अपने बयान से पलटे सत्यपाल मलिक, कहा - 300 करोड़ के रिश्वत मामले में RSS का नाम नहीं लेना चाहिए था
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक पहली बार आरएसएस पर दिए गए बयानों को लेकर दबाव में है। इसके लिए उन्होंने संघ से माफी मांग ली है।
मेघालय। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ( Satyapal Malik ) हमेशा अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन आरएसएस ( RSS ) से जुड़े एक मामले में दिए गए बयान को लेकर वो बैकफुट पर आ गए हैं। दैनिक भास्कर को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहने के दौरान 300 करोड़ रुपए की रिश्वत मामले ( Bribery Case ) का RSS से कोई लेना-देना नहीं है। इस गलती के लिए राष्ट्रीय स्वयं संघ ( RSS ) से मैंने माफी मांग ली है।
RSS की ओर से नहीं मिली धमकी
मलिक का कहना है कि अंबानी और RSS से जुड़े एक शख्स की फाइल पास करने के लिए 300 करोड़ की रिश्वत में मामले में गलत रिपोर्टिंग हुई थी। इस मामले में मुझे बताया गया था एक मामला अंबानी की कंपनी का है। यह छोटे अंबानी से जुड़ी फाइल थी। वहीं दूसरी फाइल में किसी ने RSS को शामिल किया था। उसने यह कहा था कि मैं RSS से संबंधित हूं, लेकिन मामले में RSS का कोई लेना देना नहीं है। इसलिए मुझे RSS का नाम भी नहीं लेना चाहिए था। इस मामले में मुझे RSS की तरफ से कोई धमकी नहीं दी गई थी। पहले मामले में भी अंबानी खुद नहीं था। उनकी तरफ से काम करने वाली एक कंपनी थी। अब यह मामला खत्म हो गया है। वो फाइल मैंने रोक दी थी। यह बिजनेस डील थी। इसकी जानकारी मैंने प्रधानमंत्री को दी थी। उन्होंने भी सपोर्ट किया और कहा कि आपने ठीक किया। भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं करना है।
महबूबा को मुझे नोटिस देने की जरूरत नहीं
जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल के पद पर रहते हुए उन्होंने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला पर रोशनी एक्ट के तहत सरकारी जमीन हड़पने का आरोप लगाया था। इस मुद्दे पर पीडीपी की ओर से अवमानना का लीगल नोटिस मिलने की बात पर उन्होंने कहा कि मुझे आज तक कोई नोटिस नहीं मिला है। नियम के मुताबिक मौजूदा राज्यपाल को किसी कानूनी प्रक्रिया में नहीं घसीटा जा सकता है। महबूबा को मुझे नोटिस देने की जरूरत नहीं है। वो तो मेरे दोस्त की बेटी हैं। मुझे फोन कर सकती हैं। जहां तक रोशनी एक्ट की बात है तो मैं अपने बयान पर कायम हूं। इनके लोगों ने रोशनी एक्ट का बहुत फायदा उठाया। बहुत से प्लॉट हासिल किए।
गिरफ्तारी होने पर दंगा भड़क सकता था
कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन ( Kisan Andolan ) को लेकर उन्होंने कहा कि किसानों के साथ तो पिछले 70 सालों से अन्याय हो रहा है। आज तक किसानों को फसलों का सही दाम नहीं मिला। राकेश टिकैत की गिरफ्तारी रुकवाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ्तारी से सरकार को नुकसान होता। राकेश टिकैत के गांव में बहुत बड़े पैमाने पर भीड़ पहुंच चुकी थी और उस दिन महापंचायत होनी थी। ऐसे में दंगा भड़क सकता था। मैंने किसी को सुझाव दिया कि टिकैत को आज गिरफ्तार मत करो। इस मामले में मैंने मध्यस्थता का कोई ऑफर नहीं दिया। अपने स्तर पर सहयोग करने की बात जरूर की थी। मैं, जाट होने की वजह से इस आंदोलन का समर्थन नहीं कर रहा। मैं, चौधरी चरण सिंह का शिष्य रहा हूं। किसानों की समस्याओं को जानता हूं। इसलिए किसानों के हित में बात करता हूं।
यूपी चुनाव पर होगा किसान आंदोलन का असर
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन का असर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में आंशिक होगा। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में बहुत ज्यादा असर पड़ेगा। मैंने ये सब बातें प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान बता भी कही थी। लखीमपुर खीरी हत्याकांड पर मेरा बोलना ठीक नहीं है। लोग तो कह ही रहे हैं कि मंत्री जी को अपने पद से त्यागपत्र देना चाहिए।
अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला सही
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से धारा 370 ( Article 370 ) हटाने फैसला सही था। मैं, उसके बाद वहां एक साल तक राज्यपाल रहा। एक गोली भी नहीं चलानी पड़ी थी। कहीं कोई दंगा नहीं हुआ था। तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्री गिरफ्तार हुए, लेकिन किसी ने कोई विरोध नहीं किया था।
रिटायर होने के बाद किताब लिखूंगा
मैं रिटायर होने के बाद यदि स्वस्थ रहा तो किसानों के बीच जाऊंगा। अपनी किताब लिखूंगा इसके अलावा मेरा राजनीति में जाने का कोई मन नहीं है ।