Sharababandi News : पटना हाईकोर्ट को क्यों कहना पड़ा - खतरे में है बिहार में रहने वाले करोड़ों लोगों की जान

Sharababandi News : पटना हाईकोर्ट ने कहा कि अवैध शराब में मिथाइल मिला हुआ था। इसका पांच मिलीलीटर भी किसी को अंधा बनाने के लिए काफी है।

Update: 2022-10-19 02:46 GMT

sharababandi News : पटना हाईकोर्ट को क्यों कहना पड़ा - खतरे में है बिहार में रहने वाले करोड़ों लोगों की जान

Sharababandi News : बिहार में जिस शराबबंदी कानून ( Liqour prohibition law Bihar ) को सुशासन बाबू यानि नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) ने सामाजिक सुधार के नाम पर छह साल पहले लागू कर ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कानून करार दिया था वही अब वहां की 13 करोड़ आबादी के लिए नासूर बन गया है। खतरे की बात ये है कि सीएम नीतीश को अपनी कुर्सी बचाने की चिंता इतनी है कि इस बात की उन्हें कोई फिक्र ही नहीं है। इतना ही नहीं, आज भी नीतीश कुमार यही मानकर चल रहे हैं कि उन्होंने शराबबंदी कानूनी लागू किया है वो पूरे देश के लिए एक नायाब मॉडल है और लोगों को नशे की लत दूर करने वाला है।

अगर बिहार ( Bihar ) सरकार अभी भी अपने शराबबंदी कानून ( Sharabbandi kanoon ) को लेकर नहीं चेती तो समझ लीजिए कि वहां के 13 करोड़ लोगों की जान खतरे में है। यह बयान किसी सियासी दल के नेता या नीतीश के विरोधियों का नहीं है, जिसे आप हल्के में लेकर टाल दें। आप यह जानकर दंग रह जाएंगे कि पटना हाईकोर्ट के जज ने ये बयान दिया है। हाईकोर्ट के जज के इस बयान से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शराबबंदी कानूनों की वजह से बिहार किस सामाजिक और पारिवारिक त्रासदी में फंस गया है।

दरअसल, बिहार ( Bihar ) में शराबबंदी कानून पर पटना हाईकोर्ट ने सख़्त टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा बिहार सरकार शराबबंदी कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफल रही है जिससे बिहार के लोगों का जीवन ख़तरे में आ गया है। ये टिप्पणी जस्टिस पूर्णेंदु सिंह ने की है। उन्होंने जहरीली शराब से मौतों में वृद्धि, नशीली दवाओं की लत और जब्त की गई शराब की बोतलों को गलत तरीके से नष्ट करने में पर्यावरण को होने वाले खतरे का जिक्र किया है।

बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार ने साल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था। उन्होंने शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही कानून को सामाजिक बुराईयों के खिलाफ एक क्रांति बताया था। इतना ही नहीं देश के दूसरे राज्यों की सरकारों को चुनौती देते हैं कि अगर हिम्मत है तो बिहार जैसा शराबबंदी कानून लागू कर दिखाइए जरा।

पटना हाईकार्ट के जज पूर्णेंदु सिंह ने मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले नीरज सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। वे पिछले साल नवंबर से शराबबंदी से जुड़े एक मामले में जेल में बंद हैं। 12 तारीख को जारी आदेश में कोर्ट ने कहा​ कि बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने में राज्य मशीनरी की विफलता से राज्य के नागरिकों का जीवन खतरे में है।

5 एमएम मिथाइल लोगों को अंधा बनाने के लिए काफी है

कोर्ट ने शराबबंदी लागू होने के बाद हो रही बड़ी संख्या में जहरीली शराब की घटनाओं को चिंताजनक बताया है। कहा कि जहरीली शराब पीने से बीमार हुए लोगों को राज्य सरकार ढंग से इलाज मुहैया नहीं करवा पाई है। कोर्ट ने पाया कि अवैध शराब में मिथाइल मिला हुआ था। इसका पांच मिलीलीटर भी किसी को अंधा बनाने के लिए काफी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मरीजों इलाज के लिए अलग से स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए, जहां विशेष रूप से प्रशिक्षित लोग काम करें।

ड्रग्स कारोबार को रोकने में सुशासन बाबू पूरी तरह से विफल

इसके अलावा कोर्ट ने बिहार सरकार को अवैध ड्रग्स के मामले में भी फटकार लगाई और कहा कि सरकार इसे रोकने में भी नाकाम साबित हुई है।

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