देश के पहले समलैंगिक जज बनेंगे सौरभ कृपाल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दी मंजूरी, लंबे समय से लड़ रहे थे इसकी लड़ाई

सौरभ कृपाल ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की है। लॉ की डिग्री ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और पोस्टग्रेजुएट (लॉ) कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से किया है।

Update: 2021-11-16 04:39 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना ( CJI NV Ramna ) की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ( Supreme Court Collegium ) ने अधिवक्ता सौरभ कृपाल ( Saurabh Kripal ) को दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court ) का न्यायाधीश नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में किरपाल की प्रस्तावित नियुक्ति उनकी कथित यौन अभिरूचि के कारण विवाद का विषय थी। किरपाल को 2017 में तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल के नेतृत्व में दिल्ली उच्च न्यायालय के कॉलेजियम की ओर से पदोन्नत करने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के साथ ही हाईकोर्ट का जज बनने का गौरव हासिल कर नया इतिहास रच दिया है।

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चार बार कॉलेजियम एकमत राय नहीं बना पाई


इससे पहले मार्च 2021 में में भारत के पूर्व मुख्‍य न्‍यायधीश एसए बोबडे ने केंद्र सरकार से सौरभ कृपाल को जज बनाए जाने को लेकर पूछा था कि सरकार इस बारे में अपनी राय स्‍पष्‍ट करे। वैसे इससे पहले चार बार ऐसा हो चुका है कि उनके नाम पर जज बनाए जाने को लेकर राय अलग रही है। सौरभ कृपाल के नाम पर सबसे पहले कोलेजियम ने 2017 में दिल्‍ली हाईकोर्ट का जज बनाए जाने को लेकर सिफारिश की थी।

सुप्रीम कोर्ट में कर चुके हैं 2 दशक तक प्रैक्टिस

सौरभ कृपाल ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की है। वहीं उन्होंने ग्रेजुएशन में लॉ की डिग्री ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ली है। पोस्टग्रेजुएट (लॉ) कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से किया है। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने दो दशक तक प्रैक्टिस की है। वहीं उन्होंने यूनाइटेड नेशंस के साथ जेनेवा में भी काम किया है। सौरभ की ख्याति 'नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ' के केस को लेकर जानी जाती है। दरसअल, वह धारा 377 हटाए जाने को लेकर याचिकाकर्ता के वकील थे। सितंबर, 2018 में धारा 377 को लेकर जो कानून था।, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।

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