TV MEDIA : संबित पात्रा तो झूठों के भीष्म पितामह निकले, लेकिन शर्त लगा लो डॉयरेक्टर साब माफी नहीं मागेंगे

सज़ा से बचने के लिए माफ़ी माँगना अंग्रेजों के ज़माने में मज़बूरी होती थी लेकिन आज ऐसी कोई मज़बूरी नहीं रहती है इसलिए पक्का है कि सम्बित हमेशा की तरह इस बार भी माफ़ी नहीं माँगेंगे...

Update: 2021-12-06 14:51 GMT

संबित पात्रा का नया झूठ (image/aajtak/)

TV MEDIA : गोदी मीडिया के चैनल आज तक पर कल भाजपा नेता और प्रवक्ता संबित पात्रा ने कुछ ऐसे दावे कर दिए कि वह एक बार फ़िर से चर्चा में आ गए हैं । संबित पात्रा ने कहा कि वह UPSC के 2000 बैच में उन्नीसवीं रैंक पाने वाले व्यक्ति हैं। उस वक्त UPA की सरकार थी , भाजपा की नहीं इसलिए उनके UPSC क्वालिफ़ाई किए जाने पर किसी भी प्रकार का शक नहीं किया जाना चाहिए।

अब चूँकि सम्बित पात्रा के मुँह से इस सदी के कुछ सबसे बड़े झूँठ हम पहले ही कई बार सुन चुके हैं इसलिए हमें कोई आश्चर्य नहीं हुआ कि वह इस बार भी कई सारे झूँठ एक साथ बोल गए। सज़ा से बचने के लिए माफ़ी माँगना अंग्रेजों के ज़माने में मज़बूरी होती थी लेकिन आज ऐसी कोई मज़बूरी नहीं रहती है इसलिए पक्का है कि सम्बित हमेशा की तरह इस बार भी माफ़ी नहीं माँगेंगे। फ़िर भी हम अपने पाठकों को बताएँगे कि पात्रा ने इस बार कौन से झूँठ बोले हैं।

1. UPSC क्लीयर - आधा झूँठ , आधा सच। सम्बित पात्रा की बातों से ऐसा लगता है कि वह IAS अधिकारी रहे हैं लेकिन यह सच नहीं है। हाँ सम्बित पात्रा UPSC के द्वारा आयोजित कम्बाइंड मेडिकल इग्ज़ाम पास किए हुए हैं IAS वाला UPSC नहीं। सो उनका UPSC वाला दावा आधा सच - आधा झूँठ ही कहा जाएगा।

2. UPSC को सन 2000 में क्लीयर किया - यह बात पूरी तरह झूँठ है। पात्रा ने अपनी MBBS ही 2003 में कंप्लीट की और बिना MBBS पूरी किए UPSC का ना तो सिविल सर्विस वाला इग्ज़ाम यह दे सकते थे और ना ही मेडिकल सर्विस वाला। स्पष्ट है कि इन्होंने UPSC 2003 के बाद ही क्लीयर की।

3. सन 2000 में इस देश के अंदर UPA की सरकार थी - यह तथ्य पूरी तरह झूँठ है। 1998 से लेकर 2004 तक भाजपा की सरकार थी , UPA की नहीं और वाजपेयी जी PM थे ।

4. UPSC में इनकी 19th रैंक - इस बारे में कोई डेटा उपलब्ध नहीं । सम्भव है इसके बारे में केवल सम्बित पात्रा ही जानते हों।

5. सम्बित पात्रा ने एक और घटिया बात इस इंटरव्यू में कही। उन्होंने सरकारी यूनिवर्सिटीज़ से पढ़ने वाले बच्चों का उपहास उड़ाते हुए कहा कि उनके टैक्स के पैसे से स्टूडेंट्स 50-50 वर्ष तक मज़े करते रहते हैं। शायद उनका इशारा कन्हैया कुमार की तरफ़ था।

सम्बित पात्रा की यह बेहद ओछी बयानबाज़ी थी क्यूँकि ख़ुद सम्बित पात्रा सरकारी कॉलेज से फ़्री सीट पर MBBS और MS करके आए हैं। इस लिहाज़ से उनकी पढ़ाई का ख़र्चा भी टैक्स पेयर्स ने ही चुकाया था। आम तौर पर यह दोनों डिग्री 05 करोड़ रुपए से ज़्यादा के खर्च में पूरी होती है लेकिन पात्रा को यह पैसा खर्च नहीं करना पड़ा। इसके बदले देश को उम्मीद रहती है कि फ़्री सीट से डॉक्टरी पढ़कर आए डॉक्टर समय आने पर देश की सेवा कर उस क़र्ज़ को उतारेंगे जो कि देश ने उसको मुफ़्त में MBBS और MS जैसी डिग्री देकर उसके ऊपर चढ़ाया था।

सम्बित पात्रा इस मामले में डबल ज़ीरो साबित हुए हैं। सम्बित पात्रा ने मात्र कुछ समय ही डॉक्टर की प्रैक्टिस की जबकि वह फ़ुल टाइम राजनीति करते रहे हैं। आप पिछले वर्ष का कोरोना याद करिए। जब पूरे देश को डॉक्टर्स की बहुत ज़्यादा ज़रूरत थी उस वक्त भी सम्बित पात्रा घर में क़ैद होकर TV डिबेट्स में भाजपा को डिफ़ेंड करते रहते थे बजाय किसी मरीज़ का इलाज़ करने के..। इनको डॉक्टर बनाने के लिए खर्च किया गया टैक्स पेयर्स का पूरा पैसा बर्बाद हो गया है और यह साहब जनता के टैक्स पर गुलछर्रे उड़ाते हुए दूसरे स्टूडेंट्स का मज़ाक़ उड़ा रहे थे .... है ना शर्म की बात ..?

डिस्क्लेमर : यह लेख धर्म वीर लाइव के एफबी खाते से लेकर प्रकाशित किया गया है. इस लेख से जनज्वार का कोई जुड़ाव नहीं है। 

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