ़ने के लिए आने वाली महिलाओं को नहीं रोका जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें आ रही थीं कि लड़कियां अपने प्रेमियों के साथ मस्जिद में आती हैं। अनुचित हरकतें करती हैं। वीडियो शूट करती हैं। इसे रोकने के लिए बैन है। परिवारों और विवाहित जोड़ों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। शाही इमाम बुखारी ने कहा कि अगर कोई महिला जामा मस्जिद आना चाहती है तो उसे परिवार या पति के साथ आना होगा। अगर नमाज पढ़ने के खातिर आती है तो उसे नहीं रोका जाएगा।

भारत की कई मस्जिदों में महिलाओं की एंट्री पर है बैन

मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि इबादत को लेकर इस्लाम महिला-पुरुष में कोई फर्क नहीं करता। महिलाओं को भी उसी तरह इबादत का हक है जैसे पुरुषों को है। मक्का, मदीना और यरुशलम की अल अक्सा मस्जिद में भी महिलाओं की एंट्री बैन नहीं है। भारत की कई मस्जिदों में महिलाओं की एंट्री बैन है।

बैन के खिलाफ मस्जिद में लंबित है याचिका

Jama Masjid News : मस्जिद में महिलाओं की एंट्री बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका लंबित है। पुणे की एक मुस्लिम दंपती यास्मीन जुबेर पीरजादे और उनके पति जुबेर अहमद पीरजादे ने यह याचिका दाखिल की है। मुस्लिम दंपत्ति ने मांग की है कि देशभर के मस्जिदों में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दी जाए। महिलाओं की एंट्री बैन करना 'असंवैधानिक' है। समानता के अधिकार और जेंडर जस्टिस का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि कुछ मस्जिदों में महिलाओं को नमाज के लिए अलग से जगह है, लेकिन देश की ज्यादातर मस्जिदों में यह सुविधा नहीं है।

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