Shivpal Singh Yadav Profile : यूपी की राजनीति के चाणक्य रहे हैं शिवपाल सिंह यादव, तय किया है सपा मुखिया से कैबिनेट तक का सफर

Shivpal Singh Yadav Profile : शिवपाल यादव ने भी राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया है, कभी मुलायम सिंह (नेताजी) की सुरक्षा संभालने वाले शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को शिखर पर पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है...

Update: 2022-03-31 11:48 GMT

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Shivpal Singh Yadav Profile : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजनीति (Uttar Pradesh Politics) में जब भी समाजवादियों का जिक्र किया जाएगा, तब-तब शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) भी याद किए जाएगा। मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के छोटे भाई शिवपाल यादव ने भी राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया है। कभी मुलायम सिंह (नेताजी) की सुरक्षा संभालने वाले शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को शिखर पर पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है। वह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष से लेकर कैबिनेट मंत्री तक रह चुके हैं लेकिन शिवपाल यादव ने एक ऐसा दौर भी देखा है, जब भतीजे अखिलेश यादव से वर्चस्व की लड़ाई में उन्हें मात खानी पड़ी हो। शिवपाल यादव को यूपी की राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है। उन्होंने समाजवादी पार्टी को आगे ले जाने के लिए काफी मेहनत की है।

शिवपाल यादव का शुरुआती जीवन और शिक्षा

शिवपाल सिंह यादव का जन्म 6 अप्रैल 1955 को इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ। शिवपाल यादव के पिता का नाम सुधर सिंह और मां का नाम मूर्ति देवी है। सुधर सिंह के चार बेटे और बेटी हैं, जिसमें मुलायम सिंह यादव सबसे बड़े तो शिवपाल सिंह यादव सबसे छोटे बेटे थे। शिवपाल सिंह यादव के पिता किसान और माता गृहणी थीं। उनकी शुरुआती पढ़ाई- लिखाई गांव के ही प्राथमिक पाठशाला में हुई थी। इसके बाद उन्होंने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए जैन इंटर कॉलेज, करहल, मैनपुरी में दाखिला लिया। यहां उन्होंने 1972 में हाई स्कूल और 1974 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की।

इसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने स्नातक की पढ़ाई के लिए 1976 में केके डिग्री कॉलेज इटावा (कानपूर विश्वविधालय) और 1977 में लखनऊ विश्वविधालय से बीपीएड किया था। शिवपाल यादव की बेटी डॉ अनुभा यादव और एक बीटा आदित्य यादव हैं।

नेताजी की सुरक्षा की जिम्नेदारी संभाल आसान बनाई थी राह

शिवपाल सिंह यादव ने कभी नेताजी की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभलकर उनकी राजनीतिक राह आसान बानी थी। असल में 1967 में जब नेताजी ने जसवंतनगर से विधासभा चुनाव जीता, तो मुलायम सिंह के राजनीतिक विरोधियों की संख्या काफी बढ़ चुकी थी। ऐसे में विरोधियों ने मुलायम सिंह पर कई बार जानलेवा हमला भी कराया। इसका जिक्र शिवपाल सिंह यादव ने अपनी किताब लोहिया के लेनिन ने भी किया है। शिवपाल यादव ने लिखा है कि 'नेता जी जब भी इटावा आते, मैं अपने साथियों के साथ खड़ा रहता। हम लोगों को काफी सतर्क रहना पड़ता, कई रातें जगाना पड़ता था।'

मुलायम सिंह के लिए राजनीतिक रैलियों का किया आयोजन

बात दें कि शिवपाल सिंह यादव सोशलिस्ट पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेते थे। इसके साथ ही वे नेताजी के चुनावों में पर्चें बांटने से लेकर बूथ समन्वयक तक की जिम्मेदारी उठाते थे। चुनाव में भले ही नेताजी लड़ते थे लेकिन उसके पीछे की रणनीति शिवपाल सिंह यादव की ही होती थी। चुनाव के दौरान मधु लिमये, बाबू कपिलदेव, चौधरी चरण सिंह, जनेश्वर मिश्र जैसे बड़े नेताओं के फोन आने और उनकी सभा करवाने की जिम्मेदारी भी शिवपाल यादव के कंधे पर होती थी। 

सहकारिता की राजनीति से मुख्य धारा की राजनीति में किया प्रवेश

बात दें कि शिवपाल सिंह यादव ने सहकारिता की राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश किया। शिवपाल सिंह याव ने 1988 से 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गए थे। 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के अध्यक्ष का भी दायित्व संभाला। वहीं शिवपाल सिंह यादव 1996 का चुनाव जसवंतनगर विधानसभा सीट से लड़ा और जीत दर्ज की। इस चुनाव में शिवपाल यादव को 68377 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस के दर्शन सिंह थे। जिन्हें 57438 वोट मिले थे। इसी साल वह शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी का प्रदेश महासचिव बनाया गया था। संगठन को मजबूत बनाने के लिए कड़ी मेहनत की, जिसका नतीजा हुआ कि उनकी लोकप्रियता और स्वीकार्यता बढ़ती चली गई।

सपा के कार्यवाहक अध्यक्ष से बने पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष रामशरण दास का स्वास्थ्य उनका साथ नहीं दे रहा था। लिहाजा शिवपाल सिंह यादव को 01 नवंबर 2007 को मेरठ का अधिवेशन में सपा का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। रामशरण दास के निधन के बाद वह 6 जनवरी 2009 को समाजवादी पार्टी के पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष बने। इस दौरान उन्होंने सपा को शिखर तक पहुंचाया। वह मई 2009 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। शिवपाल सिंह यादव बसपा की मायावती सरकार में नेता विरोधी दल की भूमिका में भी रहे थे।

शिवपाल सिंह यादव पांच बार चुने गए विधायक

शिवपाल सिंह यादव पहली बार 1996 में जसवंतनगर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। इस चुनाव में शिवपाल सिंह यादव को 68377 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस के दर्शन सिंह थे। जिन्हे 57438 वोट मिले थे। दूसरी बार शिवपाल सिंह यादव 2002 के विधानसभा चुनाव में विधायक चुने गए। इस बार उन्हें 80544 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर रहे बसपा के रमेश चंद्र शाक्य को 27555 वोट मिले थे।

तीसरी बार वह 2007 के विधानसभा में जसवंतनगर सीट से जीतकर हैट्रिक लगाकर विधानसभा पहुंचे थे। इस चुनाव में उन्हें 73211 वोट मिले थे, जबकि बसपा के बाबा हरनारायण यादव को 42404 वोट मिले थे। बसपा की मायावती सरकार में ही नेता विरोधी दल भी थे।

चौथी बार भी वह जसवंतनगर सीट से विधायक चुने गए। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी की लहर थी। नतीजा यह रहा कि सपा प्रदेश अध्यक्ष में पूर्ण बहुमत के साथ लौटी और पहली बार अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। शिवपाल यादव को लोक निर्माण, सिंचाई, सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारु दी गई थी। 2017 के विधासभा चुनाव में लगातार पांचवी बार शिवपाल सिंह यादव ने जसवंतनगर सीट से जीत दर्ज की थी।

पारिवारिक विवाद के बाद बनाई नई पार्टी

बता दें कि शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश यादव से हुए विवाद के बाद समाजवादी पार्टी छोड़ दी। उन्होंने 29 अगस्त 2018 को अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया लेकिन 2022 के चुनाव में पहले शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के साथ ही गठबंधन कर लिया और एक बार फिर उसी अंदाज में अखिलेश यादव के साथ आ खड़े हुए, जिस अंदाज से वह मुलायम सिंह के साथ खड़े रहते थे लेकिन अब उनके गठबंधन से अलग होने की चर्चाएं तेज है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद अब उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई है। इस बात की सबसे बड़ी वजह यह है कि उन्हें इस बार के चुनाव में गठबंधन में खास अहमियत नहीं मिली।

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