Shaheen Bagh में अतिक्रमण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, हाईकोर्ट जाने को कहा

Shaheen Bagh : दिल्ली के शाहीनबाग समेत दक्षिण दिल्ली के विभिन्न इलाकों में अतिक्रमण हटाने के अभियान पर रोक लगाने की मांग को लेकर माकपा की राज्य समिति और दिल्ली प्रदेश रेहड़ी पटरी खोमचा हाकर्स यूनियन सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं....

Update: 2022-05-10 13:52 GMT

Shaheen Bagh में अतिक्रमण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, हाईकोर्ट जाने को कहा

Shaheen Bagh : दिल्ली के शाहीनबाग इलाके (Shaheen Bagh) में अतिक्रमण के खिलाफ चल रहे अभियान पर रोक लगाने और मामले में दखल देने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि अतिक्रमण कर रहे हैं तो उन्हें हटाया जाएगा। अगर अथॉरिटीज किसी तरह से कानून का उल्लंघन करती हैं तो प्रभावित व्यक्ति हाईकोर्ट जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने मामले में राजनीतिक दल (माकपा) की ओर से याचिका दाखिल करने पर भी सवाल उठाए। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने अवैध निर्माण (Illegal Construction) और अतिक्रमण के मामले को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि हमने किसी को लाइसेंस नहीं दिया है कि वह यहां आकर कहे कि मेरा घर न गिराया जाए जबकि वह अवैध है।

बेंच ने कहा कि हम मामले में दखल नहीं देंगे। इन सख्त टिप्पणियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह का आदेश देने और मामले में सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रभावित लोग हाईकोर्ट जा सकते हैं।

दिल्ली के शाहीनबाग (Shaheen Bagh) समेत दक्षिण दिल्ली के विभिन्न इलाकों में अतिक्रमण हटाने के अभियान पर रोक लगाने की मांग को लेकर माकपा की राज्य समिति और दिल्ली प्रदेश रेहड़ी पटरी खोमचा हाकर्स यूनियन सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना (CJI NV Ramana)  की बेंच के समक्ष मामले को मेंशन कर जल्द सुनवाई की मांग की गई थी लेकिन सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं को अतिक्रमण मामले की सुनवाई कर रही पीठ के समक्ष जाने को कहा। दोपहर बाद मामला जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगा।

माकपा की याचिका को लेकर कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल ने क्यों याचिका दाखिल की। इसके कौन से मौलिक अधिकार का हनन हुआ है। कोर्ट ने कहा कि हम याचिका पर कोई आदेश नहीं देंगे। यह इसके लिए मंच नहीं है।

 

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