Shaheed Diwas: गांधी की शहादत का संदेश, घृणा – हिंसा का नहीं यह देश
Shaheed Diwas: गांधी की शहादत का संदेश, घृणा - हिंसा का नहीं यह देश- इस नारे के साथ आज यहां लोकतांत्रिक जन पहल के तत्वावधान में डाक-बंगला चौराहे के निकट स्थिर प्रदर्शन का आयोजन किया गया जिसमें महिलाएं सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
Shaheed Diwas: गांधी की शहादत का संदेश, घृणा - हिंसा का नहीं यह देश- इस नारे के साथ आज यहां लोकतांत्रिक जन पहल के तत्वावधान में डाक-बंगला चौराहे के निकट स्थिर प्रदर्शन का आयोजन किया गया जिसमें महिलाएं सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
कार्यक्रम के दरम्यान विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र में विभिन्न धर्मों के बीच का संबंध बराबरी और परस्पर सम्मान का होता है। यही लोकतंत्र का प्राण है। साम्प्रदायिकता एक विनाशकारी, विभाजनकारी विचारधारा है। इसे शिकस्त देने का हमारा जो संकल्प है उसे गांधी की शहादत दिवस पर फिर आज हम दोहरा रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में संयोजक सत्य नारायण मदन ने गांधी की शहादत दिवस का आज के संदर्भ में प्रासंगिकता पर संक्षिप्त वक्तव्य दिया उसके बाद दो मिनट का मौन रखा गया और उसके बाद महात्मा गांधी अमर रहें के नारे लगाए गए।
प्रदर्शन के दरम्यान लोग अपने हाथ में नारों की तख्तियां लिए हुए थे जिसमें लिखा था- धर्म का उन्माद, इंसानियत का नाश; सर्वधर्म सम्मान, लोकतंत्र का प्राण; बंटवारे के तीन गुनहगार, जिन्ना, सावरकर, अंग्रेज सरकार; क़ौम क़ौम में नफरत बोये , धर्म नहीं वो साजिश है; हिंन्दु धर्म के नाम पर कलंक हैं संघी हिंदू ; मंदिर मस्जिद बहाना है, मक़सद सत्ता हथियाना है ; गोडसे समर्थकों की संरक्षक, आरएसएस-भाजपा सरकार ; साम्प्रदायिक राजनीति के अलंबरदार, आरएसएस-भाजपा सरकार और आरएसएस-भाजपा को हटाना है, साम्प्रदायिकता को दफनाना है।
प्रदर्शन में शामिल प्रमुख लोगों के नाम हैं कंचन बाला, सुधा वर्गीज, अशोक कुमार एडवोकेट, जोस के, अनुपम प्रियदर्शी, अनूप कुमार सिन्हा, रिजवान अहमद, अफ़ज़ल हुसैन, हृषिकेश कुमार, तबस्सुम अली, फ्लोरिन, रवींद्र कुमार सिंह शिक्षक, शौकत अली, सोनी, विवेक कुमार सिन्हा, बी एन विश्वकर्मा, मनीष शांडिल्य, अशरफी, रणजीव, मनहर कृष्ण अतुल, ऋषिका बाला, अचिंत्य राज, जाहिद करीम, आरजू, हसन, अशरफ और सत्य नारायण मदन, संयोजक आदि हैं।