महाराष्ट्र सरकार ने जानबूझकर अर्णब को तलोजा जेल में शिफ्ट किया जहां अबू सलेम-दाऊद के गुर्गे कैद हैं- जी डी बख्शी

सेवानिवृत्त मे.ज. जीडी बख्शी ने कहा कि हम अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आज भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर भारत के राष्ट्रपति के पास याचिका देने जा रहे हैं। लोकतंत्र की हत्या नहीं हो सकती है....

Update: 2020-11-08 14:00 GMT

नई दिल्ली। सेवानिवृत्त मेजर जनरल जी.डी. बख्शी अपने तीखे बयानों की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। इन दिनों वह रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी के समर्थन में लगातार आवाज उठा रहे हैं। अर्णब गोस्वामी साल 2018 के सिलसिले में महाराष्ट्र की तलोजा जेल में बंद हैं। रविवार को उन्हें स्कूल के क्वारंटीन सेंटर से तलोजा जेल शिफ्ट किया गया है। इसको लेकर बख्शी का कहना है कि उस जेल में दाऊद के गुर्गों को रखा जाता है, यह सरबजीत मामले की तरह है। 

बख्शी ने गोस्वामी के समर्थन में सिलसिले वार कई ट्वीट किए हैं। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि 'अर्नब को तलोजा जेल में स्थानांतरित किया जा रहा है, जहां दाऊद के अपराधियों को रखा जाता है। उनका जीवन स्पष्ट खतरे में है। यह सरबजीत मामले की तरह है, जिसे पाकिस्तान में जेल के कैदियों ने शहीद कर दिया था। भारत को पाकिस्तान में बदल दिया जा रहा है .. देर होने से पहले बोलें।'

दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, केंद्र और सर्वोच्च न्यायालय को अर्नब मामले में हस्तक्षेप करना होगा। दाऊद के अपराधी तलोजा जेल में हैं। उसे सरबजीत नहीं बनाया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय को सूओ मोटो नोटिस लेना चाहिए क्योंकि यह रविवार को जानबूझकर किया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि 'यह कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार सिर्फ एक आदमी के लिए महाराष्ट्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। दुर्भाग्य से यह केवल एक आदमी नहीं है- उन्होंने पालघर में दो साधुओं की लिंचिंग, दिशा सालियान की मौत और हत्या, इन मामलों को गंभीरता से लिया है। यह एक मौत बहुत ज्यादा है।'

बख्शी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने अर्णब को तालेजा जेल में शिफ्ट किया है जहां अबू सलेम और दाऊद के गुर्गे कैद हैं, वे भारत की मिट्टी पर उसे एक सरबजीत बनाना चाहते हैं? क्या भारत पाक में बदल रहा है, हम असहाय होकर देख रहे हैं।

रिटायर्ड मेजर जनरल ने आगे कहा कि 'यह बहुत ज्यादा है, हम अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आज भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर भारत के राष्ट्रपति के पास याचिका देने जा रहे हैं। लोकतंत्र की हत्या नहीं हो सकती है।'  


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