Singhu Border News : मृतक लखबीर के गांव के सवर्ण सिख बोले- गांव में नहीं आने देंगे शव, सिख धर्म के मुताबिक नहीं होगा अंतिम संस्कार

Singhu Border News : सत्कार कमिटी ने मृतक के दाह-संस्कार का विरोध करना शुरू कर दिया है। सत्कार कमिटी का कहना है कि लखबीर का शव का सिख रीति-रिवाज के साथ नहीं होने देंगे।

Update: 2021-10-16 13:16 GMT

(मृतक लखबीर सिंह और परिजन)

Singhu Border News : सिंघु बार्डर (Singhu Border) पर निहंगों (Nihang Sikhs) की बर्बरता के शिकार हुए लखबीर सिंह (Lakhbir Singh) का शव तरनतारण जिले में स्थित उनके चीमा खुर्द गांव पहुंचने से पहले ही सवर्ण सिखों (Upper Caste Sikhs) ने विरोध करना शुरु कर दिया है। गांववालों व सिख सत्कार कमिटी का कहना है कि लखबीर ने गुरु ग्रन्थ साहिब (Guru Granth Sahib) की बेअदबी की है इसलिए हम उनका दाह संस्कार सिख धर्म के मुताबिक नहीं होने देंगे। 

सत्कार कमिटी विरोध

सत्कार कमिटी ने मृतक के दाह-संस्कार का विरोध करना शुरू कर दिया है। सत्कार कमिटी का कहना है कि लखबीर का शव का सिख रीति-रिवाज के साथ नहीं होने देंगे। अंतिम संस्कार से पहले अरदास भी नहीं होगा और ना ही कोई पूजा पाठ, यही नहीं अंतिम अरदास भी नहीं होगा।

गांववाले अड़े नहीं होने देंगे अंतिम संस्कार

पंचयात सदस्य सतनाम सिंह, सर्बजीत सिंह, समाजसेवी आशीष पाल सिंह चीमा व गुरदयाल सिंह का कहना है कि हम नहीं चाहते कि ऐसे आदमी का शव गांव आये जिसने गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी की हो। हम लखबीर के शव को गांव नहीं आने देंगे और न ही उसके शव का अंतिम संस्कार इस गांव में होने देंगे। अगर पुलिस जबरदस्ती करेगी तो हम उसका पुरजोर विरोध करेंगे। गांव के सभी लोगों का यही कहना है कि लखबीर पर जो आरोप लगे वे शर्मसार करने वाले हैं। हालांकि पंचायत सदस्य और गाववालो का मानना है कि उससे ये गलत काम किसी ने करवाया है।

हरियाणा से शव गांव के लिए निकला

जहां एक तरफ गांव के लोग विरोध कर रहे हैं वहीं लखबीर का शव सोनीपत के नागरिक अस्पताल की मोर्चरी से गांव चीमा के लिए निकल चुका है। कुछ वक्त बाद उसका शव गांव पहुंचने ही वाला है। देर शाम तक शव गांव पहुंचने की उम्मीद थी। मगर अब पंचायत सदस्य और गांववाले उसके शव का विरोध करते है तो गांव में विवाद बढ़ सकता है।

पत्नी ने की जांच की मांग

भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा (India Pakistan Border) से सटे गांव कलस में पैदा हुए लखबीर को उसकी बुआ ने बचपन में ही गोद ले लिया था। उसकी मौत के बाद से दोनों गांवों में कोहराम मचा हुआ है। लखबीर की हत्या की सूचना मिलते ही मायके में रह रही उनकी पत्नी जसप्रीत कौर अपनी तीनों बेटियों के साथ ससुराल चीमा खुर्द पहुंची। जसप्रीत ने कहा कि उसका पति कभी अकेला अमृतसर तक नहीं गया, उसे आखिर कुंडली बॉर्डर कौन ले गया इसकी जांच की जानी चाहिए।

गरीबी में जिंदगी गुजारने वाले लखबीर की शादी साल 2006 में अमृतसर के गांव लोधेवाल की जसप्रीत कौर के साथ हुई थी। तीन बेटियों के पिता लखबीर नशा करने का आदी था। उसकी इस आदत से परेशान जसप्रीत छह साल पहले बेटियों को लेकर मायके चली गई थी।   

दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लखबीर सिंह ने मैट्रिक तक की पढ़ाई की हुई थी। वह अनाज मंडी में मजदूरी करता था। उसकी तीन बेटियां 14 वर्षीय तानिया, 11 वर्षीय संदीप, 9 वर्षीय कुलदीप हैं।

जसप्रीत कौर के छोटे भाई सुखचैन सिंह ने बताया कि वह रंग-रोगन का काम करता है। छोटी बहन गुरमीत कौर की शादी होने वाली है। घर में बुजुर्ग पिता बलदेव सिंह, मां सविंदर कौर हैं। सुखबीर ने बताया कि लखबीर ने कभी परिवार की कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई। वहीं लखबीर के ससुर ने कहा कि लखबीर को वहां जाने का लालच दिया गया। इसकी जांच होनी चाहिए और उसे न्याय मिलना चाहिए।

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