शोपियां एनकाउंटर: सेना को जांच में जवानों के खिलाफ सबूत मिले, कार्रवाई के आदेश

इस वर्ष जुलाई में यह मुठभेड़ हुई थी, जिसमें तीन लोग मारे गए थे, राजौरी जिले के इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार को सुरक्षा बलों ने 18 जुलाई, 2020 को अम्सीपोरा गांव में एक ऑपरेशन के दौरान मार दिया था....

Update: 2020-09-18 16:56 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर

जनज्वार। जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में विगत जुलाई माह में हुई एक मुठभेड़ के मामले में सेना को पहली नजर में साक्ष्य मिले हैं कि उसके जवानों ने सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन किया है। इस संबंध में अब अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है।

इस वर्ष जुलाई में यह मुठभेड़ हुई थी, जिसमें तीन लोग मारे गए थे। राजौरी जिले के इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार को सुरक्षा बलों ने 18 जुलाई, 2020 को अम्सीपोरा गांव में एक ऑपरेशन के दौरान मार दिया था।

सुरक्षा बलों ने हालांकि दावा किया कि तीनों आतंकवादी थे, जिनसे मुठभेड़ के बाद हथियार और गोला बारूद बरामद किया गया था। जबकि उनके रिश्तेदारों ने कहा कि वे शोपियां जिले में मजदूरों के तौर पर काम करने आए थे और आंतकवाद से उनका कोई लेना-देना नहीं था।

पुलिस ने रिश्तेदारों की ओर से संदेह जताए जाने के बाद शिकायत दर्ज की और मारे गए व्यक्तियों के डीएनए मिलान के लिए नमूने एकत्र किए हैं। अभी डीएनए रिपोर्ट आना बाकी है। सेना की आंतरिक जांच, जिसके निष्कर्ष शुक्रवार को सार्वजनिक किए गए, उसमें कहा गया है कि जांच से कुछ निश्चित साक्ष्य सामने आए हैं, जो कि दर्शाते हैं कि अभियान के दौरान अफस्पा के तहत निहित शक्तियों का दुरुपयोग किया गया और उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकृत सेना प्रमुख की ओर से निर्धारित नियमों का उल्लंघन किया गया है।

प्रारंभिक जांच में सक्षम अनुशासनात्मक प्राधिकारी को प्रथम दृष्टया जवाबदेह पाए जाने वालों के खिलाफ सेना अधिनियम के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया गया है।

जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आतंकवाद या संबंधित गतिविधियों में तीन व्यक्तियों की कथित संलिप्तता की जांच पुलिस द्वारा की जा रही है।

रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि भारतीय सेना ऑपरेशन के नैतिक आचरण के लिए प्रतिबद्ध है।

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